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कश्मीर में आर्टिकल 35A पर SC में बड़ी सुनवाई आज, अलगाववादी बिफरे
आर्टिकल 35A की संवैधानिक वैधता (कॉन्स्टिट्यूशनल वैलिडिटी) है या नहीं, इसपर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। आर्टिकल 35A से जुड़े मामले में
नई दिल्ली: आर्टिकल 35A की संवैधानिक वैधता (कॉन्स्टिट्यूशनल वैलिडिटी) है या नहीं, इसपर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। आर्टिकल 35A से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में दो पिटीशन दायर की गई हैं। इनमें से एक पिटीशन 'वी द सिटीजंस' एनजीओ ने दायर की थी। दूसरी चारू वली खन्ना नामक शख्स ने दायर की है।
चारू वली खन्ना ने आर्टिकल 35A और इसके सेक्शन-6 को चैलेंज किया है। इसके तहत गैर-कश्मीरी से शादी करने वाली लड़की और उसके बच्चों को आर्टिकल 35A का फायदा नहीं मिलता। उनका यह भी कहना है कि आर्टिकल 370 और 35A कॉन्स्टीट्यूशन में दिए गए समानता के अधिकार का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है। इन आर्टिकल की वजह से जम्मू-कश्मीर से बाहर का शख्स न ता वहां प्रॉपर्टी खरीद सकता है, न उसे वहां सरकारी नौकरी मिल सकती है और न ही वह स्थानीय निकाय चुनावों में हिस्सा ले सकता है।
एक गैर सरकारी संगठन "वी द सिटिजंस" की ओर से दायर की गई पिटीशन में इस आर्टिकल को खत्म करने की मांग की गई है। इसके विरोध में अलगाववादी नेताओं ने धमकी दी है कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आर्टिकल 35A के खिलाफ आया तो घाटी में खुला विद्रोह होगा और फिलीस्तीन जैसे हालात बन जाएंगे। सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुख और मोहम्मद यासीन मलिक ने कश्मीर के लोगों को ऐसे किसी फैसले के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के लिए तैयार रहने को कहा है।
इसी बीच जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 35A के मुद्दे पर बीजेपी को निशाने पर ली लिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस मुद्दे को जम्मू बनाम कश्मीर की लड़ाई बताते हुए प्रोपेगैंडा फैला रही है। उन्होंने कहा कि अगर इस आर्टिकल को खत्म किया गया तो दूसरे राज्यों के लोग कश्मीर आकर प्रॉपर्टी खरीदेंगे और अपने बच्चों के लिए स्कॉलरशिप हासिल करेंगे, राहत सामग्री लेंगे और सरकारी नौकरियां भी ले लेंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी को यह समझने की जरूरत है कि जो आर्गनाइजेशन इस मुद्दे को उछाल रहे हैं, वे आग से खेल रहे हैं।
यहां यह समझना आवश्यक है कि आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है, जबकि 35A जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारिभाषित कर सके। 14 मई 1954 को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इसके जरिए संविधान में यह आर्टिकल जोड़ा गया। जम्मू-कश्मीर की अवाम को कॉन्स्टीट्यूशन में मिले विशेष दर्जे के तहत ऐसा किया गया था। आर्टिकल 370 के तहत दिया गया 35A आर्टिकल विधानसभा को राज्य के निवासियों से जुड़े कानून बनाने का अधिकार देता है।
इन कानूनों को दूसरे राज्यों के निवासियों के साथ समानता का अधिकार और संविधान द्वारा प्राप्त किसी भी अन्य अधिकार के उल्लंघन के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती। आर्टिकल 35A और आर्टिकल 370 के तहत जम्मू कश्मीर में बाहर नागरिक जमीन नहीं खरीद सकते हैं। इस धारा के तहत कोई भी बाहरी नागरिक जम्मू कश्मीर का नागरिक नहीं बन सकता है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की लड़की अगर गैर-कश्मीरी लड़के से शादी करती है, तो इस आर्टिकल के तहत मिले उसके और उसके होने वाले बच्चों के सारे हक खत्म हो जाते हैं।