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2000 PAK फौजियों को 100 सैनिकों संग खदेड़ने वाले कुलदीप सिंह चांदपुरी नहीं रहे

Manali Rastogi
Published on: 17 Nov 2018 11:32 AM GMT
2000 PAK फौजियों को 100 सैनिकों संग खदेड़ने वाले कुलदीप सिंह चांदपुरी नहीं रहे
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नई दिल्ली: फिल्म ‘बॉर्डर’ सबने देखी होगी और यह सबको याद भी होगी। यह फिल्म ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी से प्रेरित थी। बता दें, अब ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी हमारे बीच नहीं रहे। जी हां, उनका निधन हो गया। चांदपुरी ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया था।

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वह लोंगेवाला युद्ध के नायक भी कहे जाते हैं। उनका निधन मोहाली के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में 78 साल की उम्र में हुआ। जब साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था तब वह भारतीय सेना में मेजर थे। इस युद्ध के दौरान राजस्थान के लोंगेवाला बॉर्डर पोस्ट पर महज 100 सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व किया था।

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ये वही दल था, जिसने न सिर्फ पाकिस्तानी टैंकों के हमले का डटकर सामना किया बल्कि उन्हें खदेड़ा भी। जब यह लड़ाई हुई थी तब मेजर चांदपुरी महज 22 साल के थे। लोंगावाला की प्रसिद्ध लड़ाई में भारतीय सेना का वीरता के साथ नेतृत्व करने के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित भी किया गया।

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कुलदीप सिंह का जन्म गुर्जर परिवार में अविभाजित भारत के पंजाब क्षेत्र में मांटगोमेरी में 22 नवंबर 1940 को हुआ था। उसके बाद उनका परिवार तो उनके पैतृक गांव चांदपुर रुरकी चला आया जो बलचौर में है। वे एनसीसी के सक्रिय सदस्य थे। जब उन्होंने 1962 में होशियारपुर गवर्नमेंट कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की तब एनसीसी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी।

कुलदीप सिंह भारतीय सेना में सेवा देने वाले अपने परिवार के तीसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकार थे। उनके दोनों चाचा भारतीय वायुसेना में पाइलॉट ऑफिसर थे। कुलदीप सिंह अपने माता-पिता की अकेली संतान थे। वह अपने पीछे पत्नी और तीन बेटों को छोड़ गए हैं।

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