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जानें क्यों RBI और सरकार में ठनी, क्या बैंकों की स्वायत्तता पर भी पड़ेगा असर!
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया (आरबीआई) में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के उस बयान के बाद आरबीआई और सरकार के बीच तनातनी की खबरें आ रही है। जिसमें उन्होंने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर आवाज उठाया था। इस बीच खबर ये भी आ रही है कि इस मुद्दें पर डिप्टी गवर्नर को आरबीआई कर्मचारियों के संगठन ने अपना समर्थन दे दिया है।
ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन ने कहा है कि देश के केंद्रीय बैंक को कमजोर करने की कोशिशों का विरोध किया जाएगा।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का बयान आने के बाद आरबीआई कर्मचारियों और सरकार के बीच बढ़ रही तनातनी से केंद्र सरकार नाराज है। सरकार को इस बात का भी अंदेशा है कि कही इससे निवेशकों की नजर में भारत की छवि बिगड़ न जाए।
वहीं इस पूरे मामले पर पीएमओ के एक अफसर ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि आज ये जो कुछ भी घटना हुई है। वो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह के मामले का सार्वजनिक होना ठीक बात नहीं है। इससे केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है। सरकार इस विषय पर चिंतित है। क्योंकि सरकार को आरबीआई से इस तरह की उम्मीद नहीं थी कि वहां से भी उसे विरोध के स्वर सुनने को मिलेंगे।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार आरबीआई की स्वायत्तता और स्वतंत्रता का सम्मान करती है। लेकिन उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
ये है पूरा मामला
आरबीआई में नंबर दो माने जाने वाले डिप्टी गवर्नर आचार्य ने शुक्रवार को मुंबई में शीर्ष उद्योगपतियों के इवेंट में अपने द्वारा दिए गये एक बयान में आरबीआई की स्वायतत्ता को कमजोर करने की सरकारी कोशिशों पर प्रश्नचिन्ह खड़े किये थे।
उन्होंने कहा था कि आरबीआई की स्वायतत्ता को कमजोर करने से देश की आर्थिक स्थिति पर इसका बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है। जिसके बाद से उनका ये बयान सोशल मीडिया में तेजी के साथ वायरल हो गया।
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