TRENDING TAGS :
NSG सदस्यता: मोदी-पुतिन मुलाकात से पहले भारत ने रूस को चेताया
नई दिल्ली: भारत ने अपने सबसे करीबी दोस्त रह चुके रूस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानि एनएसजी की सदस्यता नहीं मिल पाती है तो वह परमाणु ऊर्जा विकास के अपने कार्यक्रम में विदेशी साझीदारों से सहयोग करना बंद कर देगा।
भारत ने साफ-साफ कहा है कि ऐसी स्थिति में वह रूस के साथ कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिऐक्टर यूनिट को आगे बढ़ाने से जुड़े एमओयू को ठंडे बस्ते में डाल सकता है। दरअसल, भारत को ये एहसास हो रहा है कि चीन धीरे-धीरे रूस के करीब जा रहा है। इसी वजह से रूस भारत को एनएसजी सदस्यता दिलवाने में पूरी मदद नहीं कर रहा है। जिसके मद्देनजर अब भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया है।
ये भी पढ़ें ...कुडनकुलम: PM मोदी, जयललिता और पुतिन ने किया उद्घाटन, जानें क्या था प्रोजेक्ट
भारत ने अटकाया कुडनकुलम एमओयू को
दरअसल, हाल के वर्षों में वैश्विक मुद्दों पर रूस, चीन के साथ खड़ा नजर आता रहा है। लेकिन भारत, रूस से यह उम्मीद करता रहा है कि वह एनएसजी सदस्यता के लिए चीन पर दवाब डालेगा। दूसरी तरफ, रूस को भी यह महसूस होने लगा है कि भारत अब कुडनकुलम एमओयू को लेकर जानबूझकर देरी कर रहा है ताकि वह एनएसजी सदस्यता के लिए रूस पर दबाव डाल सके।
आगे की स्लाइड्स में पढ़ें पूरी खबर ...
रुसी पीएम ने उठाया था मुद्दा
एमओयू साइन करने को लेकर भारत के टालमटोल से फिक्रमंद रूस के उपप्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन ने पिछले सप्ताह पीएम मोदी से मुलाकात में यह मुद्दा उठाया था। एक अख़बार की खबर की मानें तो वरिष्ठ आधिकारिक सूत्र ने यह बात कन्फर्म की है। हालांकि, भारत की ओर से इस मुलाकात में एमओयू साइन करने को लेकर कोई भरोसा नहीं दिलाया गया।
दो हफ्ते बाद होनी है मोदी-पुतिन मुलाकात
यह बैठक अगले महीने होने वाली रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात की तैयारियों के मद्देनजर की गई थी। पुतिन-मोदी मुलाकात में अब बस दो हफ्ते शेष हैं। ऐसे में रूस को चिंता सता रही है कि अगर एमओयू साइन नहीं हो पाता है तो इस वार्ता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
भारत का स्पष्ट संदेश
जानकार मानते हैं कि इसी के मद्देनजर भारत ने इस बार रूस को बहुत स्पष्ट संदेश दिया है। भारत ने साफ कह दिया है कि अगर उसे अगले एक-दो सालों में एनएसजी सदस्यता नहीं मिलती है तो उसके पास स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। हालांकि, यह साफ नहीं है कि भारत ने इसी तरह की चेतावनी अमेरिका और फ्रांस को भी दी है या नहीं। क्योंकि ये दोनों देश भी परमाणु ऊर्जा में भारत के बड़े सहयोगी हैं।
ब्रिक्स समिट में ही होना था हस्ताक्षर
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर की मानें तो पता चला है कि पिछले 6 महीने से रूस, भारत को एमओयू साइन करने के लिए मनाने की कोशिशों में जुटा है। लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल सकी है। इस एमओयू पर हस्ताक्षर पिछले साल गोवा में ब्रिक्स समिट के दौरान ही होना था। बाद में कहा गया कि इसे 2016 के अंत तक साइन कर लिया जाएगा, लेकिन 2017 भी लगभग आधा बीत चुका है। भारत अपने रुख पर अड़ा हुआ है।