TRENDING TAGS :
न्याय प्रणाली में पारदर्शिता के लिए व्यापक बदलाव जरूरी : तुलसी
नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्य के.टी.एस. तुलसी ने न्याय प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए व्यापक बदलाव लाने की जरूरत बताई है। बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) के एक कार्यक्रम में रविवार को तुलसी ने कहा कि पारदर्शिता वक्त की मांग है और भारतीय न्याय प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए कई बदलाव करने की जरूरत है।
ये भी देखें : दुबई: PM मोदी बोले- ‘आधार’ के जरिए 8 अरब डालर बचाए सरकार ने
उन्होंने कहा कि 15 साल के बाद अगर इंसाफ मिलता है तो वह इंसाफ नहीं है। देश के कानून में जनता का विश्वास बनाए रखने के मकसद से न्यायिक प्रक्रिया के मौजूदा हालात पर परिचर्चा करने के लिए बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) की ओर से यहां आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन 'रूल ऑफ लॉ कन्वेंसन-2018 ऑन ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स' के समापन पर तुलसी ने कहा, "पारदर्शिता कानून की शब्दावली में नहीं है, लेकिन नैसर्गिक न्याय से यह शब्द निकला है और हर देश की न्याय प्रणाली पारदर्शिता को समर्थन करती है। यह वक्त की जरूरत है।"
ये भी देखें : भूलकर भी ना चढ़ाना चाहिए भोले बाबा को यह फूल, होता है सर्वनाश
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी. एस. तुलसी राज्यसभा के मनोनीत सदस्य हैं। उन्होंने कहा, "पारदर्शिता लाने के लिए भारतीय न्याय प्रणाली में अनेक बदलाव लाने की जरूरत है। साथ ही तंत्र को सक्षम बनाया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि उच्च न्यायालयों में उत्तम प्रतिभाओं की नियुक्ति हो। न्याय दिलाने के समय को कम करने की जरूरत है। 15 साल बाद अगर न्याय मिलता है तो वह न्याय नहीं है।"
इस मौके पर बीएआई के अध्यक्ष डॉ. ललित भसीन ने भी न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने की वकालत की। उन्होंने कहा,"न्यायपालिका की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने की जरूरत है और कानून के शासन की अभिव्यक्ति की जगह न्याय के शासन की अभिव्यक्ति की आवश्यकता है।"