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ट्रेन हादसा : पीड़ितों की आपबीती सुन खड़े हो जाएंगे आपके रोंगटे
खतौली : अब भी सदमे से गुजर रहे उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन के यात्रियों ने रविवार को कहा कि हादसे में मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती थी, लेकिन स्थानीय निवासियों ने जिस तेजी से मदद की, उससे बहुतों की जान बच गई। सभी पीड़ितों ने उनकी मदद में जी जान से जुटे स्थानीय निवासियों की भरपूर सराहना की।
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों में फंसे लोगों को बचाया। कई लोग इसी वजह से जिंदा बच सके क्योंकि स्थानीय लोगों ने उन्हें आनन-फानन में अस्पतालों तक पहुंचाया। और, उन्होंने यह सब उस वक्त किया जब आधिकारिक राहत एवं बचाव कार्य शुरू भी नहीं हुआ था।
शनिवार की शाम पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के नजदीक खतौली में पटरी से उतर गए, जिसमें 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई। राहत दल पहुंचने से पहले ही स्थानीय निवासियों ने एकदूसरे पर चढ़े और बुरी तरह क्षतिग्रस्त डिब्बों में फंसे यात्रियों को बाहर निकाला और उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
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हादसे में बच गए एक यात्री ने बताया कि वह ट्रेन के एस-2 डिब्बे में थे, जो एक घर में चल रहे स्कूल में घुस गया।
उन्होंने पत्रकारों को बताया, "मैं हरिद्वार जा रहा था। मैं नींद में था, तभी अचानक तेज झटका महसूस हुआ। मैंने सोचा चालक ने आपात ब्रेक लगाए हैं, लेकिन उसके बाद मैंने डिब्बों को पटरी से दूर उछलते देखा।"
उन्होंने बताया कि उनका डिब्बा जिस घर से टकराया था, उसी घर के निवासियों ने उन्हें बचाया। उन्होंने कहा, "वे जल्दी से आए और लोगों के समूह ने मुझे डिब्बे से बाहर निकाला।"
हादसे में ट्रेन के दो डिब्बे (एस-1 और एस-2) और रसोईयान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं।
हादसे में बच गए यात्रियों ने बताया कि स्थानीय निवासियों बहुत तेजी से न सिर्फ रेल यात्रियों के लिए बल्कि राहत में लगे लोगों के लिए भी पानी, भोजन और चाय की व्यवस्था की।
ट्रेन में सफर कर रहे एक साधु ने बताया कि उन्हें जिन लोगों ने बचाया, वे मुस्लिम थे।
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आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "मैं एस-2 कोच में फंसा हुआ था। तभी मुस्लिमों के एक समूह ने मेरी पुकार सुनी और मुझे बाहर निकाला।"
ट्रेन हादसे में बच गए ग्वालियर के रहने वाले एक अन्य यात्री ने बताया हादसे में उनके परिवार के एक सदस्य की मौत हो गई।
भरे गले से उन्होंने कहा, "मैं अपनी पत्नी, दो बच्चों और बड़े भाई बेटे के साथ हरिद्वार जा रहा था। दुर्घटना से दो मिनट पहले ही मेरा भतीजा शौचालय गया था और उसके बाद सबकुछ नष्ट हो गया।"
हादसे की भयावहता बयान करते हुए एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ क्षतिग्रस्त डिब्बों से लोगों के शव निकाले और उनमें से कुछ के अंग गायब थे।
उन्होंने कहा, "मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि किसी को ऐसा डरावना मंजर न दिखाए। पहले तो हमने देखा कि रेल के डिब्बे हवा में पांच-पांच फुट तक उछल गए और उसके बाद एकदूसरे पर चढ़ गए। डिब्बों से कटी-फटी लाशें बाहर निकालना डरावना था।"
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि हादसे के दौरान रेल की पटरियों के किनारे बिछी गिट्टियां चारों ओर दूर-दूर तक छिटक गईं।
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उन्होंने बताया कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ एस-2 कोच से तीन लोगों को बचाने की कोशिश की, लेकिन सिर्फ एक ही व्यक्ति को बचा सके।
उन्होंने कहा, "हमने डिब्बों के अंदर फंसे यात्रियों को बाहर निकाला और उन्हें अपने वाहनों से अस्पताल पहुंचाया। वे डिब्बों के अंदर बुरी तरह फंसे हुए थे। उन्हें जीवित बाहर निकालने में बेहद मुश्किल हो रही थी।"
स्थानीय निवासियों ने हादसे के लिए रेलवे पर लापरवाही का आरोप लगाया, क्योंकि पटरी मरम्मत का काम अभी आधा ही पूरा हुआ था और जिसकी ट्रेन चालक को कोई जानकारी नहीं थी।