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गुजरात चुनाव : EC को 'पप्पू' शब्द से ऐतराज, लेकिन 'फेंकू' का क्या !
फिल्मों में अपमानजनक शब्द और सीन्स पर सेंसर बोर्ड की कैंची चलना आम बात है। लेकिन, अब राजनीति में भी शब्दों पर कैंची चल चुकी है।
अहमदाबाद : फिल्मों में अपमानजनक शब्द और सीन्स पर सेंसर बोर्ड की कैंची चलना आम बात है। लेकिन, अब राजनीति में भी शब्दों पर कैंची चल चुकी है। गुजरात में अगले महीने विधानसभा चुनाव हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलेक्शन कमीशन ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को चुनाव प्रचार अभियान में 'पप्पू' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए इसे हटाने को कहा है। बता दें कि राज्य में दो चरणों में 09 और 14 दिसंबर को चुनाव कराए जाएंगे और 18 दिसंबर को मतगणना होगी। गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं।
क्यों उठाया गया यह कदम ?
इलेक्शन कमीशन को चुनाव प्रचार अभियान में 'पप्पू' शब्द पर आपत्ति इसलिए है, क्योंकि उसे लगता है कि इसके जरिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अप्रत्यक्ष तरीके से निशाना बनाया गया है, जो कि अपमानजनक है। इलेक्शन कमीशन ने बीजेपी को भेजे एक पत्र में चुनाव प्रचार अभियान से जुड़े टीवी विज्ञापन, होर्डिंग, पोस्टर और बैनर जैसे प्रचार सामग्री में 'पप्पू' नाम के व्यक्ति के जिक्र पर आपत्ति जताई है। इसी के मद्देनजर इलेक्शन कमीशन ने बीजेपी से अपने प्रचार अभियान से 'पप्पू' शब्द को हटाने के लिए कहा है।
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ये भी है वजह
राहुल गांधी पर निशाना साधने के दौरान अक्सर सोशल मीडिया पर पप्पू शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि इलेक्शन कमीशन ने इस बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को इसके इस्तेमाल से रोक दिया।
पप्पू vs फेंकू
अब इलेक्शन कमीशन के इस आदेश के बाद बीजेपी नेता सवाल खड़ा कर सकते हैं कि अगर 'पप्पू' शब्द से ऐतराज है और उसने इस शब्द पर रोक लगा दी, तो क्या इलेक्शन कमीशन को 'फेंकू' शब्द पर आपत्ति नहीं है, क्या इस शब्द पर भी इसी तरह का एक्शन नहीं लिया जाना चाहिए ? बता दें, कि कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया जा चुका है। सोशल मीडिया पर भी कई बार पीएम मोदी के लिए 'फेंकू' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।