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श्रीनगर : संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के पांच साल पूरे होने पर अलगाववादियों द्वारा शुक्रवार को बुलाए गए बंद से कश्मीर घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। श्रीनगर व घाटी के दूसरे प्रमुख कस्बों के बाजार, सार्वजनिक परिवहन और कारोबार बंद रहे। सड़कों पर कुछ निजी वाहन ही नजर आए।
सार्वजनिक परिवहन के उपलब्ध नहीं होने से बैंकों व सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति कम रही।
अलगाववादियों ने दिल्ली के तिहाड़ जेल में अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की निंदा करते हुए बंद का आह्वान किया था। उन्होंने अफजल गुरु के अवशेष उसके परिवार को देने की मांग दोहराई।
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अफजल को 9 फरवरी 2013 को 2001 में संसद पर हमले में उसकी भूमिका के लिए फांसी दी गई थी। उसे जेल परिसर के भीतर दफनाया गया।
पुलिस ने कहा कि उसने श्रीनगर के पुराने शहर के इलाकों, मैसूमा और उत्तर व दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाकों में प्रतिबंध लगाए हैं।
वरिष्ठ अलगावावादी नेता सैयद अली गिलानी व मीरवाइज उमर फारूक की नजरबंद रखा गया है, जबकि यासीन मलिक को सेंट्रल जेल में रखा गया है।
पाकिस्तान स्थित युनाइटेड जिहाद काउंसिल के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन ने बंद के आह्वान का समर्थन किया।
पुलिस व अर्ध सैन्य बलों को सभी इलाकों में तैनात किया गया है।
उत्तरी कश्मीर के बारामूला शहर व जम्मू क्षेत्र के बनिहाल कस्बे के बीच रेल सेवाओं को एहतियात के तौर पर निलंबित किया गया है।