×

कानपुर बनेगा वीआईपी राजनेताओं का अखाड़ा, कांग्रेस खेलेगी राजबब्बर पर दांव

Manoj Dwivedi
Published on: 4 Jun 2018 4:45 AM GMT
कानपुर बनेगा वीआईपी राजनेताओं का अखाड़ा, कांग्रेस खेलेगी राजबब्बर पर दांव
X

कानपुर: कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कानपुर से प्रत्याशी तलाशने का काम शुरू कर दिया है। कानपुर की सीट वीआईपी सीट है और हर बार यहां से कोई न कोई वीआईपी ही उम्मीदवार बनता है। बीजेपी की ओर से यहां कोई वीआईपी लड़ा तो कांग्रेस भी वीआईपी को टिकट देगी और वह राजबब्बर भी हो सकते हैं। जानिए क्यों होगा ऐसा? बता रहा है newstrack.com

जितिन प्रसाद ने किया दौरा

2019 लोकसभा के लिए कानपुर में चुनावी बिगुल बज चुका है। बीजेपी ने लगभग यह फाइनल कर दिया है कि कानपुर की संसदीय सीट को वीआईपी सीट बनायेंगे। जिसकी जानकारी अब विपक्षी दलों को भी हो गई है। कांग्रेस बीजेपी के वीआईपी को टक्कर देने के लिए रणनीति बना रही है।

कानपुर: मोबाइल हुआ ब्लास्ट, बाल-बाल बचे हैलट इमरजेंसी पीआरओ

जानकारी के अनुसार कांग्रेस भी कानपुर से वीआईपी उमीदवार उतारने के पक्ष में है। इसलिए कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद कानपुर पहुचे और कांग्रेस के नेताओ से विषय पर चर्चा की। इसके साथ ही शहर की जनता के मूड को भी समझने का प्रयास किया।

उन्होंने यह संकेत दिए कि यदि बीजेपी इस सीट को वीआईपी सीट बनाती है तो कांग्रेस भी यहां से वीआईपी उम्मीदवार उतारेगी। सभी नेताओं को मिलकर जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी। सूत्रों के मुताबिक यदि कांग्रेस किसी वीआईपी को टिकट देगी तो उसमें सबसे बड़ा नाम प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर का होगा।

गुटबाजी है चरम पर

कानपुर कांग्रेस की आपसी गुटबाजी पार्टी को धरातल पर ले आई है। जिसका उदहारण बीते माह हुए कार्यकर्ता सम्मलेन में देखने को मिला था। प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और गुलाम नबी आजाद के सामने ही दो गुटों के कार्यकर्ता आपस में भिड गए थे एक दूसरे से गाली गलौज करते हुए मारपीट तक की थी। कानपुर में कांग्रेस में इन दिनों तीन गुट सक्रिय चल रहे हैं।

जिसमे पहला गुट पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल का है, दूसरा गुट पूर्व विधायक अजय कपूर का है और तीसरा गुट अलोक मिश्रा है। तीनो ही गुट एक दूसरे के धुर-विरोधी है और आने वाले लोक सभा चुनाव में टिकट की मांग कर कर रहे थे। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व के सामने गुटबाजी दूर करने की भी चुनौती होगी।

जोशी से नाराज जनता

कानपुर का चुनाव बीते कई दशक से कांग्रेस बनाम बीजेपी का ही रहा है। वर्तमान में बीजेपी सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी से कानपुर की जनता असंतुष्ट है और उनके खिलाफ आक्रोश भी व्याप्त है। इसकी वजह से है कि उनके कार्यकाल में शहर का विकास नहीं हुआ और वह जनता के बीच नदारत ही रहे हैंl इसी बात का कांग्रेस पार्टी फायदा उठाना चाहती है। इस बात को बीजेपी भी अच्छी तरह से समझती है l बीजेपी के सामने कानपुर की सीट बचाने की चुनौती है। बीजेपी को भी पता यह सीट तभी बचेगी जब कोई वीआईपी नेता चुनाव लड़ेगा।

इसलिए महत्वपूर्ण है कानपुर

2014 के चुनाव में कानपुर से बीजेपी ने डॉ. मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारकर तुरुप का एक्का चला था। क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर से जीत की हैट्रिक लगा कर चौथी बार चुनाव में उतर थे। 1999 से लगातार कानपुर से श्रीप्रकाश जीते और तब केंद्रीय राजनीति में श्रीप्रकाश जायसवाल की तूती बोलती थी। उन्हें हारने के लिए भाजपा ने नई चाल चली थी। तब नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी की सीट खाली करने के बाद मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से भाजपा ने टिकट दिया है और वे जीते भी। इसबार कांग्रेस भी ऐसा ही कुछ करके यह सीट जितना चाहती है।

Manoj Dwivedi

Manoj Dwivedi

MJMC, BJMC, B.A in Journalism. Worked with Dainik Jagran, Hindustan. Money Bhaskar (Newsportal), Shukrawar Magazine, Metro Ujala. More Than 12 Years Experience in Journalism.

Next Story