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हमें अब राष्ट्रवाद की जरूरत नहीं, यहां कोई लोकतंत्र नहीं : नयनतारा

Rishi
Published on: 29 Jan 2018 2:16 PM GMT
हमें अब राष्ट्रवाद की जरूरत नहीं, यहां कोई लोकतंत्र नहीं : नयनतारा
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कोलकाता : प्रसिद्ध लेखिका व नेहरू-गांधी परिवार की सदस्य नयनतारा सहगल का मानना है कि आजादी के 70 सालों बाद भारत को राष्ट्रवाद का कोई पाठ पढ़ने की जरूरत नहीं है। नयनतारा ने भारतीय जनता पार्टी के देश भर में फैलाए जा रहे राष्ट्रवाद के एजेंडे को 'निर्थक व कचरे का ढेर' करार दिया है।

नयनतारा एपीजे कोलकाता साहित्य महोत्सव में शामिल हुई थीं। यहां उन्होंने महोत्सव के इतर कहा, "हमें राष्ट्रवाद की आवश्यकता नहीं है। राष्ट्रवाद पर उनका (भाजपा) विचार कचरे का बोझ है। हमें राष्ट्रवाद की आवश्यकता उस समय थी, जब हम एक राष्ट्र बनने के लिए लड़ रहे थे.. ब्रिटिश शासन से खुद को आजाद करने के लिए लड़ रहे थे। हम पिछले 70 वर्षों से एक राष्ट्र हैं। इसलिए हमें अब राष्ट्रवाद की जरूरत नहीं है, यह सब अर्थहीन है।"

90 वर्षीय लेखिका नयनतारा देश में असहिष्णुता का विरोध करने के लिए 2015 के पुरस्कार वापसी अभियान के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक थीं। उन्होंने कहा कि भारत बिना लोकतंत्र के एक अंधेरे और विकट चरण से गुजर रहा है। कला और कलाकार हमलों के शिकार हो रहे हैं और देश के इतिहास से छेड़छाड़ किया जा रहा है।

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उन्होंने कहा, "हम एक अंधेरी स्थिति में हैं। यहां कोई लोकतंत्र नहीं है। हम पहले से ही इसके लक्षण देख रहे हैं, क्योंकि बहस और अभिव्यक्ति व असहमति की स्थिति को कुचल दिया गया है। इतिहास का सफाया हो रहा है और फिर से नया इतिहास लिखा जा रहा है। फिल्मकारों पर हमला किया जा रहा है। लेखक भी निशाने पर रहे हैं। कई लोगों की हत्या कर दी गई है। आप किस पर विश्वास कर सकते हैं।

नयनतारा डरती हैं कि इस स्थिति में हिंदू ब्रिगेड भारत को एक 'हिंदू राष्ट्र' घोषित कर सकता है, जहां अन्य सभी समुदायों को बाहरी और मुसलमानों को कट्टर दुश्मन समझा जाएगा।

नयनतारा का नया उपन्यास 'वेन द मून शाइन्स बाइ डे' फासीवादी हिंदुत्व की ओर देश की यात्रा को बयां करता है। इसमें बताया गया है कि केवल बौद्धिक समुदाय ही नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के लोग इसके निशाने पर हैं।

नयनतारा के अनुसार, "यह केवल बौद्धिक समुदाय के बारे में नहीं है। आम व्यक्ति भी निशाने पर है। मवेशी ले जा रहे शख्स की हत्या कर दी गई। एक गरीब व्यक्ति, जो एक लोहार था, उसकी भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। ईद की खरीददारी से लौटते समय एक छोटे से बच्चे की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। ये बुद्धिजीवी नहीं थे, ये साधारण व्यक्ति थे, जो अपनी रोजी-रोटी के लिए छोटा-मोटा काम करते थे।"

देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित की बेटी नयनतारा ने कहा कि हार के बावजूद हाल के गुजरात चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन एक संकेत है कि देश में स्थिति बदल रही है।

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उन्होंने कहा, "देश की स्थिति पहले से ही बदल रही है। हम सभी ने गुजरात चुनाव के नतीजे देखे हैं। मोदी के गृह राज्य में कांग्रेस ने उल्लेखनीय वापसी की है, जो बहुत उत्साहजनक है। देशभर में विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।"

नयनतारा कहती हैं, "दलितों का विरोध बढ़ा है। वे अब गाय के शवों को उठाने से इनकार कर रहे हैं। पूरे देश के विभिन्न समूह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "वास्तविक परिवर्तन वोट से आता है। लेकिन फिलहाल विपक्षी पार्टियों खासकर कई भारतीय जो किसी पार्टी से संबंधित नहीं है, वे ईवीएम को लेकर आशंकित हैं और उन्हें लगता है कि उससे छेड़छाड़ की गई है।"

नयनतारा ने कहा, "भाजपा चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। जाहिर है कि उनके पास बहुत पैसा है, क्योंकि उनके पीछे कॉरपोरेट्स का हाथ है और विपक्षी पार्टियां इस मोर्चे पर उनके साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती हैं।"

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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