जानिए भारत में कैसी रही GST की यात्रा, किस देश ने सबसे पहले लागू किया

एनडीए सरकार के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2000 में जीएसटी बिल को लोकसभा में प्रस्तुत कर आर्थिक सुधारों की अगली पीढ़ी की स्थापना कर दी थी।

tiwarishalini
Published on: 1 July 2017 4:24 PM GMT
जानिए भारत में कैसी रही GST की यात्रा, किस देश ने सबसे पहले लागू किया
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लखनऊ: एनडीए सरकार के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2000 में जीएसटी बिल को लोकसभा में प्रस्तुत कर आर्थिक सुधारों की अगली पीढ़ी की स्थापना कर दी थी।

यद्दपि उस समय की अटल सरकार अल्पमत व राजनीतिक दांवपेंच के चलते इस बिल को पास नहीं करा पाई थी। भारत में जीएसटी पर राजनीति भारी पड़ती रही जिसके फलस्वरूप इस टैक्स को लागू होने की प्रक्रिया को 20 से अधिक वर्ष प्रतीक्षा करनी पड़ी।

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यूपीए सरकार के तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम द्वारा फरवरी, 2007 में शुरुआत करते हुए मई, 2007 में जीएसटी के लिए राज्यों के वित्तमंत्रियों की संयुक्त समिति का गठन कर वर्ष 2010 से इसके लागू करने की घोषणा की गई।

जीएसटी से राज्यों के अर्थतंत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, इसलिए 13वें वित्त आयोग द्वारा गठित कार्यदल ने दिसंबर, 2009 तथा 14वें वित्त आयोग ने फरवरी, 2015 में जीएसटी पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी।

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राज्यों के मध्य विरोधाभास होने पर अप्रैल, 2010 से कंाग्रेस सरकार इसे लागू कराने में विफल रही। तत्कालीन कंाग्रेस सरकार द्वारा मार्च, 2011 में 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया, जो पारित नहीं हो सका।

बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार ने जीएसटी को अपने आॢथक सुधारों का केंद्र बिंदु बताया तथा 122वां संविधान संशोधन विधेयक दिसंबर, 2014 में संसद में पेश किया, जिसे लोकसभा द्वारा मई, 2015 में पारित कर दिया गया था। राज्यसभा में इस बिल को 3 अगस्त, 2016 को एतिहासिक सफलता मिली और यह पारित हुआ।

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ये भी कहा था मोदी ने

जब मोदी गुजरात के सीएम थे तब उन्होंने कहा था कि जीएसटी कभी सफल नहीं हो सकता।

मुनाफाखोरी के खिलाफ व्यवस्था

जीएसटी की दरें लागू होने के बाद जो लोग टैक्स कम होने का फायदा आम ग्राहकों तक नहीं पहुचाएंगे उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। ऐसे लोगों पर नजर रखने और एक्शन के लिए नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी बनाई जाएगी। सीबीईसी ने निर्देश जारी कर दिए हैं।

एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी दो साल तक काम करेगी। इसके अलावा हर राज्य में छानबीन के लिए कमेटी बनेगी। दर घटने पर भी कीमत नहीं घटाने पर रकम लौटाने के साथ ही कारोबारी को 18 फीसदी का ब्याज भी देना होगा। इसके अलावा जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी रद्द हो सकता है। इस तरह की शिकायत मिलने पर अथॉरिटी 3 महीने में फैसला सुनाएगी।

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बार-बार दोषी पाए गए तो जीएसटी एक्ट के तहत सजा और जुर्माना भी संभव है। इधर सरकार ने व्यापारियों को भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि एंटी प्रोफिटियरिंग का बेजा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा है कि मजबूरी में ही इसका इस्तेमाल किया जाएगा।

ऑन लाइन विक्रेताओं के लिए जीएसटी पंजीकरण जरूरी

जीएसटी कानून के तहत 20 लाख रुपए सालाना से कम का कारोबार करने वालों के लिये जीएसटी पंजीकरण जरूरी नहीं है। लेकिन ऑनलाइन विक्रताओं को लिये कोई छूट नहीं है। सभी वर्ग के विक्रेताओं को पंजीकरण कराना होगा। ऑनलाइन विक्रेताओं को कंपोजीशन स्कीम का भी लाभ नहीं मिलेगा। इस स्कीम के तहत अधिकतम ढाई फीसदी टैक्स करके हर महीने रिर्टन भरने से छूट मिलती है।

डीजल-पेट्रोल फिलहाल जीएसटी से बाहर

मौजूदा समय में पेट्रोल-डीजल की कीमतें दो तरह के टैक्स से तय होती हैं। एक केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और दूसरे राज्य सरकार की ओर से लगाया जाने वाला सेल्स टैक्स या वैट। इनसे आने वाला राजस्व सरकारी खजाने के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। पेट्रोलियम कीमतों में 45 से लेकर 48 प्रतिशत तक टैक्स का हिस्सा होता है। कहीं-कहीं तो राज्य सरकारें 28 से 30 प्रतिशत तक वैट वसूलती हैं। जीएसटी में आने से राज्य सरकारों का ये हिस्सा चला जाएगा, इसीलिए उनके विरोध के चलते इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

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जीएसटी पर बहस के दौरान भी इसे एल्कोहल की तरह संविधान संशोधन विधेयक से बाहर रखने की मांग की गई थी लेकिन अच्छी बात ये रही कि इसे विधेयक में शामिल कर लिया गया है। यानी अभी पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी भले न लागू हो, भविष्य में जब भी सहमति बनेगी, जीएसटी काउंसिल इसे अपने समान टैक्स दायरे में ला सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि राज्यों के साथ चर्चा के दौरान पेट्रोलियम और शराब जैसे मुद्दों पर कुछ कड़ा विरोध था। उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी के तहत टैक्स जब भी जीएसटी परिषद तय करे, लगाया जा सकता है। जीएसटी लागू होने के बाद एक दो साल में परिषद को इस पर पुनर्विचार का फिर मौका मिलेगा।

अगली स्लाइड में जानिए किस देश ने सबसे पहले लागू किया जीएसटी

फ्रांस ने सबसे पहले लागू किया था जीएसटी

भारत ने जीएसटी को 2017 में अपनाया है लेकिन फ्रांस ने तो 1954 इस व्यवस्था को लागू किया था। फ्रांस में अधिकतम टैक्स 24 फीसदी है। ज्यादातर यूरोपियन देशों ने जीएसटी 1970-80 में लागू किया गया था।

-चीन ने वेल्यू एडेड टैक्स (वैट) व्यवस्था 2016 में लागू की थी। यहां अधिकतम 17 फीसदी टैक्स है।

-मलेशिया में जीएसटी 2015 में आया। टैक्स दर 6 फीसदी है।

-जीएसटी ऑस्ट्रेलिया में सन 2000 में लागू किया गया था। अधिकतम टैक्स दर 10 प्रतिशत है।

-न्यूजीलैंड में जीएसटी 1986 में लागू किया गया था। टैक्स दर अधिकतम 15 प्रतिशत है।

-ब्राजील में अधिकतम जीएसटी दर 17 फीसदी है।

-कनाडा में जीएसटी 1991 में लागू किया गया था। यहां अधिकतम टैक्स दर 15 फीसदी है।

-पाकिस्तान में अधिकतम जीएसटी दर 17 फीसदी है।

-पोलैण्ड और पुर्तगाल में जीएसटी की अधिकतम दर 23 फीसदी है।

-स्वीडन में जीएसटी की अधिकतम दर 25 फीसदी है। जबकि ब्रिटेन में यह 20 फीसदी है।

अगली स्लाइड में जानिए अमेरिका में क्यों नहीं है जीएसटी

अमेरिका में नहीं है

इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वहां सभी राज्य अपनी स्वायत्तता को बहुत महत्व देते हैं। अमेरिका में संघीय टैक्स नहीं है तथा राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं और सबसे ज्यादा सेल्स टैक्स दर- 10 फीसदी - कैलीफोर्निया राज्य में है। इस साल तो 5 राज्यों ने अपने यहां सेल्स टैक्स खत्म ही कर दिया है।

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