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गुजरात: मुस्लिमों को फिर 'सद्भावना मिशन' की तलाश, टिकट के लिए लाइन

aman
By aman
Published on: 31 Oct 2017 10:23 AM GMT
गुजरात: मुस्लिमों को फिर सद्भावना मिशन की तलाश, टिकट के लिए लाइन
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गुजरात: मुस्लिमों को फिर 'सद्भावना मिशन' की तलाश, टिकट के लिए लगी लाइन

अहमदाबाद: याद करें तो साल 2011 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी छवि बदलने लिए 'सद्भावना मिशन' की शुरुआत की थी। तब, इस मिशन का उद्देश्य मुस्लिमों को आकर्षित करना था। मुस्लिम भी बड़ी संख्या में उमड़े थे। हालांकि, अगले ही वर्ष यह मिशन फेल हो गया।

साल 2012 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया। इस वाकये को 5 साल बीत चुके हैं। लेकिन पांच साल बाद मुस्लिम नेता एक बार फिर उसी 'सद्भावना' की तलाश में जुटे हैं। गौरतलब है, कि गुजरात में 1980 से अभी तक बीजेपी ने केवल एक बार (1998) ही मुस्लिम को टिकट दिया गया है।

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स्थानीय निकाय चुनावों में जीते थे 350 मुस्लिम

बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कई सीटों की मांग की है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रभारी महबूब अली चिश्ती ने कहा, कि '2015 में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में करीब 350 मुस्लिमों ने जीत दर्ज की थी। वे विधानसभा चुनावों में भी जीतने का दमखम रखते हैं।' इसी के तहत मुस्लिम नेताओं ने जमालपुर-खडिया, वागरा, वेजालपुर, भुज, वान्कानेर, अबदासा सीटों के लिए टिकट की मांग की है।

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'मुझे बीजेपी में हमेशा सम्मान मिला'

बता दें, कि 61 फीसदी मुस्लिमों की आबादी वाली जमालपुर-खाडिया सीट के लिए बिल्डर उस्मान गांची ने आवेदन किया है। करीब दस साल से बीजेपी से जुड़े उस्मान के आवेदन पर 5 मौलवियों ने दस्तखत किए हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे बीजेपी में हमेशा से सम्मान मिला। अगर मौका मिला तो मैं पार्टी के लिए सीट जीतूंगा। बीजेपी एक मजबूत काडर आधार वाली पार्टी है। इसकी नेतृत्व क्षमता कमाल।'

अगर बीजेपी ने मुझ पर भरोसा दिखाया तो...

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक इसी तरह की बातें पूर्व आईपीएस अधिकारी एआई सैय्यद ने भी कही। बोले, 'मैं पिछले 9 सालों से बीजेपी से जुड़ा हूं। अगर बीजेपी ने मुझ पर भरोसा दिखाया तो मैं निश्चित तौर पर चुनाव जीतूंगा।' ज्ञात हो, कि सैयद, गुजरात वक्फ बोर्ड के चैयरमैन रह चुके हैं।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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