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दिल्ली में किसानों का आंदोलन खत्म, हजारों किसानों ने खुले में बिताई रात

Anoop Ojha
Published on: 3 Oct 2018 9:08 AM IST
दिल्ली में किसानों का आंदोलन खत्म, हजारों किसानों ने खुले में बिताई रात
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नई दिल्ली: किसानों का आंदोलन खत्म होने पर एनएच 24 को वाहनों के लिए खोल दिया गया है। यातायात सामान्य है. हालांकि किसानों की सड़कों पर आवाजाही को ध्यान में रखते हुए गाजियाबाद के स्कूलों को बंद रखने का प्रबंधन ने फैसला किया है. किसानों के गुजरने वाले स्थान पर एहतियातन पुलिस कड़ी नजर रखे हुए है।

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किसानों की कुल 15 मांगें है, जिसमें कर्ज माफी और फसलों की उचित लागत देने की मांग मुख्य हैं।

प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपना मार्च 10 दिन पहले हरिद्वार से शुरू किया था और मंगलवार को वे उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर पहुंचे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी।

मंगलवार को जब हजारों किसानों ने दिल्ली में प्रवेश की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर ही रोक दिया और उनकी पुलिस से झड़प हो गई, जिसमें कई किसान घायल हो गए।

इसके पहले उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों ने सोमवार की रात खुले आसमान के नीचे यहां सड़कों पर बिताई, जबकि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में घुसने नहीं दिया गया, जहां वे विरोध-प्रदर्शन करने जा रहे थे।



आन्दोलनकारी किसानों में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 140 किलोमीटर दूर स्थित सुल्तानपुर से आई करीब 150 महिलाओं का समूह भी शामिल था, जो बस और ट्रेन का सफर कर यहां पहुंची थीं।

शामलाली, जिसके पति और बेटे किसान हैं, ने मंगलवार सुबह आईएएनएस को बताया, "हम यहां इसलिए आए हैं, क्योंकि किसानों को संकट का सामना करना पड़ रहा है और कोई भी हमारी सुन नहीं रहा है। मैं अपने पूरे परिवार के साथ यहां आई हूं, जिसमें मेरी बहू और छह महीने की पोती भी शामिल है।"सड़क किनारे रात बिताने का अपना अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि वे गांव में खुले में ही रहते हैं, लेकिन यहां यह मुश्किल था।

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महिला ने कहा, "हमें कमरों के अंदर रहने की आदत वैसे भी नहीं है, लेकिन सड़क पर यातायात के बीच सोना मुश्किल था। इसके अलावा हमने सुना है कि शहर महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं, इसलिए हमें सचमुच चिंता हो रही थी।"

किसानों के इस समूह में न सिर्फ महिलाएं हैं, बल्कि किशोरियां भी शामिल हैं, जो भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले मार्च कर रही थीं।

उन्होंने कहा, "उन्होंने यह कैसे सोच लिया कि हम खतरनाक हो सकते हैं? हम केवल चाहते हैं कि सरकार हमारी चिंताओं पर विचार करे।"उनकी बात का समर्थन करती हुई 32 वर्षीय रश्मि यादव ने कहा, "सरकारी अधिकारियों ने हमें रोकने का फैसला किया, जबकि उन्हें बहुत पहले से जानकारी थी कि हम यहां आ रहे हैं।"

रश्मि ने आईएएनएस से कहा, "किसी को भी हमारी मांगों की चिन्ता नहीं है, और अब तो वे हमें विरोध प्रदर्शन भी करने नहीं दे रहे हैं कि हम लोगों के सामने अपने मुद्दों को उठाएं।"बीकेयू के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनकी संख्या 50,000 से अधिक है और उत्तराखंड के हरिद्वारा से राजधानी आए हैं।

यह पूछे जाने पर कि किस तरह से उन्होंने रात काटी? दिल्ली से 128 किलोमीटर दूर मुजफ्फरनगर की 47 वर्षीय झलक सिंह ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इस तरह से रोक दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, "हम किसान हैं, हम यहां लोगों को परेशान करने नहीं आए हैं, बल्कि अपनी मांगों को उठाने के लिए आए हैं। हममें से कुछ कारों से, कुछ ट्रैक्टर-ट्रॉली से और कुछ बस-ट्रेन से आए हैं। हमें यह उम्मीद नहीं थी कि हमें इस तरह से रोक दिया जाएगा और हमें मुख्य सड़क पर रात बितानी पड़ेगी।"

--आईएएनएस

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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