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मन की बात में मोदी ने अफगानिस्तान के साथ पहले टेस्ट मैच को याद किया
नई दिल्ली: रविवार 24 जून को पीएम नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में 45वीं बार देशवासियों के सामने अपने विचार रखे। उन्होंने भारत-अफगानिस्तान के पहले टेस्ट मैच का जिक्र किया।
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कुछ दिन पहले बेंगलुरु में अफगानिस्तान-भारत के बीच ऐतिहासिक मैच हुआ। यह अफगानिस्तान का पहला टेस्ट मैच था। हालांकि ये मैच दो दिन में ही खत्म हो गया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने लिखा था राशिद क्रिकेट की दुनिया का एसेट हैं। यह पहला मैच था इसलिए याद रहना तो जरूरी है। मेरे लिए अलग वजह से याद करने वाला है।
दोनों टीमों ने साथ में फोटो खिंचाई
भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेते समय अफगानिस्तान की टीम को आमंत्रित किया और दोनों टीमों ने साथ में फोटो खिंचाई। खिलाड़ी भावना क्या होती है, इससे हम ये सीख सकते हैं। भारत और अफगानिस्तान दोनों टीमों को मेरी शुभकामनाएं हैं।
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मोदी ने कहा कि योग करने में पूरी दुनिया एकजुट नजर आई। सऊदी अरब में कई आसनों का डेमोस्ट्रेशन तो महिलाओं ने किया। योग सभी सीमाओं केा तोड़कर जोड़ने का काम करता है।
लोगों ने इसे बहुत बड़ा उत्सव बना दिया। अहमदाबाद का एक दृश्य तो दिल को छूने वाला था। वहां 750 दिव्यांग भाई-बहनों ने योग करके विश्व कीर्तिमान बना डाला। वसुधैव कुटुम्बकम के जिस भाव को हम जीते आए हैं, योग ने उसे साबित किया है। योग से वेवनेस की जो मुहिम चली है अधिक से अधिक लोग जीवन का हिस्सा बनाएंगे।
मन की बात के माध्यम से डॉक्टर्स डे की दी शुभकामनाएं
'लोगों ने नमो ऐप पर डॉक्टरों के बारे में बोलने की अपील की है। हम वो लोग हैं जो स्वभावत: मां को भगवान के बराबर मानते हैं। मां जीवन देती है तो डॉक्टर हमें पुनर्जन्म देता है। डॉक्टर की भूमिका सिर्फ इलाज करने तक नहीं होती, वे परिवार के हिस्सा होते हैं। डॉक्टरों के पास मेडिकल की एक्सपर्टाइज तो होती है,उसे जनरल लाइफ का भी नॉलेज होता है। वह जानता है कि इसका जीवन पर क्या असर होता है। मन की बात के माध्यम से 1 जुलाई को आने वाले डॉक्टर्स डे की शुभकामनाएं देता हूं।'
मोदी ने कहा कि भारत में कोई ऐसा दिन नहीं है, जिस दिन कोई न कोई ऐतिहासिक घटना न जुड़ी हो। देश के कोने-कोने में महान हस्तियां हुई हैं। जब मैं गुजरात में था तो वहां कबीरगढ़ में एक बड़ा राष्ट्रीय अधिवेशन किया था।
मगहर को अपवित्र माना जाता था
माना जाता था कि मगहर में जिसकी मृत्यु होती है वह स्वर्ग नहीं जाता। मगहर को अपवित्र माना जाता था। कबीर इसे नहीं मानते थे। ऐसी कुरीतियों को तोड़ने का कबीर ने काम किया। वे मगहर गए और वहीं शरीर त्यागा। उनकी रचनाओं में यही आदर्श देखने को मिलता है। उन्होंने सामाजिक समरसता पर काफी जोर दिया था। उन्होंने लिखा था- जात ने पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।"
कबीर का एक दोहा है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। ऐसे ही जगतगुरु हैं गुरुनानक देव। गुरुनानक देव ने समाज में जातिगत भेदभाव खत्म करने और पूरी मानव जाति को गले लगाने की शिक्षा दी। वे कहते थे गरीब और जरूरतमंदों की सेवा ही भगवान की सेवा है।
2019 में उनका 550 वां प्रकाश वर्ष मनाया जाएगा। मेरी लोगों से अपील है कि इसे कैसे मनाया जाए उस पर हम सोचें और तैयारियां करें। गौरव के साथ इस प्रकाश पर्व को प्रेरणा पर्व बनाएं।'