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दलित मुद्दे पर मीरा कुमार बोलीं- जाति को गठरी में बांधकर जमीन में गाड़ देना चाहिए

aman
By aman
Published on: 27 Jun 2017 8:22 AM GMT
दलित मुद्दे पर मीरा कुमार बोलीं- जाति को गठरी में बांधकर जमीन में गाड़ देना चाहिए
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दलित मुद्दे पर मीरा कुमार बोलीं- जाति को गठरी में बांधकर जमीन में गाड़ देना चाहिए

नई दिल्ली: यूपीए की की राष्ट्रपति पद की दवार मीरा कुमार ने मंगलवार (27 जून) को प्रेस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, कि 'विपक्ष की पार्टियों ने सर्वसम्मति से मुझे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया है। विपक्षी दलों की एकता समान विचारधारा पर आधारित है। लोकतांत्रिक मूल्यों, पारदर्शिता, प्रेस की आजादी और गरीब का कल्याण हमारी विचारधारा के अंग हैं। इनमें मेरी गहरी आस्था है।' मीरा कुमार ने कहा, कि इस चुनाव में मैं इस विचारधारा पर ही राष्ट्रपति चुनाव लडूंगी।

मीरा कुमार ने प्रेस को ये भी जानकारी दी कि उन्होंने निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर समर्थन की अपील की है। उन्होंने कहा, उनके सामने इतिहास रचने का अवसर है।

साबरमती आश्रम से शुरू करूंगी प्रचार

मीरा कुमार ने कहा, कि 'मैं अपना प्रचार साबरमती आश्रम से शुरू करुंगी। दलित मुद्दे पर बोलते हुए मीरा कुमार ने कहा, कि कई जगहों पर ये चर्चा है कि दो दलित आमने-सामने हैं। हम अभी भी ये आकलन कर रहे हैं कि समाज किस तरह सोचता है। जब उच्च जाति के लोग उम्मीदवार थे, तो उनकी जाति की चर्चा नहीं होती थी।' उन्होंने कहा, कि 'जाति को गठरी में बांधकर जमीन में गाड़ देना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।

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मीरा-कोविंद हैं आमने-सामने

गौरतलब है कि इस बार राष्ट्रपति पद के जो दो उम्मीदवार मैदान में हैं उनमें एक मीरा कुमार तो दूसरे रामनाथ कोविंद हैं। हालांकि, हर लिहाज से दोनों ही व्यक्ति काबिल हैं। मीरा कुमार को इससे पहले देश लोकसभा अध्यक्ष के रूप में देख चुकी है। मीरा पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं। उन्हें अगली पीढ़ी का दलित माना जाता है। 1970 के दशक में मीरा कुमार भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुनी गई थीं। उन्होंने कई देशों में राजनयिक के रूप में सेवाएं भी दी हैं।

कोविंद का व्यक्ति परिचय

जबकि कोविंद यूपी के कानपुर देहात से हैं। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ है। उन्होंने कानपुर के एक कॉलेज से पढ़ाई की और आरएसएस से जुड़ने के बाद राजनीति में कदम रखा। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किए जाने से पहले वो बिहार के राज्यपाल थे। खास बात है कि कोविंद का चयन भी प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ था। लेकिन उन्होंने नौकरी करने की जगह वकालत करना पसंद किया।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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