मुंबई: अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराया गया था जिसका बदला अंडरवर्ल्ड से जुडे लोगों ने 12 मार्च 1993 को मायानगरी मुम्बई को दहला कर ले लिया। वो कयामत का दिन था जब देश की मायानगरी दहल उठी थी। 12 सीरियल धमाकों ने इस शहर को हिलाकर रख दिया था।
12 मार्च, 1993 को तेज रफ्तार से दौड़ती मुंबई को अचानक ब्रेक लग गया था। बांबे स्टॉक एक्सचेंज की इमारत एकदम से हिल गई थी और लोगों ने एक कान फोड़ देने वाला पहला धमाका सुना। फिर यह सिलसिला रुका नहीं, एक के बाद एक 13 धमाके हुए और मुंबई ही नहीं पूरा देश दहल उठा था। मुंबई पर आतंक ने हमला बोल दिया था।
थर्रा गई थी 29 मंजिला बीएसई की इमारत
12 मार्च की दोपहर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की इमारत के बाहर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट पर ऐसा धमाका हुआ, जिसकी आवाज मीलों तक सुनी गई। 29 मंजिला बीएसई की इमारत थर्रा गई थी। जो जहां था वहीं गिर पड़ा और काला धुआं छंटा तो तबाही सामने आई। चारों ओर छितराईं लाशें, रोते-बिलखते और डर से चीखते लोग दिख रहे थे। उस वक्त देश की आर्थिक राजधानी के शेयर बाजार में दो हजार लोग मौजूद थे।
बेसमेंट की पार्किंग में आरडीएक्स से लदी एक कार में टाइमर के जरिये धमाका हुआ था, जिसमें 84 बेगुनाह मारे गए और करीब सवा दो सौ जख्मी हुए थे। ये तो शुरुआत थी, दस मिनट बाद नर्सी नत्था स्ट्रीट की अनाज मंडी के एक ट्रक में धमाका हुआ।
जब तक शहर कुछ समझ पाता 50 मिनट बाद स्टॉक एक्सचेंज से कुछ ही दूर एयर इंडिया की इमारत के पार्किंग में धमाका हुआ। ये विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि बेसमेंट की दोनों मंजिलों में बड़े गड्ढे पड़ गए। गुलजार रहने वाली अनाज मंडी में चीखें गूंजने लगीं।
बस में हुआ जोरदार धमाका
मंडी में 5 लोग मारे गए और 50 से ज्यादा लहुलुहान जमीन पर पड़े थे। हवा में गूंजते एंबुलेंस का सायरन वह नहीं सुन पा रहे थे। वह सोच रहे थे कि क्या इन दोनों धमाकों में कोई रिश्ता है। यहां तो गहरा रिश्ता था, क्योंकि कुछ ही पल बाद दिन के ढाई बजे शिवसेना भवन के पास भी बम फट चुका था। उस वक्त ना तो सेल फोन था और ना ही पेजर, फिर भी खबर जंगल में आग की तरह फैली। शिवसेना भवन के पास हुए धमाके ने 4 की जान गई और 50 जख्मी हुए थे।
तीन मिनट बाद नरीमन प्वाइंट की एयर इंडिया बिल्डिंग धमाके से दहल गई और 20 लोग बेमौत मारे गए। वर्ली के सेंचुरी बाजार के सामने मौत का तांडव दिखा। वर्ली के सेंचुरी बाजार में एक डबल डेकर बस में धमाका हुआ था। 5 दूसरी बसें भी इसकी चपेट में आ गई थीं। यात्री समेत सब कुछजल कर राख हो चुका था। अकेले इस धमाके में 113 लोग मारे गए थे। उस वक्त वर्ली शायद निशाने पर था, इसीलिए पासपोर्ट दफ्तर के पास ही एक दूसरा धमाका भी हुआ।
डेढ़ घंटे में हुए थे 7 धमाके
हादसे को देखने और झेलने वालों के लिए ये धमाके एक डरावने सपने की तरह हैं। उन्हें नहीं पता था कि अगले एक घंटे में मुंबई 6 और धमाकों से दहलने वाली है। माहिम कॉसवे में धमाके ने तीन की जान ले ली। तभी हीरे-जवाहरात का बाजार धमाके से दहल उठा और 17 लोग मारे गए। जवेरी बाजार में एक लावारिस स्कूटर में विस्फोटक रखे गए थे। तब तक डेढ़ घंटे में सात धमाके हो चुके थे। मुंबई के कई हिस्से श्मशान घाट जैसे दिख रहे थे।
पांच मिनट बाद ही बांद्रा के सी रॉक होटल की 18वीं मंजिल में धमाका हुआ। किस्मत अच्छी थी, इसमें किसी का नुकसान न हुआ, लेकिन तीन मिनट बाद प्लाजा सिनेमा की पार्किंग में खड़ी कार में धमाके 10 लोगों की जान ले ली। अगले सात मिनट तक यूं ही सन्नाटा पसरा रहा फिर जुहू से खबर आई। वहां सेंटार होटल में धमाका हुआ था, जिसमें तीन लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। फिर सहारा एयरपोर्ट के पास भी एक हल्का धमाका हुआ। उसके तुरंत बाद एयरपोर्ट के करीब सेंटॉर होटल में एक और जानलेवा विस्फोट हुआ, दो बेगुनाह और मारे गए। मुंबई ने मातम ओढ़ लिया था।
बदल चुकी थी मुंबई की तस्वीर
दो घंटे दस मिनट ने मुंबई को लहूलुहान कर दिया था, तेरह धमाके, 257 मौत और अनगिनत जख्म, मुंबई की तस्वीर बदल चुकी थी। कश्मीर और पंजाब के आतंकवाद से बिल्कुल अलग और जब इस आतंकवाद की तस्वीर साफ होने लगी तब तक तो ये आतंकवादी देश छोड़ कर भाग चुके थे।
इस वक्त पर हुए धमाके
पहला धमाका-दोपहर 1.30 बजे, मुंबई स्टॉक एक्सचेंज
दूसरा धमाका-दोपहर 2.15 बजे, नरसी नाथ स्ट्रीट
तीसरा धमाका-दोपहर 2.30 बजे, शिव सेना भवन
चौथा धमाका-दोपहर 2.33 बजे,एयर इंडिया बिल्डिंग
पांचवा धमाका-दोपहर 2.45 बजे,सेंचुरी बाज़ार
छठा धमाका-दोपहर 2.45 बजे, माहिम
सातवां धमाका-दोपहर 3.05 बजे,झावेरी बाज़ार
आठवां धमाका-दोपहर 3.10 बजे,सी रॉक होटल
नौवां धमाका-दोपहर 3.13 बजे,प्लाजा सिनेमा
दसवां धमाका-दोपहर 3.20 बजे,जुहू सेंटूर होटल
ग्यारवां धमाका-दोपहर 3.30 बजे,सहार हवाई अड्डा
बारहवां धमाका-दोपहर 3.40 बजे,एयरपोर्ट सेंटूर होटल
दाऊद हमले का मुख्य आरोपी
इस सीरियल ब्लास्ट में करीब 27 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इसके बाद इस मामले की छानबीन शुरू हुई। सुनवाई के लिए विशेष अदालत गठित की गई। पुलिस ने तकरीबन दस हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और लगभग 686 गवाहों को पेश किया। ये आंकड़े इतना बताने के लिए काफी हैं कि इन धमाकों में संलिप्तता कितनी गहरी थी।
देश की आजादी के बाद अदालत में जितने भी मामले दर्ज हुए हैं, ये उनमें से सबसे संगीन और पेचींदा माना जाता है। इस मामले का मुख्य आरोपी घोषित किया गया अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम कासकर, जो आज भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। इंटरपोल के जरिए दाऊद इब्राहिम के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया लेकिन आज भी उस तक दुनिया की कोई भी पुलिस नहीं पहुंच पाई।
19 नवंबर 1993 में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। 19 अप्रैल 1995 को मुंबई की टाडा अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। अगले दो महीनों में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। अक्टूबर 2000 में सभी अभियोग पक्ष के गवाहों के बयान समाप्त हुए थे। अक्टूबर 2001 में अभियोग पक्ष ने अपनी दलील खत्म की थी। सितंबर 2003 में मामले की सुनवाई समाप्त हुई थी, सितंबर 2006 में अदालत ने अपने फैसले देने शुरू किए।