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राफेल शताब्दी का सबसे बड़ा घोटाला, पूर्व मंत्री आनन्द शर्मा ने बताई चौंकाने वाली बातें
लखनऊ: पूर्व केंद्रीय मंत्री व काँग्रेस के वरिष्ठ नेता आनन्द शर्मा ने राफेल के मुददे पर पीएम नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा किया और आरोप लगाया कि यह शताब्दी का सब से बड़ा घोटाला है। पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के साथ विश्वासघात किया है। करोड़ों लोगों को नुकसान पहुंचाया है। गरीबों, किसानों और महिलाओं को लाइन में लगा दिया। जीना मुहाल कर दिया। इन का विदाई समारोह निश्चित है। जनता इन को सज़ा देगी। देश में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। हम अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं। इतना ही नहीं पूर्व मंत्री ने नोटबन्दी को भी बहुत बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि इसका खुलासा भी जल्द ही होगा।
फ्रांस-अमेरिका में हो रही चर्चा
काँग्रेस के वरिष्ठ नेता आनन्द शर्मा ने लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मैं ऐसे विषय की चर्चा कर रहा हूँ, जिससे अब देश की बदनामी अमेरिका-फ्रांस और यूरोप में हो रही है। बिना रिकवेस्ट फॉर प्रपोज़ल के कोई भी चीज़ नहीं खरीदी जाती है। सब्ज़ी या फल नहीं खरीदा जा रहा था। प्रोसेज़ होता है। ट्रायल्स होते हैं। 126 फाइटर एयर क्राफ्ट के किये ग्लोबल टेंडर जारी किया गया। सुखोई रूस का था और राफेल फ्रांस का था। स्पेसिफेक्शन होता है। एक 523 करोड़ की राफेल की डील फाइनल हुई थी। केवल लाइफ़ टाईम कास्ट को लेकर फाइनालाइज़ होना था।
कांग्रेसी नेता आनन्द शर्मा ने पीएम पर हमला करते हुए कहा हम वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री से जवाब नही मांग रहें है। हमें जवाब पीएम नरेंद्र मोदी से चाहिए क्योंकि वे ज़िम्मेदार हैं। 18 जहाज़ भारत को पूर्ण तैयार होकर मिलने थे। 108 देश में मिलने थे। ट्रांसफर ऑफ टेक्नालॉजी देश में बनना था। एचएएल को लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टर बनाने का अनुभव है। मिराज और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान हैं। टेण्डर का हिस्सा था कि एचएएल को काम मिलना था। पीएम की गलती वित्त मंत्री के बयान से उजागर होती है। वित्त मंत्री का कहना है कि कांग्रेस देर कर रही। आनन्द शर्मा बोले हमें जवाब चाहिए कि 126 से घटा कर 36 संख्या क्यों की गई है। सरकार को जवाब देना होगा। देश के पीएम ने राफेल को लेकर कोई बात नहीं की।
काम देने के लिए रजिस्टर्ड की गई नामी कंपनी
आनन्द शर्मा ने कहा कि हमने आरोप नहीं लगाए हैं, तथ्यों पर बात की है। पिछले टेंडर को रद्द नहीं किया गया। पीएम को अधिकार नहीं है। देश जवाब मांग रहा है। कुछ समय पहले रिलायंस रजिस्टर्ड की जाती है। एक और कम्पनी रजिस्टर की गई जो पीएम के उद्योगपति मित्र की है। किसी को कैसे पता कि पीएम फ्रांस में जा कर एचएएल को निकाल देंगे।कंपनी तभी रजिस्टर्ड होती है जब पता हो काम मिलना है। ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का पीएम ने उल्लंघन किया है। अचानक से यह सब नहीं हुआ है। पीएम ने अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने के किये सब कुछ किया। 523 की जगह तीन गुना दाम तय हुआ है।
रक्षा मंत्री ने सार्वजनिक की कीमत
इसी सरकार के रक्षा मंत्री कह रहे हैं 670 करोड़ कीमत है फिर कॉन्फिडेंशियल कह रहें है। संसद में इतनी बड़ी गलती नहीं होती है। 1670 करोड़ दाम कैसे हो गया। गोपनीयता थी तो पहले क्यों बताया। असलहे,मिसाइल आदि ही कॉन्फिडेंशियल होते हैं। हम देश की सुरक्षा को समझते हैं। कौन से सिस्टम चाहिए, यह टेंडर में मेंशन होता है। राफेल डील में बड़ा घोटाला हुआ है। एचएएल को बाहर कर घोटाले की शुरूआत की गई। सरकार कहती है कि चर्चा न हो लेकिन देश और विदेश में चर्चा हो रही है। पीएम, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री कहते हैं कि सब गोपनीय है। ये कैसे मुमकिन है। असलहा कौन सा लगा यह जानकारी नहीं दे सकते हैं। मैं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मौजूद था। जब फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा था कि कीमत बताने में हमे कोई दिक़्क़त नहीं है। इजिप्ट, क़तर और भारत को फ्रांस ने राफेल बेंचे। मेंडेटरी फ़ाइलिंग के चलते फ्रांस नहीं छुपा सकता है। 23 सितंबर 2016 को फॉरेन मिनिस्टर भारत और फ्रांस कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करते हैं। जो कुछ हुआ एक दम से नहीं हुआ है। हमने जेपीसी की मांग की तो क्यों नहीं इस पर सहमति दी गई। यह देश की सुरक्षा का सवाल है। यह देश का नुकसान है। यह ऐसी आग है जो पूरी दुनिया मे सुलग रही है। यह बहुत बड़ा घोटाला नहीं है तो पीएम मोदी जेपीसी की मांग स्वीकार कर लें।
बने राष्ट्रीय जांच आयोग
पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय जांच आयोग बना कर इस लूट और घोटाले की जाँच होनी चाहिए। इनकी सज़ा देश तय करेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री व काँग्रेस के वरिष्ठ नेता आनन्द शर्मा के साथ में अनीस अंसारी भी प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहे।
राहुल की मानसरोवर यात्रा पर दी सफाई
पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने राहुल गांधी के मानसरोवर यात्रा पर बोलते हुए कहा कि कुछ लोगों को हर बात में कष्ट होता है। राहुल गांधी मानसरोवर यात्रा पर जाएं तो भी कष्ट और न जाएं तो भी कष्ट होता है। क्या अब भाजपा या उनके प्रवक्ता यह तय करेंगे कि राहुल गांधी किस रास्ते से जाएंगे। चीन पर सरकार का रूख बदल गया। बीजेपी तीर्थ यात्रा का रूट नहीं तय कर सकती। अगर चीन जाने में आपत्ति है तो पीएम मोदी चीन के राष्ट्रपति से गले क्यों मिले। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तो कभी चीन के राष्ट्रपति से गले नहीं मिले। यह सब मुद्दे से भटकाने के लिए किया जा रहा है। हम धर्म को राजनीति में नहीं लाते हैं। जो लोग राजनीति में हैं, उनके लिए गीता और रामायण घर में हैं और जब वह बाहर निकले तो सिर्फ भारत का संविधान ही उनका ग्रंथ होना चाहिए।