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UGC से ज्‍यादा पॉवरफुल है HECI, हर नाकाम संस्‍थान की होगी Monitoring

sudhanshu
Published on: 29 Jun 2018 3:28 PM GMT
UGC से ज्‍यादा पॉवरफुल है HECI, हर नाकाम संस्‍थान की होगी Monitoring
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लखनऊ: देश में जबसे मोदी सरकार आई है, बदलाव की बयार बह रही है। योजनाओं के नाम, नोटों के साइज- कलर, टैक्‍सेशन प्रणाली या फिर संस्‍थाओं के नाम हों, सब जगह बदलाव नजर आ रहा है। अब तो बात यहां तक पहुंच चुकी है कि वर्षों पुराने संस्‍थान को खत्‍म करके एक नया संस्‍थान देश हित में इंट्रोडयूस किया गया है। हाल ही में यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन को खत्‍म करके एक नया हायर एजूकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) बनाया गया है। कहा जा रहा है कि एचईसीआई संस्‍थान यूजीसी से ज्‍यादा पावरफुल साबित होगा। ऐसे में हम अपने रीडर्स को एचईसीआई से रूबरू करवा रहे हैं।

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लिस्‍ट नहीं अब सीधे होगा एक्‍शन

केद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की मानें तो यूजीसी को एचईसीआई से बदला गया है। यह भी एक कमीशन होगा, जिसके 12 मेंबर होंगे। इसका काम शिक्षा की क्‍वालिटी मेंटेन करना, देश के शिक्षण संस्‍थानों के मानकों की मानिटरिंग, उच्‍च शिक्षा में टीचिंग, इवैल्‍यूएशन और रिसर्च के मानक तय करना और उसके अचीवमेंट या फेल्‍योर को नोटिफाई करना होगा। इतना ही नहीं देश के सारे नाकाम संस्‍थानों की निगरानी करने का काम भी इसी कमीशन के पास होगा।

इतना ही नहीं एचईसीआई के पास फर्जी यूनिवर्सिटीज और संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार भी होगा। अब एचईसीआई सीधे एक्‍शन ले सकेगा। यूजीसी के पास ये अधिकार नहीं था। वो केवल एक ब्लैक लिस्ट सरीखी जारी किया करता था। लेकिन एचईसीआई की इस बढ़ी पावर से फर्जी यूनिवर्सिटीज की दुकान बंद हो जाएगी।

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फाइनेंस का नहीं होगा काम

एचईसीआई देश भर के संस्‍थानों को फाइनेंस उपलब्‍ध करवाने का कोई काम नहीं देखेगा। यूजीसी अब तक इस मामले को भी देखती थी। एचईसीआई के पास अनुदान देने का अधिकार नहीं होगा। अब इसके लिए अलग से प्रावधान होगा।

यूएसी ने रखी थी यूजीसी की नींव

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की नींव दरअसल यूनिवर्सिटी एजूकेशन कमीशन ने ही रखी थी। वर्ष 1948 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने यूएसी बनाई थी़। यूएसी की सलाह पर 28 दिसंबर, 1953 को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की नींव रखी गई। लेकिन वर्ष 1956 में जब संसद में पारित एक विशेष विधेयक के बाद इसे सरकार के अधीन लाया गया, तब जाकर इसे वैधानिक दर्जा मिला।

शुरूआत में यूजीसी केवल तीन यूनिवर्सिटीज ही मॉनिटर करती थी। इनमें अलीगढ़ यूनिवर्सिटी, बनारस यूनिवर्सिटी और दिल्‍ली यूनिवर्सिटी शामिल थी। वर्ष 1957 आते-आते लगभग सभी विश्वविद्यालय इसके अधीन आ गए।

ये थे यूजीसी के कार्य

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन देश की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को उनके विकास के लिए अनुदान देता था। भारत के कंसोलिडेटेड फंड से यूनिवर्सिटीज को अनुदान देने के विषय में केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देता था। नई यूनिवर्सिटीज की स्थापना या किसी विश्वविद्यालय के विस्तार की मांग या प्रस्ताव पर संबंधित प्राधिकरणों को सलाह देता था। उनकी वित्तीय स्थिति, नियमों और विनियमों जानकारी की मांग करता है और उनका रिव्यू करता था। 24 घंटे के शैक्षिक चैनल ‘व्यास‘ के माध्यम से छात्रों को शिक्षा प्रदान करता था। इतना ही नहीं यूजीसी व्याख्यान के लिए पात्रता निर्धारित करने वाले टेस्ट, ‘राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा’ (एनईटी) को आयोजित करवाता था। यूजीसी जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) भी प्रदान करता था।

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