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जानिये कौन हैं भगवान अयप्पा, सबरीमाला मंदिर में जिनकी पूजा होती है

Anoop Ojha
Published on: 29 Sep 2018 4:20 AM GMT
जानिये कौन हैं भगवान अयप्पा, सबरीमाला मंदिर में जिनकी पूजा होती है
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नई दिल्ली: सुप्रीमकोर्ट ने शक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी। यह मंदिर ब्रह्मचारी और तपस्वी भगवान अयप्पा का है।सुप्रीमकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है।कोर्ट ने साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। भारत में महिलाओं के अधिकार के लिए बड़ा दिन। सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर के दरवाजे खोले। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला की परंपरा असंवैधानिक है।शीर्ष अदालत का यह फैसला इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन और अन्य की याचिकाओं पर आया है।

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कौन हैं अयप्पा भगवान

पौराणिक मान्नयता है कि भगवान अयप्पा भगवान शंकर और मोहिनी (विष्णु जी का एक रूप) का पुत्र हैं। इन्हें हरिहरपुत्र के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, हरि भगवान विष्णु को कहते हैं और हर शिव को। इन दोनों के नामों के आधार पर ही हरिहरपुत्र नाम रखा गया।भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम से भी जाना जाता है।

शैव और वैष्णवों के बीच का रास्ता मंदिर

वास्तव में यह मंदिर शैव और वैष्णवों दोनों के लिए एक बीच का रास्ता बनाता है और इस मंदिर को बनाने का मकसद भी यही था कि दोनों के बीच के फासले को कम किया जा सके।

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दक्षिण का तीर्थ सबरीमाला

सबरीमाला का मलयालम में अर्थ होता है पर्वत। यह मंदिर जंगल के बीच में है और यहां तक का सफर भक्तों को चलकर ही पूरा करना होता है। इसलिए इस मंदिर को दक्षिण का तीर्थ भी कहा जाता है। सबरीमाला मंदिर श्रद्धालुओं के लिए साल में सिर्फ नवंबर से जनवरी तक खुलता है। बाकी महीने इसे बंद रखा जाता है।भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का त्योहार सबसे खास माना जाता है, इसीलिए इस दिन यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

अपनानी पड़ती है सात्विक जीवनशैली

यहां आने वाले श्रद्धालुओं को 40 दिन पहले से सात्विक और पवित्र जीवनशैली अपनानी पड़ती है।इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। जिनमें से पहली पांच सीढ़ियां मनुष्य की 5 इंद्रियों, फिर 8 सीढ़ियां मानवीय भावनाओं, अगली 3 सीढ़ियां मानवीय गुणों और आखिर की 2 सीढ़ियां ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक मानी जाती हैं। मंदिर में लोग काले रंग के कपड़े पहनकर नहीं जाते, लेकिन सबरीमाला मंदिर में काले या नीले रंग के कपड़े पहनकर जाते हैं

राजा राजसेखरा ने कराया था मंदिर का निर्माण

मंदिर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी की मानें तो मंदिर का निर्माण कई हजार साल पहले राजा राजसेखरा ने कराया था। उन्हें पंपा नदी के किनारे अयप्पा भगवान बाल रूप में मिले थे इसके बाद वो उन्हेंं अपने साथ महल ले आए थे।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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