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वित्त मंत्री जेटली बोले-किसी भी फ्रॉड में नियामक जिम्मेवार क्यों नहीं होते?
नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के महाघोटाले को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार (24 फरवरी) को बैंक के शीर्ष प्रबंधन को कठघरे में खड़ा किया। कहा, कि 'अगर एक फर्जीवाड़ा बैंकिंग व्यवस्था की कई शाखाओं में होता है और कोई भी इसके खिलाफ न तो आवाज उठाता है और न ही जानकारी देता है, तो यह एक चिंताजनक स्थिति है।'
'ग्लोबल बिजनेस समिट' में अरुण जेटली ने कहा, कि 'ऐसे घपलों में शीर्ष प्रबंधन की उदासीन और परत-दर-परत ऑडिटिंग सिस्टम की व्यवस्था बेहद चिंता पैदा करते हैं।' उन्होंने यह भी कहा, कि भारत में किसी भी मामले में राजनीतिज्ञ की जवाबदेही तो होती है, लेकिन नियामकों (रेगुलेटर्स) की कोई जवाबदेही नहीं होती। जबकि हकीकत यह है कि नियमों से जुड़े फैसले नियामक ही लेते हैं, लिहाजा इनको अपनी तीसरी आंख हमेशा खोलकर रखना चाहिए।'
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ऐसे तो कारोबार आसान बनाने की कोशिशें पीछे रह जाएंगी
वित्त मंत्री ने विलफुल डिफॉल्ट को बिजनेस में विफलता और बैंक फ्रॉड से भी ज्यादा गंभीर घटना करार दिया। कहा, कि 'अगर समय-समय पर विलफुल डिफॉल्ट और बैंक फ्रॉड होते रहे, तो कारोबार को आसान बनाने की सारी कोशिश पीछे ही रह जाएंगी और ऐसी परेशानियां आगे आ जाएंगी। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की कई योजनाओं पर भी अपनी बात रखी।'
चुनाव खर्च पर ये कहा
चुनाव पर खर्च के सवाल पर जेटली ने कहा, कि 'देश में हर साल दो से तीन चुनाव कराना प्रशासन और खर्च के नजरिए से बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। अगर देश में पांच साल में एक बार चुनाव हों, तो केंद्र और राज्य की शासन व्यवस्था बेहतर करने में मदद मिलेगी। साथ ही खर्च में कमी लाई जा सकेगी और मजबूत नीतियां बनाई जा सकेंगी।'
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कर्ज लेने-देने वाले के गठजोड़ को खत्म करना जरूरी
अरुण जेटली से जब पूछा गया, कि बैंकिंग फ्रॉड की घटनाओं को रोकने का सबसे कारगर उपाय क्या है? तो उन्होंने कहा, कि 'कर्ज लेने और देने वाले के अनैतिक व्यवहार और गठजोड़ को खत्म करने की जरूरत है।'
पीएम ने भी दिया था जवाब
इससे पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने पीएनबी महाघोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा था, कि 'उनकी सरकार देश में आर्थिक अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है और आगे भी उठाएगी।' पीएम मोदी ने वित्तीय संस्थानों को और अधिक निष्ठा के साथ निगरानी का दायित्व निभाने की नसीहत भी दी। पीएम मोदी ने कहा कि जिन वित्तीय संस्थानों को निगरानी और मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं।