×

IAS बनने का ख्वाब नहीं, प्रोफेशनल्स की भी अब नहीं रही रुचि

raghvendra
Published on: 3 Aug 2018 12:45 PM IST
IAS बनने का ख्वाब नहीं, प्रोफेशनल्स की भी अब नहीं रही रुचि
X

नीलमणि लाल

नयी दिल्ली: अभी तक यह माना जाता रहा है कि देश में हर होनहार की तमन्ना आईएएस बनने की होती है मगर यह पूरी तरह सच नहीं है। आपको शायद यकीन न हो मगर प्राइवेट सेक्टर के प्रोफेशनल्स को संयुक्त सचिव स्तर (आईएएस) की जॉब में रुचि नहीं है। मामला प्राइवेट सेक्टर के प्रोफेशनल्स को संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर नियुक्त करने से जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार की तरफ से संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर सीधी नियुक्ति (लेटरल इंट्री) के लिए 10 जून को आवेदन मांगे थे। आवेदन करने की समय सीमा 30 जुलाई की शाम पांच बजे खत्म हो गई। सरकार को उम्मीद थी कि सीधे आईएएस और वह भी केंद्र में संयुक्त सचिव बनने के लिए तो लोगों की लाइन लग जाएगी मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जहां कम से कम एक लाख आवेदनों की उम्मीद की जा रही थी वहां छह हजार से भी कम अर्जियां आईं। बात सिर्फ कम अर्जियों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि इन आवेदनों की क्वालिटी भी अच्छी नहीं रही।

ये है पूरा मामला

संयुक्त सचिव स्तर पर अधिकारियों की कम संख्या से जूझ रही सरकार ने निजी क्षेत्र में उच्च पदस्थ लोगों यानी अनुभवी, एक्सपट्र्स और एडमिनिस्ट्रेशन के स्पेशलिस्ट लोगों को सीधे संयुक्त सचिव नियुक्त करने का फैसला किया है। सरकार का तर्क है किसी खास क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले लोगों को ब्यूरोक्रेसी में लाने से उनके अनुभवों लाभ लिया जा सकेगा। इसके लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 10 जून 2018 में ऐसे 10 पदों के लिए अधिसूचना जारी की थी। इच्छुक उम्मीदवारों से 15 जून से 30 जुलाई के बीच आवेदन मांगे गये थे। 31 जुलाई को आवेदन करने की तिथि समाप्त हो गई।

यह भी पढ़ें ...... अब गांव से करें IAS बनने की तैयारी, ये रहा BEST तरीका

कार्मिक मंत्रालय (डीएपीटी) को भारी संख्या में आवेदनों की उम्मीद थी मगर ऐसा नहीं हुआ। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि उनके पास अपेक्षा से काफी कम आवेदन आए। उन्हें एक लाख आवेदन आने की उम्मीद थी, लेकिन मात्र छह हजार लोगों ने ही आवेदन किया जो की उम्मीद से काफी कम है। ये आवेदन भी उस स्तर के लिए थे जो संयुक्त सचिव के लिए होना चाहिये। अपने क्षेत्र के किसी भी जाने-माने एक्सपर्ट का आवेदन तो आया ही नहीं।

गवर्नेंस में नए विचारों को लाने की मंशा

जितेन्द्र सिंह ने संसद को बताया कि ‘लैटरल एंट्री’ का प्रावधान इसलिए किया गया ताकि गवर्नेंस में नए विचारों को लाया जा सके। इससे ये नहीं समझना चाहिए कि मौजूदा ब्यूरोक्रेसी सक्षम नहीं है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का उदाहरण भी दिया जो कि लैटरल एंट्री के माध्यम से कई पदों पर रहे। हालांकि इन गिने-चुने उदाहरणों के अलावा सरकार बड़े स्तर पर यूपीएससी द्वार चुने हुए ब्यूरोक्रेट्स को ही इन पदों पर नियुक्त करती रही है।

नीति आयोग के सुझाव पर फैसला

केंद्र सरकार ने प्राइवेट सेक्टर के लोगों को सरकार में शामिल करने का फैसला नीति आयोग के सुझाव के बाद लिया था। आयोग द्वारा सिविल सर्विसेज रिफॉर्म पर ड्राफ्ट एजेंडा में कहा गया कि आजकल अर्थव्यवस्था की बढ़ती हुई जटिलता विशेषज्ञता की मांग करती है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि किसी क्षेत्र विशेष के स्पेशलिस्ट लोगों को लैटरल एंट्री के माध्यम से सिस्टम में शामिल किया जाए।

आयोग ने दिया था ये तर्क

आयोग ने तब ये तर्क दिया था कि ऐसा करने से आईएएस अधिकारियों के अंदर एक सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का भाव भी पैदा होगा। दरअसल सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी नीति निर्माण और उसे लागू करवाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। वे सीधा सचिव या अतिरिक्त सचिव को रिपोर्ट करते हैं। संयुक्त सचिव स्तर का पद अभी तक यूपीएससी द्वारा करवाई गई परीक्षा के माध्यम से भरा जाता है। नोटिफिकेशन के अनुसार राज्य सरकार और केंद्र या राज्य पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के अधिकारी इस पद के लिए प्रतिनियुक्ति पर होंगे, जबकि प्राइवेट सेक्टर के प्रोफेशनल्स को कॉन्ट्रेक्ट पर रखा जाएगा।

यह भी पढ़ें ...... अब UPSC करेगा डीजीपी की नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

नियुक्ति सिर्फ तीन साल के लिए होगी

सरकार चुने हुए कैंडिडेट्स की नियुक्ति सिर्फ तीन साल के लिए करेगी। हालांकि विज्ञापन में बताया गया था कि बाद में इसे दो साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। इस पद पर नियुक्त किए जाने वाले लोगों को अपने-अपने क्षेत्र में कम से कम 15 साल का अनुभव होना चाहिए। मोदी सरकार पहले से ही ब्यूरोक्रेसी में सुधार लाने के लिए इस तरह के कदम की हिमायती रही है और अब ये विज्ञापन निकालकर सरकार ने इसे सुनिश्चित करने की बात कही थी।

प्रोफेशनल्स की रुचि न होने के कई कारण

यूपी के पूर्व मुख्य संचिव व संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य प्रशांत मिश्रा का कहना है कि लेटरल इंट्री में प्रोफेशनल्स की रुचि न होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि प्राइवेट सेक्टर में जो पे पैकेज मिलता है वह तो संयुक्त सचिव को मिलेगा नहीं। दूसरा फैक्टर है सेवा काल का यानी लेटरल इंट्री पर आने वाले को तीन साल का टर्म मिलेगा, लेकिन इसके बाद क्या होगा? ये सोचकर बहुत से लोगों ने अप्लाई नहीं किया होगा। तीसरी बात है वर्क कल्चर की। प्राइवेट सेक्टर जैसा वर्क कल्चर तो सरकारी सेवा में मिलेगा नहीं। चौथा फैक्टर हो सकता है कि अगर कोई मुम्बई, बंगलुरु आदि में रह रहा है तो शायद वह दिल्ली रिलोकेट न होना चाहे।

उधर, कार्पोरेट जगत से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि लेटरल इंट्री में रुचि न लेने का एक कारण ये है कि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। चुनाव बाद न जाने सरकार की क्या स्थिति होगी। अगर वर्तमान सत्ता की वापसी न हुयी तो लेटेरल इंट्री से गए लोगों का भविष्य अनिश्चित हो जाएगा। इसीलिए प्रोफेशनल्स ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है।

मोदी सरकार में बदल गए हालात

अभी तक केंद्र सरकार की ब्यूरोक्रेसी के सीनियर पदों पर आईएएस का ही दबदबा रहता था, लेकिन मोदी सरकार में हालात बदल गए हैं। इस साल की बात करें तो मोदी सरकार ने अभी तक मात्र 11 आईएएस को संयुक्त सचिव स्तर के पदों के लिए इंपैनल किया है। 2012 में इस लेवल पर 84, 2013 में 101 तथा 2014 में 87 आईएएस तैनात हुए थे। 2015 में ये संख्या यही रही थी, लेकिन 2016 में 76 और 2017 में मात्र 37 आईएएस ही इस लेवल पर रखे गए। असल में सरकार ने संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर अन्य सेवाओं के अफसरों पर ज्यादा भरोसा जताया है। इस साल ही केंद्र ने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के 45, रेवेन्यू सर्विस के 56 और आईपीएस के 70 अफसरों को संयुक्त सचिव स्तर पर इंपैनल किया है।

दूसरी सेवा के अफसरों के लिए बढ़ रहे मौके

लंबे समय से अन्य सेवाओं की शिकायत रही है कि इंपैनलमेंट के नियमों के कारण आईएएस का पलड़ा भारी रहता है और बाकी सेवा के लोग पीछे रह जाते हैं। मिसाल के तौर पर केंद्र में सचिव स्तर के पद के लिए आईएएस के लिए ३२ साल का सेवा अनुभव जरूरी होता है, लेकिन अन्य सेवाओं के अधिकारियों के लिए 34-35 साल का अनुभव जरूरी है। इतने साल की सेवा के बाद तो अधिकांश अधिकारी रिटायर हो जाते हैं। नतीजा ये है कि केंद्र सरकार में सचिव स्तर के 81 अफसरों में मात्र 15 ही ऐसे हैं जो अन्य सेवाओं के हैं या लेटरल इंट्री से आए हैं। अन्य सेवाओं के अधिकारियों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकेत किए हैं कि उन्हें इस भेदभाव की जानकारी है। वो जानते हैं कि टैलेंट सिर्फ आईएएस तक ही सीमित नहीं है।

यह भी पढ़ें ...... UPSC IFS Main Result 2017: नतीजे घोषित, वैभव श्रीवास्तव ने किया टॉप

वैसे, सरकार अन्य सेवाओं के अधिकारियों को सिर्फ संयुक्त सचिव स्तर के पद तक सीमित नहीं कर रही है। यूपीए-2 के दौरान केंद्र सरकार में अतिरिक्त सचिव पद के लिए अन्य सेवाओं के 26 अधिकारियों को इंपैनल किया गया था जबकि वर्तमान सरकार में इनकी संख्या 71 तक जा पहुंची है। इस मामले में सरकार पुरानी लीक से हटकर कुछ नया करने की कोशिश कर रही है।

काम के हालात भी बदल गए हैं

एक बात ये भी है कि बहुत आईएएस अब दिल्ली जाकर काम करने को तैयार नहीं हैं। वजह है कि जहां पहले काम करा ले जाने की बहुत आजादी थी वहीं अब लगातार निगरानी रखी जा रही है। हर काम की स्क्रूटनी हो रही है और काम जल्दी करने का बहुत दबाव रहता है। भ्रष्टाचार के मामले में तत्काल अधिकारी हटा दिए जाते हैं। ये स्थिति बहुत से ब्यूरोक्रेट्स को रास नहीं आ रही और केंद्र में जाने से लोग कतरा रहे हैं।

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story