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26/11 की 8वीं बरसीः आज भी भारत की गिरफ्त से दूर है हमले का मास्‍टरमाइंड

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Published on: 26 Nov 2016 9:38 AM IST
26/11 की 8वीं बरसीः आज भी भारत की गिरफ्त से दूर है हमले का मास्‍टरमाइंड
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26/11 की 8वीं बरसीः आज भी भारत की गिरफ्त से दूर है हमले का मास्‍टरमाइंड

मुंबई: 26 नवंबर 2008 ये वो तारीख है जिसे आज भी लोग जब याद करते है, तो उनकी रूह कांप उठती है। आज 26/11 की 8वीं बरसी है, लेकिन इस हमले का मास्‍टरमाइंड अब भी भारत की गिरफ्त से दूर पाकिस्‍तान में खुलेआम घूम रहा है। उस दिन सूरज ने सुबह ही अपनी लालिमा दिखा कर लोगों को मुंबई पर होने वाले हमले का संकेत दे दिया था।

मुंबई की शान कहे जाने वाले ताज होटल, सीएसटी रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस, कामा हॉस्पिटल जैसे फेमस स्थानों पर 10 हमलावरों ने मौत का तांडव खेला था। इसमें तकरीबन 166 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, और ना जाने कितने लोग इस हमले में घायल हुए थे।

समुद्री तट से शुरू हुआ था मौत का सफर

– 26 नवंबर की शाम कोलाबा के समुद्री तट पर एक बोट से 10 पाकिस्तानी आतंकी मुंबई में घुसे थे।

– मच्छीमार कॉलोनी से बाहर निकलते ही ये आतंकी दो-दो की टोलियों में बंट गए थे।

– इनमें से दो आतंकी नरीमन हाउस की तरफ, दो आतंकी सीएसटी की तरफ और चार आतंकियों की टीम होटल ताज की तरफ रवाना हुई थी।

– बाकी के दो आतंकियों को होटल ट्राईडेंट ओबरॉय की तरफ भेजा गया था।

आतंक के साए में 60 घंटे

- इमरान बाबर और अबू उमर नामक के दो आतंकी लियोपोल्ड कैफे पहुंचे थे।

-रात करीब 9.30 बजे जोरदार धमाका किया, जिसमें कई लोगों ने अपनी जाने गवां दी थी।

-आतंकियों की दूसरी टीम में अजमल आमिर कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे।

-दोनों सीएसटी पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे थे।

-इन दोनों आतंकियों ने यहां 57 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

-60 घंटों तक चले मुंबई के इस हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था।

सीएसटी स्टेशन का खौफनाक मंजर

देश का सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाला छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशनों जहां आतंक का खूनी खेल सबसे ज्यादा खौफनाक था। जांच अधिकारियों के अनुसार वहां गोलीबारी में आतंकवादी अजमल आमिर कसाब और इस्माइल खान शामिल थे। दोनों के हाथ में एके-47 राइफ़लें थी। दोनों आतंकियों ने यहां अंधाधुंध गोलियां चलाई। इसमें 58 लोगों की मौत हुई और करीबन 109 लोगों को ज़ख़्मी कर दिया था।

लियोपोल्ड कैफ़े

दक्षिणी मुंबई का लियोपोल्ड कैफ़े तीन दिनों से चले खूनी खेल का दूसरा निशाना था। यहां आतंकियों ने देश के लोगों को नहीं बल्कि विदेश के 10 लोगों को मौत की नींद सुलाई थी । 10 :40 बजे विले पारले इलाक़े में एक टैक्सी को बम से उड़ाने की ख़बर मिली, जिसमें ड्राइवर और एक यात्री मारा गया। धमाके में एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की जानें जा चुकी थीं और उसमें तकरीबन 15 लोग घायल भी हुए थे।

सबसे बड़ा निशाना मुंबई का ताज होटल

ताज पर जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय होटल में 380 मेहमान मौजूद थे। ताज होटल की इमारत से निकलता धुंआ तो बाद में हमलों की पहचान बन गया। हमलों की अगली सुबह यानी 27 नवंबर को ख़बर आई कि ताज से सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है। बाद में पता चला कि हमलावरों ने कुछ और लोगों को बंधक बना रखा है, जिनमें कई विदेशी भी शामिल हैं।

होटल रैपिड एक्शन फोर्ड (आरपीएफ़), मैरीन कमांडो और नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) कमांडो से घिरे रहे। एक तो एनएसजी कमांडो के देर से पहुंचने के लिए सुरक्षा तंत्र की खिंचाई हुई तो हमलों की लाइव मीडिया कवरेज ने भी आतंकवादियों की ख़ासी मदद की कहां क्या हो रहा है, सब उन्हें अंदर टीवी पर दिख रहा था।

26/11 में मारे गए शहीदों के नाम

मुंबई हमले में हमने मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, हेमंत करकरे, अशोक कामटे, अरुण जाधव, एएसआई तुकाराम ओंबले और विजय सालस्करकई जैसे वीर सपूतों को खो दिया। यह हमला सिर्फ मुंबई पर ही नहीं बल्कि पूरे देश को रुला कर गया था। 26-28 नवंबर तक रात दिन चली मुठभेड़ के बाद आतंकियों को मार गिराया गया था और एक को जिंदा पकड़ लिया गया था। इस एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को 21/11 को पुणे की जेल में फांसी दे दी गई।

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