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जेपी एसोसिएट्स को 2,000 करोड़ रुपए जमा करने होंगे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जेपी एसोसिएट्स को उसकी सहयोगी कंपनी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ चल रही दिवालियापन की कार्रवाई को देखते हुए कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास 2,000 करोड़ रुपए जमा कराने का निर्देश दिया है।

tiwarishalini
Published on: 11 Sept 2017 3:11 PM IST
जेपी एसोसिएट्स को 2,000 करोड़ रुपए जमा करने होंगे : सुप्रीम कोर्ट
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जेपी एसोसिएट्स को 2,000 करोड़ रुपए जमा करने होंगे : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जेपी एसोसिएट्स को उसकी सहयोगी कंपनी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ चल रही दिवालियापन की कार्रवाई को देखते हुए कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास 2,000 करोड़ रुपए जमा कराने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा है कि यह रकम 27 अक्टूबर तक जमा करानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के डायरेक्टर्स के देश छोड़ने पर भी रोक लगा दी।

कोर्ट ने कहा कि हम होम बायर्स की दुर्दशा समझते हैं और यह इंसानों की बड़ी समस्या है। हमें पहले कंपनी से घर खरीदने वालों की चिंता है। कंपनी अगर बंगाल की खाड़ी में डूबती है तो डूब जाए। हम कंपनियों के हितों को लेकर चिंतित नहीं हैं, बल्कि हमें ईएमआई पे कर रहे मध्यवर्गीय घर खरीदारों की चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश चित्रा शर्मा समेत 23 अन्य फ्लैट बायर्स की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान दिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा गठित संस्था अंतरिम रेजॉलुशन प्रफेशनल्स (आईआरपी) को जेपी इन्फ्राटेक के प्रबंधन की जिम्मेदारी लेने को कहा। साथ ही, उसने आईआरपी को फ्लैट खरीददारों और देनदारों के हितों की रक्षा के लिए 45 दिनों के भीतर एक सामाधान योजना सौंपने का निर्देश दिया।

खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई का दिन 13 नवंबर निर्धारित करते हुए कहा कि अगर इस रकम को जुटाने के लिए जेपी एसोसिएट्स अपनी किसी संपत्ति को बेचना चाहती है, तो इससे पहले उसे कोर्ट की अनुमति लेनी होगी।

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इसके साथ खंडपीठ ने कंपनी के प्रबंध निदेशक और सभी निदेशकों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है।

कोर्ट ने कहा कि इनमें वो सभी लोग शामिल है जो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की इलाहाबाद खंडपीठ द्वारा दिए गए 9 अगस्त को दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश के समय कंपनी के निदेशक थे।

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