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अब पठानी सूट या पैंट शर्ट में दिखेंगे मदरसा स्टूडेंट, ऐलान के बाद विवाद शुरू
लखनऊ: यूपी मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने के एलान के बाद मंगलवार से एक नया विवाद शुरू हो गया है। मदरसों के आधुनिकीकरण और शिक्षा व्यवस्था में सुधार के नाम पर ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी में हैं। अल्पसंख्यकों कल्याण मंत्री मोहसिन रज़ा ने बताया कि मदरसा शिक्षा में आधुनिकीकरण के साथ नई पहचान के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तमाम मदरसों में छात्र आमतौर पर कुर्ता पायजामा में ही आते हैं। मदरसे के छात्रों लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है। सरकार जल्द ही ड्रेस कोड तय करेगी। मदरसों में ड्रेस कोड के तौर पर पैंट शर्ट या पठानी सूट को तरजीह मिल सकती है। सरकार के इस तैयारी का मुस्लिम धर्म गुरुओं ने विरोध शुरू कर दिया है।
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कुरान और लैपटॉप साथ-साथ
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसों में एनसीआरटी पाठ्यक्रम लागू किया है। मदरसे के छात्र उर्दू के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी माध्यम से भी पढ़ाई करेंगे। दीनी तालीम के साथ ही अरबी, फारसी, उर्दू व अरबी में देने के अलावा गणित, विज्ञान सामाजिक विज्ञान, कंप्यूटर आदि की शिक्षा उर्दू, हिंदी व अंग्रेजी में देने का निर्णय लिया है। दीनी तालीम के साथ मदरसों में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, कंप्यूटर व सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई के साथ एनसीईआरटी की किताबें भी पाठ्यक्रम में शामिल करने और उर्दू के साथ हिंदी व अंग्रेजी माध्यम में भी पढ़ाई का प्रस्ताव है। अल्पसंख्यकों कल्याण मंत्री मोहसिन रज़ा कहते हैं, कि ड्रेस कोड इस लिए ज़रूरी है, क्यों समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा समाज में जो अच्छा दिखे उसे अपना लेना चाहिए। मोहसिन रज़ा ने कहा कि हम सब का साथ और सब का विकास चाहते हैं। प्रधानमंत्री भी चाहते हैं कि मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में क़ुरान तो दूसरे हाथ में लैपटॉप होना चाहिए।
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ड्रेस कोड पर विवाद शुरू
एक तरफ सरकार जहाँ मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी में हैं वहीँ सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। शिया चाँद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नक़वी कहते हैं, कि ऐसे बयानों से कोई फायदा नहीं होने वाला नहीं है उन्होंने कहा कि पहले मदरसे के टीचरों को उनकी सेलरी और एड देना चाहिए उस के बाद फिर पायजामे कुर्ते और पैंट शर्ट बात होनी चाहिए। मौलाना ने कहा कि सरकार मुद्दे से भटकाने के लिए ऐसे बयानात जारी करा रही है। सुन्नी मौलाना सुफियान कहते हैं, कि देश में जितने भी मदरसे और कालेज चलते हैं। उन के ड्रेस कोड मैनेजमेंट तय करता है। लेकिन बार मदरसों को टारगेट किया जा रहा है। मौलाना सुफियान ने कहा कि मदरसा प्रबंधों को यह अधिकार है कि वह ड्रेस तय करे। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को अपने धर्म के आधार पर ड्रेस पहनते हैं। तो मदरसों पर क़ानून का बहाना लेकर क्यों ड्रेस कोड लागू करने की कोशिश हो रही है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रज़ा इससे पहले भी विवादों में रहे हैं। हज हाऊस को भगवा रंग में रंगवा कर मोहसिन रज़ा सुर्खियां बटोर चुके हैं।