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केरल त्रासदी: बाढ़ के बाद संक्रामक बीमारियों का हमला, 28 लोगों की मौत
तिरुअनंतपुरम: केरल में बाढ़ की तबाही के बाद जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा है। हालांकि, संकट के बादल अभी भी मंडरा रहे हैं। दरअसल, बाढ़ के बाद राज्यभर में संक्रामक बीमारियों का प्रकोप फैला हुआ है। दूषित पानी के संक्रमण से फैली बीमारियों के कारण एक महीने में 28 मौतें हो चुकी हैं। यहां लेप्टोस्पाइरोसिस के लिए भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अधिक दवाओं की मांग की है।
1999 में भी था लेप्टोस्पाइरोसिस का प्रकोप
बता दें कि पहली बार 1999 में लेप्टोस्पाइरोसिस बीमारी फैली थी। उस वक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी की थी कि इस तरह की बीमारी भविष्य में फिर से हो सकती है। दो दशकों बाद अब फिर से यह बीमारी केरल में अपने पैर पसार रही है। दरअसल लेप्टोपाइरोसिस चूहों, कुत्तो व दूसरे स्तनधारियों में पाई जाती है जो कि आसानी से इंसानों में फैल जाती है।
केरल में लेप्टोस्पाइरोसिस का अलर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यह बीमारी दूषित जल से फैल सकता है। 1999 में उड़ीसा में एक साइक्लोन आने के बाद फैली इस बीमारी को डॉक्टर पहचान नहीं पाए और उन्हें लगा कि मौतें किसी दूसरी बीमारी से हुई। लेकिन केरल के हालात को देखते हुए सतर्क स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने डॉक्टरों से कहा कि किसी को भी बुखार के साथ मांसपेशियों का दर्द होता है तो इसका इलाज लेप्टोस्पाइरोसिस के अनुसार किया जाए।
संवेदनशील है केरल के ये पांच जिले
बता दें कि मृतकों में तीन राहत कार्यों में जुटे वर्कर हैं। पिछले तीन दिनों में राज्य से कम से कम लेप्टोस्पाइरोसिस के 300 संदिग्ध मामले आए हैं। राज्य स्वास्थ्य निदेशालय ने कोझीकोड समेत पांच जिलों के लिए लेप्टोस्पाइरोसिस अलर्ट जारी किया है और प्रभवित लोगों को स्वयं इलाज करने से बचने को कहा है। अर्नाकुलम, मलापुरम, त्रिशूर, पलक्कड़ और कोझीकोड से इस बीमारी के अधिक मामले आए हैं और 1 अगस्त से अब तक संक्रमित बीमारियों के कारण 28 मौत हो चुकी है। निपाह के सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे कोझीकोड में अब तक 60 लेप्टोस्पायरोसिस के मामले पाए गए हैं।
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स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह
चिंतित स्वास्थ्य अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में सफाई का काम करने वालों से हफ्ते में दो बार खाने के बाद दो 100 mg डॉक्सीसाइक्लिन (doxycyline) टैबलेट लेने को कहा है। राज्य स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने कहा, ‘हम पूरी तरह सतर्कता बरत रहे हैं और हालात की निगरानी भी की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हमें सभी तरह की मदद मुहैया कराने का वादा किया है।'
बता दें कि इस बीमारी का खतरा किडनी और लीवर के रोगियों को ज्यादा होता है। इस बीमारी के लक्षण हाई फीवर, सिरदर्द, पेटदर्द और रैशेज हैं।
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