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यूरोपियन यूनियन ने गूगल पर लगाया 1.7 लाख करोड़ रुपए का जुर्माना, जानें क्यों
नई दिल्ली: यूरोपियन यूनियन (ईयू) के एंटीट्रस्ट रेग्युलेटर्स ने सर्वाधिक लोकप्रिय सर्च इंजन गूगल पर 2.7 अरब डॉलर यानी करीब 1.7 लाख करोड़ रुपए का बड़ा जुर्माना लगाया है। गूगल पर यह जुर्माना कंपनी की ओर से सर्च रिजल्ट में गड़बड़ी करने को लेकर लगाई गई है।
ईयू के इस फैसले से माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कंपनी के खिलाफ लंबित अन्य मामलों में कड़ा रुख अपनाया जा सकता है। इस मुद्दे पर यूरोपियन यूनियन का कहना है कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय इंटरनेट सर्च इंजन के पास अपनी शॉपिंग सर्विस का फेवर बंद करने के लिए 90 दिनों का वक्त है। यदि कंपनी ऐसा नहीं करती है तो अल्फाबेट की प्रतिदिन के ग्लोबल टर्नओवर का पांच फीसदी का जुर्माना अलग से लगाया जाएगा।
गूगल कर रहा तकनीकी हेरफेर!
आयोग ने पाया है कि गूगल ने अपने सिस्टम में ऐसा तकनीकी हेरफेर किया है, जिससे सर्च रिजल्ट्स में उसकी शॉपिंग सर्विस ही प्रमुखता से दिखाई देती है। वहीं, दूसरी तरफ प्रतिद्वंद्वी साइटों को हतोत्साहित किया जा रहा है।
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गूगल ने वास्तविक पसंद मुहैया नहीं कराई
यूरोपीय प्रतिस्पर्धा आयुक्त मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने एक बयान में कहा, 'यूरोपियन यूनियन के ऐंटी ट्रस्ट कानून के मुताबिक गूगल का यह कृत्य अवैध है। उसने अन्य कंपनियों को मेरिट के आधार पर प्रतिस्पर्धा और इनोवेशन के अधिकार से वंचित किया। इन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि गूगल ने यूरोप के उपभोक्ताओं को सेवाओं की वास्तविक पसंद मुहैया नहीं कराई।'
सात साल चली जांच के बाद कार्रवाई
बता दें कि गूगल पर यह कार्रवाई सात साल लंबी चली जांच के बाद की गई है। गूगल के खिलाफ येल्प, ट्रिपएडवाइजर, फाउंडेम, न्यूज कॉर्प और फेयरसर्च जैसी कंपनियों ने सर्च रिजल्ट्स में हेरफेर की शिकायत की थी।
अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना
यूरोपियन यूनियन के इतिहास में चले किसी ऐंटीट्रस्ट केस में यह पहला मौका है, जब किसी कंपनी पर इतना बड़ा जुर्माना लगाया गया है। इससे पहले साल 2009 में अमेरिका की चिपमेकर कंपनी इंटेल पर 1.06 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था।