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केदारनाथ पुनर्निर्माण प्रस्ताव को नकारने के लिए मोदी का कांग्रेस पर हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (20 अक्टूबर) को उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने यहां भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया।
देहरादून : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (20 अक्टूबर) को उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने यहां भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया। इससे पहले वे 3 मई को केदारनाथ मंदिर गए थे। मोदी ने यहां 5 योजनाओं की नींव रखी। बता दें कि केदारनाथ के कपाट शनिवार को बंद हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2013 में भयंकर बाढ़ के कारण बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए प्रसिद्ध मंदिर के पुनर्निर्माण के प्रस्ताव को तात्कालिक कांग्रेस सरकार द्वारा नकारे जाने को लेकर शुक्रवार को कांग्रेस पर हमला बोला। मोदी उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे। केदारनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि भाजपा हिमालय के प्रसिद्ध मंदिर को गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ एक आदर्श तीर्थस्थल केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है।
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राज्य में 2013 में आई भंयकर बाढ़ के संदर्भ में मोदी ने कहा, "तब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और उत्तराखंड में विनाश के बाद मदद की पेशकश करने के लिए आया था। मैं पीड़ितों के लिए जो कुछ भी कर सकता था, वह करने के लिए यहां आया था। मैंने उस वक्त के मुख्यमंत्री (विजय बहुगुणा) और राज्य सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की थी और उन्हें गुजरात द्वारा केदारनाथ को दोबारा से संवारने की पेशकश की थी। मुलाकात के दौरान वे सहमत हो गए थे और मैंने बाहर आकर मीडिया में यह घोषणा कर दी।"
मोदी ने आरोप लगाया, "लेकिन, जैसे ही यब खबर टीवी पर दिखाई जाने लगी और दिल्ली पहुंची, तो वहां के लोग (यूपीए सरकार) घबरा गए और चंद ही घंटों बाद राज्य सरकार पर दबाव डालकर यह घोषणा कराई गई कि केदारनाथ का पुनर्विकास वहां की सरकार खुद करेगी।"
मोदी ने कहा, "जब इस साल उत्तराखंड में भाजपा की सरकार सत्ता में आई तो मैंने समझ लिया कि केदारनाथ के पुनर्विकास का काम हमारे द्वारा ही किया जाएगा।"
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उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री बहुगुणा और कांग्रेस पार्टी ने जून 2013 में केदारनाथ के पुनर्विकास के मोदी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और उनका 3 करोड़ रुपये का चेक भी वापस कर दिया था जो उन 2 करोड़ रुपये के अतिरिक्त था जो गुजरात ने राज्य में बारिश की आपदा से निपटने के लिए दान में दिया था।
कांग्रेस और अन्य दलों ने मोदी पर बचाव का 'रैम्बो' बनने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की थी। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि वह एक प्राकृतिक आपदा को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।
मोदी ने केदारनाथ में होने वाले काम के बारे में कहा, "हमारे द्वारा यहां किया जा रहा काम दिखाता है कि आदर्श तीर्थ क्षेत्र कैसा दिखना चाहिए, यह कैसे तीर्थ यात्रियों के मित्रवत होना चाहिए और पुजारियों के कल्याण को महत्व दिया जाना चाहिए।"
मोदी ने कहा, "हम केदारनाथ में गुणवत्ता के बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं जो आधुनिक होने के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों को भी सहेज कर रखेगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे की पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।"
साथ ही मोदी ने कहा कि इस स्थल को एक एडवेंचर स्पोर्ट स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जो क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का भी प्रदर्शन करेगा।
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मोदी केदारपुरी में कई पुनर्निर्माण परियोजनाओं और आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के मरम्मत कार्य की आधारशिला रखने के बाद बोल रहे थे, जिसे भयंकर बाढ़ में भारी क्षति पहुंची थी।
उन्होंने कहा कि हिमालय के पास आध्यात्मिक गतिविधियों,प्रकृति प्रेमियों, एडवेंचर और वॉटर स्पोर्ट में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए बहुत कुछ है।
मोदी ने कहा, "अगर हम पर्यावरण को सुरक्षित रखेंगे तो बदले में वह भी हम सबको सुरक्षित रखेगा। मैं सभी को साथ आकर हिमालय को जानने के लिए आमंत्रित करता हूं।" उन्होंने उत्तराखंड के लोगों के अनुशासन की भी सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुशासन उत्तराखंड के लोगों के खून में हैं क्योंकि यहां हर परिवार का कम से कम एक व्यक्ति सैनिक है।
उन्होंने राज्य सरकार से जैविक खेती को बढ़ावा देने और सिक्किम की तरह जैविक राज्य में बदलने का आग्रह किया।प्रधानमंत्री ने कॉरपोरेट क्षेत्र से देश के विकास के काम में शामिल होने को कहा।
उन्होंने कहा, "हमें देश के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा कॉरपोरेट समर्थन की जरूरत है। हमें और अधिक कंपनियों और उनकी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी की आवश्यकता है। हम 2022 तक भारत को पूरी तरह से विकसित करेंगे।"