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एयरसेल-मैक्सिस डील केस: पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन सहित सभी आरोपी बरी

सीबीआई की विशेष अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस सौदे में मनी लाॅड्रिंग के मामले में गुरूवार (2 फरवरी) को फैसला सुनाते हुए पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन, उनके भाई और सन नेटवर्क के मालिक कलानिधि मारन के साथ बाकी आरोपियों को बरी कर दिया है।

tiwarishalini
Published on: 2 Feb 2017 7:13 PM IST
एयरसेल-मैक्सिस डील केस: पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन सहित सभी आरोपी बरी
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नई दिल्ली: सीबीआई की विशेष अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस डील में मनी लाॅड्रिंग के मामले में गुरूवार (2 फरवरी) को फैसला सुनाते हुए पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन, उनके भाई और सन नेटवर्क के मालिक कलानिधि मारन के साथ बाकी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में सीबीआई और ईडी ने केस दर्ज कराए थे। केस से बरी होने पर खुशी जताते हुए दयानिधि मारन ने कहा कि उन्हें काफी राहत महसूस हो रही है।

हालांकि कोर्ट के इस आदेश का दो आरोपियों मलेशियाई नागरिकों राल्फ मार्शल और टी आनंद कृष्णन पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि अदालत ने उनके खिलाफ सुनवाई को मारन बंधुओं तथा अन्य के खिलाफ चल रही सुनवाई से अलग कर दिया था।

इस मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज ओपी. सैनी ने यह फैसला सुनाया। सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच की थी। सीबीआई ने मारन ब्रदर्स के अलावा राल्फ मार्शल, टी. आनंद कृष्णन, सन डायरेक्ट टीवी, ऑल एशिया नेटवर्क यूके और साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट को सुनवाई के दौरान मारन ब्रदर्स और अन्य के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

इसी मामले में तब के टेलिकॉम सेक्रेटरी जेएस. शर्मा के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था। उनकी जांच के दौरान मौत हो गई थी। ईडी ने मनी लांड्रिंग केस में मारन ब्रदर्स के अलावा कलानिधी की वाइफ कावेरी और कुछ दूसरे लोगों के नाम लिए थे। सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों ने खुद पर लगाए गए आरोपों को नकार दिया था।

ईडी ने इस मामले में 1 अप्रैल 2015 को दयानिधि मारन, कलानिधि मारन और कावेरी मारन की करीब 742 करोड़ की संपत्ति को जब्त किया था। साल 2006 में सीबीआई ने कोर्ट में ये आरोप लगाया था कि दयानिधि मारन ने चेन्नई के टेलीकॉम ऑपरेटर सी शिवाशंकरन को एयरसेल और मैक्सिस ग्रुप में अपना हिस्सा बेचने के लिए दबाव बनाया था।

दयानिधि मारन साल 2004 से 2007 तक टेलीकॉम मंत्री थे, और डॉ मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में उनका स्थान ए राजा ने लिया था, जो उन्हीं की पार्टी के सदस्य थे, और बाद में उन पर भी बहुत बड़े 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का आरोप लगा।

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