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प्रेसिडेंट इन वेटिंग ही रह गए लालकृष्ण आडवाणी, कोविंद के नाम ने उम्मीदों पर फेरा पानी
लखनऊ: रामनाथ कोविंद को एनडीए ने राष्ट्रपति पर का उम्मीदवार घोषित किया है। बीजेपी संसदीय बोर्ड की महत्वपूर्ण बैठक के बाद एनडीए ने ये फैसला लिया। कोविंद के नाम पर फैसला लेते ही कई बार की तरह एक बार फिर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने राजनीतिक पंडितों के अनुमान को गलत साबित किया। बता दें कि रामनाथ कोविंद की छवि बेहद ईमानदार नेता के रूप में रही है।
रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा से यदि सबसे बड़ा धक्का किसी को लगा होगा तो वो लालकृष्ण आडवाणी और उनके गुट को। क्योंकि नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद कयास यही लगाए जा रहे थे कि देश का अगला राष्ट्रपति लालकृष्ण आडवाणी ही होंगे।
आडवाणी-जोशी को रही होगी उम्मीद
हालांकि, रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा से पहले ही बीजेपी ने अपनी मंशा लगभग जाहिर कर दी थी। शाह-मोदी की जोड़ी ने आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के सामने कोविंद का नाम जाहिर कर दिया था। लेकिन इन दोनों वरिष्ठ नेताओं को अपने नाम की घोषणा की उम्मीद जरूर रही होगी।
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उम्मीदों पर फेरा पानी
लंबे समय से लालकृष्ण आडवाणी का गुट उन्हें राष्ट्रपति बनाने के लिए लामबंदी कर रहा था। इन नेताओं को बीजेपी और संघ के तमाम वरिष्ठ नेताओं का साथ मिल रहा था। इस दिशा में सभी ने कोशिश भी की, लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
शत्रुघ्न सिन्हा ने छेड़ा था आडवाणी राग
उल्लेखनीय है, कि हाल ही में लालकृष्ण आडवाणी को लेकर बीजेपी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर आडवाणी का नाम उछाला था। शत्रुघ्न सिन्हा का कहना था कि राष्ट्रपति पद के लिए आडवाणी से बेहतर विकल्प कोई और हो ही नहीं सकता। इसके अलावा रविवार को बीजेपी कार्यालय के बाहर आडवाणी के पक्ष में पोस्टर भी लगाए गए थे।