आरबीआई ने नहीं बदलीं नीतिगत ब्याज दरें, रेपो रेट 6.25% पर बरकरार

आरबीआई ने बुधवार (07 जून) को मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 6.25% और रिवर्स रेपो रेट को भी 6% पर ही बरकरार रखा।

tiwarishalini
Published on: 7 Jun 2017 9:44 AM GMT
आरबीआई ने नहीं बदलीं नीतिगत ब्याज दरें, रेपो रेट 6.25% पर बरकरार
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आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक कल., ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद

नई दिल्ली: आरबीआई ने बुधवार (07 जून) को मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 6.25% और रिवर्स रेपो रेट को भी 6% पर ही बरकरार रखा। आरबीआई ने अप्रैल में रिवर्स रेपो रेट 5.75% से बढ़ाकर 6% किया था। अक्टूबर 2016 में आरबीआई ने रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.25% किया था, जो 6 साल का निम्नतम स्तर है। इसके अलावा आरबीआई ने कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) को 4% पर बरकरार रखा गया है। स्टैचुटअरी लिक्विडिटी रेश्यो (एसएलआर) को 20.50 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया।

क्या होता है रेपो रेट ?

बैंकों को अपने प्रतिदिन के कामकाज लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती है, तब बैंक केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेने का विकल्प अपनाते हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है।

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट ?

जब बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाए रिजर्व बैंक में रख सकते हैं। जिस पर उन्हें आरबीआई से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज उन्हें मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

क्या होता है कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) ?

सभी बैंकों के लिए जरूरी होता है कि वह अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखें। इसे कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) कहते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि अगर किसी भी मौके पर एक साथ बहुत बड़ी संख्या में जमाकर्ता अपना पैसा निकालने आ जाएं तो बैंक डिफॉल्ट न कर सके।

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