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भारत अब नहीं रहा सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था, नोटबंदी के कारण चीन ने पछाड़ा
नई दिल्ली: भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर साल 2016-17 में 6.1 प्रतिशत पर आ गई है। इसी के साथ भारत से दुनिया की सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा भी छिन गया है। नोटबंदी के कारण देश की जीडीपी दर जनवरी- मार्च तिमाही में 6.1 फीसदी रही। जबकि इसी दौर में पड़ोसी राष्ट्र चीन का ग्रोथ रेट 6.9 फीसदी रहा।
जीडीपी आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी ने देश की आर्थिक रफ्तार को एक बार फिर दिसंबर 2014 की तिमाही के स्तर पर पहुंचा दिया है जब जीडीपी रफ्तार महज 6.0 फीसदी थी।
नोटबंदी बना वजह
केन्द्र सरकार के आए जीडीपी आंकड़ों के मुताबिक मोदी सरकार के 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के फैसले से उस वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही यानि जनवरी-मार्च 2017 की विकास दर निराशाजनक रही। हालांकि, इस दौरान सरकार को उम्मीद थी कि इस वित्त वर्ष में भी देश की जीडीपी 7 फीसदी के आसपास या इसके ऊपर रहेगी। लेकिन सरकार की उम्मीदों पर पानी फिर गया। देश एक बार फिर मध्यम से सुस्त जीडीपी ग्रोथ वाले देशों में शुमार हो गया है।
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भारत के लिए चिंता का सबब
बता दें, कि चीन सरकार के जनवरी-मार्च 2017 के जीडीपी आंकड़े 6.9 फीसदी की विकास दर दिखा रहे हैं। ये आंकड़े भारत के लिए चुनौती पैदा करने वाले हैं। क्योंकि इन आंकड़ों का साफ संकेत हैं कि चीन एक बार फिर तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में दुनिया के सामने आ चुका है। हालांकि, बीते कुछ सालों में भारत और चीन ने बड़े आर्थिक सुधार किए हैं। इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन हालिया आंकड़ा भारत के लिए चिंता का सबब हो सकता है।
कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में आई गिरावट
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा, कि 'नोटबंदी अर्थव्यवस्था के लिए अस्थायी झटका था। अब नए नोटों के चलन में आने से अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई। नोटबंदी से चौथी तिमाही में निर्माण क्षेत्र पर सबसे ज्यादा असर पड़ा और इसमें 3.7 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि 2015-16 की इसी तिमाही में इसमें 6 फीसदी की वृद्धि हुई थी। विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि 2016-17 में घटकर 7.9 प्रतिशत पर आ गयी जो इससे पूर्व के वर्ष में 10.8 प्रतिशत थी।'