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समझौता संभव नहीं था, नीति और छवि पर नीतीश का इस्तीफा
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को इस्तीफा सौंप दिया। देर शाम इस्तीफे के बाद मीडिया के सामने नीतीश ने अपने इस्तीफे को अंतरात्मा की आवाज पर लिया निर्णय बताया। नीतीश ने कहा कि मैंने किसी से इस्तीफा नहीं मांगा था, बल्कि जनता के मन में उठ रहे सवालों का जवाब देने को कहा था।
उन्होंने सरकार की विकास योजनाओं की जगह सिर्फ महागठबंधन में संवादहीनता की बात हो रही थी, जिसके कारण अपनी कायम छवि के लिए यही अंतिम उपाय था। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का समर्थन करते समय मैंने खुद बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई का आह्वान किया था तो अब बेनामी संपत्ति बनाने के आरोपों से घिरे लोगों के साथ कायम रहते हुए अपनी छवि से समझौता करना मेरे लिए संभव नहीं था।
इस्तीफे के बाद नीतीश ने कहा कि उन्होंने गठबंधन धर्म निभाने की अंत तक कोशिश की। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद या तेजस्वी यादव के साथ संवादहीनता नहीं थी, लेकिन इसी बात का प्रचार हो रहा था। बात कर लेंगे और काम चल जाएगा, ऐसी बात का मेरे लिए कोई अर्थ नहीं था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पार्टी है और महागठबंधन सरकार में भी, इसलिए राहुल गांधी से भी इसमें पहल के लिए कहा लेकिन अंततः यही बात निकल रही थी कि नीतीश समझौता कर लेंगे, जो संभव नहीं था। अगली सरकार को लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और अगली व्यवस्था तक कार्यकारी मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाने की बात कही।