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भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां मुख्य रूप से बाहरी : जेटली
मुंबई : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था के सामने जो चुनौतियां हैं, वे मुख्य रूप से विदेशी कारकों जैसे तेल की कीमतों में वृद्धि और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से पैदा हुई हैं। लेकिन भारत का समष्टिगत मौलिक घटक उन चुनौतियों का सामना करने के लिए काफी मजूबत है। चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 7.5 फीसदी से ज्यादा आर्थिक विकास दर हासिल करने की संभावना जाहिर करते हुए जेटली इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भारत अगले कई सालों तक उच्च विकास दर को जारी रखेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था अगले साल ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
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भारतीय बैंकों के संघ के वार्षिक सम्मेलन को टेलीकान्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "इस साल भी हमारी आर्थिक विकास दर परंपरावादियों के अनुमान से कुछ ज्यादा ही रहने वाली है।"
अरुण जेटली का गुर्दा प्रत्यारोपण होने के कारण वह पिछले तीन महीनों तक सार्वजनिक बैठकों से दूर रहे। वह तीन महीने के अंतराल बाद पहली बार सार्वजनिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सर्वाधिक तेज विकास दर वाली अर्थव्यवस्था के रूप में कायम है।
जेटली ने कहा, "हमारे समष्टिगत मौलिक घटक काफी मजबूत हैं और अगर कोई प्रभाव पड़ेगा भी तो वह आंतरिक कारकों के कारण नहीं होगा।"
वित्तमंत्री ने कहा, "इसके साथ व्यापार युद्ध की चुनौती जड़ी है। हालांकि हम इसमें सक्रिय भागीदार नहीं हैं, लेकिन इसका प्रभाव भारत पर भी देखा जा सकता है। खातौर से जब किसी बड़ी अर्थव्यवस्था में उसकी मुद्रा का अवमूल्यन करने की प्रवृत्ति पाई जाती है।"
हालांकि जेटली ने कहा कि सरकार के पदग्राही को यह सुनिश्चत करना है कि भारत के घरेलू घटक मजबूत हों, ताकि अर्थव्यस्था में उन बाहरी कारकों की चुनौतियों का सामना करने की ताकत हो।
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उन्होंने कहा, "उच्च विकास दर, वित्तीय समझदारी, घरेलू बाजार में काफी आर्थिक गतिविधियां और विगत कुछ वर्षो में किए गए सिलसिलेवार सुधार कार्यो से निश्चित तौर पर अर्थव्यवस्था को मदद मिली है।"
हालांकि मंत्री ने बैंकों के संकट को एक महत्वपूर्ण घरेलू चुनौती के रूप में स्वीकार किया और कहा कि सरकार को इससे सीख मिली है। उन्होंने कहा कि सरकार अब संस्थान को सुदृढ़ बनाने के लिए तंत्र को दुरुस्त कर रही है।
जेटली भारतीय अर्थव्यवस्था के सकारात्मक भविष्य को लेकर आश्वस्त नजर आए। भारत पिछले महीने फ्रांस को पीछे छोड़ अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।