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एक और जगुआर विमान हुआ हादसे का शिकार, अम्बाला में गिरे बम

ऐसा उस समय हुआ जब उड़ान के दौरान विमान इंजनों में से एक से एक पक्षी टकरा गया। सिर्फ एक ही इंजन से पक्षी टकराया था, और पायलट विमान को अम्बाला एयरफोर्स बेस पर सुरक्षित उतारने में कामयाब रहा। किसी तरह के जानी नुकसान की ख़बर नहीं है।

राम केवी
Published on: 27 Jun 2019 1:52 PM IST
एक और जगुआर विमान हुआ हादसे का शिकार, अम्बाला में गिरे बम
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जगुआर

अंबाला: भारतीय वायुसेना के जगुआर विमान को अम्बाला के रिहायशी इलाके के ऊपर गुरुवार को उस समय अपना ईंधन बहा देना पड़ा। इतना ही नहीं उसे अभ्यास के लिए रखे गए छोटे आकार के बमों को फेंकना पड़ गया।

ऐसा उस समय हुआ जब उड़ान के दौरान विमान इंजनों में से एक से एक पक्षी टकरा गया। सिर्फ एक ही इंजन से पक्षी टकराया था, और पायलट विमान को अम्बाला एयरफोर्स बेस पर सुरक्षित उतारने में कामयाब रहा। किसी तरह के जानी नुकसान की ख़बर नहीं है।

उड़ान के दौरान होने वाली इस तरह की आपात स्थितियों में पायलटों को अक्सर विमान के पंखों के नीचे रखे सामान को गिरा देना पड़ता है। इन सामानों में आमतौर पर इसी तरह के बम और ईंधन टैंक शामिल होते हैं।

यह घटना उस वक्त हुई, जब विमान - जगुआर - उस बाउंड्री वॉल तक पहुंचने वाला था, जो एयरफोर्स बेस को अम्बाला के बलदेव नगर इलाके से अलग करती है। गिराए गए सामान का कुछ हिस्सा एक मकान की छत पर गिरा, और कुछ सामान सड़क पर गिरा।

बहरहाल एम्बुलेंस तथा फायर ब्रिगेड कर्मियों को तुरंत घटनास्थल पर रवाना किया गया। पूरी एरिया सील कर मलबे की तलाश की गई जिसमें काफी मलबा बरामद हो गया है।

भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी भी सफाई अभियान की समीक्षा करने तथा इलाके में तलाशी अभियान चलाने के लिए भेजे गए थे।

तीसरा हादसा

यह इस तरह की तीसरा हादसा है इससे पहले गुजरात के कच्छ जिले में एक जगुआर एयरक्राफ्ट हादसे का शिकार हो गया था। इस एयरक्राफ्ट ने जामनगर से उड़ान भरी थी। हादसे में पायलट संजय चौहान शहीद हो गए थे। संजय चौहान वायुसेना में एयर कमोडोर के पद पर थे।

जगुआर ने रूटीन ट्रेनिंग मिशन के दौरान जामनगर से सुबह करीब 10.30 बजे उड़ान भरी थी, विमान हादसा इतना बड़ा था कि उसका मलबा कई किलोमीटर तक फैल गया था।

इसी साल जनवरी में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक जगुआर विमान क्रैश हुआ था, जब गोरखपुर से रूटीन मिशन पर उड़ान भरने के बाद उसमें तकनीकी खामी पैदा हो गई थी। उस विमान के पायलट विंग कमांडर रोहित कटोच विमान से सुरक्षित इजेक्ट करने में कामयाब रहे थे.

भारतीय वायुसेना के पास लगभग 100 जगुआर विमान हैं, जिन्हें '70 के दशक के उत्तरार्द्ध में यूरोप से आयात किया गया था।



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राम केवी

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