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फंड जुटाने के लिए 1 ख़रब का विनिवेश कर सकती है केंद्र सरकार

aman
By aman
Published on: 28 Jan 2018 5:16 PM IST
फंड जुटाने के लिए 1 ख़रब का विनिवेश कर सकती है केंद्र सरकार
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फंड जुटाने के लिए 1 ख़राब का विनिवेश कर सकती है केंद्र सरकार

नई दिल्ली/लखनऊ: जीएसटी से टैक्स कलेक्शन में आई कमी केंद्र सरकार की परेशानी का सबब बनी हुई है। इससे राजकोषीय घाटा भी बढ़ने की उम्मीद है। केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए एक खरब रुपये की भारी-भरकम रकम सरकारी संपत्तियों को बेचकर जुटा सकती है।

केंद्र सरकार आर्थिक स्थिति में सुधार और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए ये कदम उठा रही है। बड़े पैमाने पर विनिवेश से मोदी सरकार का ये मानना है कि इससे मतदाताओं को लुभाने में मदद मिलेगी।

इन्वेस्टमेंट बैंकर्स और अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस साल बड़े पैमाने पर विनिवेश करने के बाद अरुण जेटली की ओर से 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्तीय वर्ष में बड़े पैमाने पर विनिवेश का लक्ष्य रखा जा सकता है। सरकारी तेल शोधक कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम ऐंड कॉर्पोरेशन लिमिटेड के 51 प्रतियात शेयर को ओएनजीसी द्वारा खरीदने समेत तमाम विनिवेश समझौतों से सरकार ने इस साल 925 अरब रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। हाल ही में ओएनजीसी ने 369 रुपये में एचपीसीएल के शेयरों को खरीदने पर सहमति जताई है। उम्मीद की जा रही है कि ओएनजीसी और एचपीसीएल के बीच डील इस महीने के अंत तक पूरी हो जाएगी।

इस डील के चलते सरकार को बजट तक विनिवेश के जरिए 725 अरब रुपये जुटाने में मदद मिलेगी। बीते 8 सालों में यह पहला मौका होगा, जब भारत विनिवेश के अपने लक्ष्य से आगे निकल जाएगा। जीएसटी लागू होने के बाद से टैक्स कलेक्शन में कमी होने के चलते सरकार ने इस वित्तीय साल में सरकारी कंपनियों में विनिवेश की गति बढ़ा दी है। सरकार ने इस साल के लिए राजकोषीय घाटे को कुल जीडीपी के 3.2 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा अगले साल के लिए यह लक्ष्य 3 फीसदी का ही रखा गया है।

सूत्रों ने कहा, कि अगले वित्तीय साल में सरकार 600 से 700 अरब रुपये तक का विनिवेश लक्ष्य तय कर सकती है। सिटी ग्रुप और डोएचे बैंक का अनुमान है कि यह आंकड़ा 1 खरब रुपये तक भी जा सकता है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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