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गुजरात विधानसभा चुनाव: पाटीदारों को रिझाने को BJP शुरू करेगी यात्राएं
उमाकांत लखेड़ा
नई दिल्ली, ब्यूरो: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 22 बरस बाद पहली बार गर्मी का अहसास हो रहा है। गुजरात के कुछ हिस्सों में हाल में जनसंपर्क पर निकले बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं को नाराज पाटीदारों ने बैंरग लौटा दिया।
गुजरात में ढाई साल पूर्व हार्दिक पटेल की अगुवाई में आरक्षण की मांग कर रहे पाटीदार बीजेपी से इतने नाराज हैं कि इस बार सत्ताधारी दल की राह आसान नहीं लगती। गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों पर अगले चार महीनों में चुनाव होने हैं।
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पटेलों को केंद्र में रखकर ही खेली सियासी गोटियां
पाटीदारों के अलावा ओबीसी कोली व कुछ और ओबीसी समुदायों को साथ रखना बीजेपी के लिए मुश्किल भरा काम है। हालांकि, पटेल ताकतवर अगड़ी जातियों में आते हैं। पटेल आबादी गुजरात में कुल जनसंख्या का मात्र 14 प्रतिशत ही है, लेकिन इसके बाद भी सभी पार्टियां पटेलों को केंद्र में रखकर ही अपनी सियासी गोटियां चलाती हैं। पिछले ढाई दशकों से बीजेपी को पटेलों की पार्टी के तौर पर ही जाना जाता रहा है।
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दो यात्राओं का रोडमैप बनाया बीजेपी ने
इस चुनाव में बीजेपी को मुश्किलें इसीलिए सामने दिख रही हैं, कि पटेल ही बीजेपी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन रहे हैं। उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल 1 अक्टूबर से काला मसड से यात्रा निकालने वाले हैं। नितिन पटेल पटेलों की काडवा उप जाति से ताल्लुक रखते हैं। दूसरे, पटेल नेता प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष जीतू बगानी जो लूउवा पटेल हैं, वे 2 अक्टूबर को पोरबंदर में महात्मा गांधी के जन्मस्थल से चुनाव अभियान का श्रीगणेश करेंगे।
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हार्दिक की यात्रा ने बढ़ाई बीजेपी की चिंता
दो दिन पहले हार्दिक पटेल ने अहमदाबाद से सोमनाथ की यात्रा की शुरुआत की, तो अहमदाबाद से ही सड़कों के दोनों ओर भारी हूजूम उनके पीछे है। अहमदाबाद से प्राप्त रिपोर्टों में बताया गया, कि हार्दिक के साथ पटेलों के अलावा बाकी समुदाय के लोग भी उमड़ रहे हैं, जो बीजेपी से खफा हैं। बीजेपी की नजर दूसरे पाटीदार नेता अल्पेश ठाकुर पर गड़ी हुई हैं। उनका दूसरे समुदायों पर भी असर है। अल्पेश ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन अगर वे चुनाव में बीजेपी विरोधी गठबंधन का हिस्सा बने तो परंपरागत समर्थक वोटरों में बिखराव से वहां सत्ताधारी दल को सत्ता में लौटना मुश्किल हो सकता है।
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पाटीदार व ओबीसी वोटों में बिखराव की कोशिशें
हार्दिक पटेल की घेराबंदी के लिए इस बार बीजेपी पूरी ताकत झोंकने की रणनीति बनाने में जुटी है। इस चुनाव के वक़्त तक हार्दिक पटेल की उम्र मात्र 24 बरस की है, इसलिए वे खुद चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं। लेकिन उनके चुनाव प्रचार में मुकाबला करने के लिए हर तरह का 'विषैला प्रचार' करने को कमर कस रही है। ओबीसी जातियां जो, कि गुजरात की 55 प्रतिशत आबादी का हिस्सा है उन्हें कांग्रेस के खिलाफ खड़ा करने की बीजेपी की रणनीति है। वोटों की राजनीति के लिए जहां जरूरत हो, वहां ओबीसी को पाटीदारों के खिलाफ बांटना भी पार्टी की रणनीति भीतर से बन रही है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आगामी सोमवार को अहमदाबाद में 146 ओबीसी जातियों के महासम्मेलन को संबोधित करने जा रहे हैं। हालांकि, बीजेपी के मौजूदा पटेल विधायक जिनकी तादाद 45 से ज्यादा है अपने-अपने क्षेत्रों में पाटीदारों में हार्दिक की गहरी अपील से घबराहट में हैं। वे निजी तौर पर मानते हैं कि उनके लिए पहली बार अपनी ही बिरादरी को काबू में रखना मुश्किल होता जा रहा है।