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सबसे गरीब हैं अल्फोंस, जबकि हरदीप की संपत्ति का ब्योरा ADR के पास नहीं
लखनऊ: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज (3 सितंबर) अपने मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल किया। एडीआर के मुताबिक, रविवार को मंत्री बने लोगों में सबसे कम पैसे वाले अल्फांसे हैं जबकि ब्यूरोक्रेट होने के कारण हरदीप की संपत्ति का ब्योरा मौजूद नहीं है।
1- शिव प्रताप शुक्ला (उत्तर प्रदेश)
शिव प्रताप शुक्ला यूपी से राज्यसभा सांसद हैं। वो संसदीय समिति (ग्रामीण विकास) के सदस्य भी हैं। शुक्ला 1989 से 1996 तक लगातार चार बार विधायक रहे और यूपी सरकार में 8 साल तक कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। फिर 1970 के दशक में बतौर छात्र नेता राजनीति में कदम रखा। राज्यसभा नामांकन के लिए दिए गए हलफनामे के मुताबिक, शुक्ला के पास 7 करोड़ 35 लाख रुपए की चल-अचल संपत्ति है। उन पर कोई देनदारी नहीं है। हलफनामे के अनुसार शुक्ला पर दो मामले दर्ज हैं।
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2- अश्विनी कुमार चौबे (बिहार)
अश्विनी कुमार चौबे बिहार के बक्सर से लोकसभा सांसद हैं। चौबे संसदीय समिति (ऊर्जा) के सदस्य भी हैं। वो 5 बार विधायक चुने जा चुके हैं। चौबे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष के तौर पर की थी। अश्विनी 70 के दशक में जेपी मूवमेंट का हिस्सा भी रह चुके हैं और इस दौरान वह जेल भी गए थे। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में उन्होंने 2 करोड़ 21 लाख रुपये की अपनी चल-अचल संपत्ति बताई थी। उसवक्त उन पर करीब उन 19 लाख रुपये की देनदारी थी। उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है।
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3.वीरेंद्र कुमार (मध्य प्रदेश)
वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से लोकसभा सांसद हैं। वो 6 बार से लोकसभा सांसद हैं। 70 के दशक में वीरेंद्र ने जेपी मूवमेंट में हिस्सा लिया था और इमरजेंसी के दौरान वो मीसा के तहत 16 महीने जेल में भी रहे थे। दलित समुदाय से आने वाले वीरेंद्र कुमार अनाथालय, स्कूल और ओल्ड एज होम (बुजुर्गों के लिए घर) के लिए भी काम करते हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में उन्होंने 87 लाख 64 हजार रुपये की संपत्ति की घोषणा की थी. उन पर कोई देनदारी नहीं है। उन पर कोई मामला दर्ज नहीं है।
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4- अनंत कुमार हेगड़े (कर्नाटक)
महज 28 साल की उम्र में वह पहली बार सांसद चुने गए थे। अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान हेगड़े कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे हैं, जिनमें वित्त, गृह, मानव संसाधन, कृषि और विदेश विभाग शामिल हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में उन्होंने 3 करोड़ 23 लाख 67 हजार रुपये की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था। उन पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये की देनदारी थी। हेगड़े पर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
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5- राज कुमार सिंह (बिहार)
राज कुमार सिंह बिहार के आरा से लोकसभा सांसद हैं। आर.के. सिंह 1975 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं और भारत के गृह सचिव का पद संभाल चुके हैं। सिंह ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और नीदरलैंड की आरवीबी ड्वेल्फ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उन्हें पुलिस और जेल के मॉडर्नाइजेशन की दिशा में किए गए सराहनीय कार्यों के लिए जाना जाता है । 2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 4 करोड़ 84 लाख रुपये दर्शायी थी। उन पर कोई देनदारी नहीं है। सिंह के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं है।
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6- गजेंद्र सिंह शेखावत (राजस्थान)
राजस्थान के जोधपुर से लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत प्रगतिशील किसान के रूप में जाने जाते हैं। शेखावत वित्तीय मामलों पर बनी संसदीय समिति के प्रमुख भी हैं। सादा जीवन उच्च विचार वाली सोच रखने वाले शेखावत राजस्थान में अपनी सादगी के लिए काफी लोकप्रिय हैं। खेलों के शौकीन शेखावत ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ स्पोर्ट्स के सदस्य भी हैं । 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने कुल 14 करोड़ 35 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था, जिसमें उन पर करीब 9 करोड़ रुपये की देनदारी थी। गजेंद्र सिंह शेखावत पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
7- सत्यपाल सिंह (यूपी)
यूपी के बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। वो मुंबई, पुणे और नागपुर पुलिस के कमिश्नर रह चुके हैं । उन्हें मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के नक्सली इलाकों में 90 के दौर में बेहतरीन कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा मेडल भी दिया जा चुका है । केमिस्ट्री में एमएससी और एमफिल के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट में एमबीए किया। इसके साथ ही वह पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए और नक्सलवाद में पीएचडी भी कर चुके हैं । 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में उन्होंने अपनी कुल चल-अचल संपत्ति 6 करोड़ 74 लाख रुपये घोषित की। उन पर करीब साढ़े तीन लाख रुपये की देनदारी थी । सत्यपाल सिंह पर कोई केस दर्ज नहीं है।
8- हरदीप सिंह पुरी (डिप्लोमैट)
पुरी 1974 बैच के आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) अधिकारी हैं। उन्हें विदेश नीति और नेशनल सिक्योरिटी मामलों का जानकार माना जाता है। हरदीप सिंह पुरी कई देशों में राजनयिक सेवाएं दे चुके हैं। वह संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत के डेलिगेशन के हेड के तौर पर भी काम कर चुके हैं। पुरी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है और आईएफएस बनने से पहले वह सेंट स्टीफेंस कॉलेज में लेक्चरर भी रह चुके हैं। चूंकि पुरी राजनैतिक पृष्ठभूमि से नहीं आते हैं, लिहाजा उनका ब्योरा ADR के पास मौजूद नहीं है।
9- अल्फोंस कन्ननाथनम (केरल)
अल्फोंस कन्ननाथनम 1979 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं। कन्ननाथनम 'डिमॉलिशन मैन' के नाम से भी जाने जाते हैं। दिल्ली डेवलेपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) का कमिश्नर रहने के दौरान उन्होंने 15 हजार अवैध इमारतों का अतिक्रमण हटवा दिया था। वो अमरीका की टाइम मैग्जीन के 100 युवा ग्लोबल लीडर्स की लिस्ट में भी जगह बना चुके हैं । उनके कार्यकाल के दौरान 1989 में कोट्टयम शत-प्रतिशत साक्षरता हासिल करने वाला भारत का पहला टाउन बना था। वो शिक्षा के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते हैं । उनकी किताब 'मेकिंग अ डिफरेंस' बेस्ट सेलिंग किताब बन चुकी है । केरल में 2006 से 2011 तक वह निर्दलीय विधायक भी चुने जा चुके हैं जिसमें उन्होंने कुल 19 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था। ब्योरे में उन्होंने 21 लाख रुपए की देनदारी का भी जिक्र किया था ।