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सर्वदलीय बैठक: चीन पर सरकार को मिला विपक्ष का साथ, कश्मीर मुद्दे पर हुई फजीहत
नई दिल्ली: डोकलाम मुद्दे पर चीन के साथ जारी विवाद पर केंद्र सरकार अब किसी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं है। इसी के मद्देनजर एकता का संदेश देने के लिए सरकार ने विपक्ष से सहयोग मांगा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर हुई सर्वदलीय बैठक में विदेश सचिव एस जयशंकर ने डोकलाम विवाद पर तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने कश्मीर में जारी हिंसा पर अलग-अलग प्रस्तुतिकरण के जरिए सरकार का पक्ष रखा।
इस दौरान चीन से जारी विवाद पर तो सरकार को विपक्ष का साथ मिला, मगर कश्मीर मामले में लगभग सभी दलों ने सरकार पर सवाल खड़े किए। विपक्षी दलों का कहना था कि घाटी में केंद्र की नीतियों की वजह से ही माहौल खराब हुआ है। कई विपक्षी दलों ने खुफिया इनपुट के बाद अमरनाथ यात्रा से जुड़े तीर्थ यात्रियों पर हुए हमले पर भी सवाल खड़े किए।
विदेश सचिव और विदेश मंत्री ने दी जानकारी
बैठक में पहले विदेश सचिव और बाद में विदेश मंत्री ने डोकलाम विवाद की ताजा स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। दोनों ने बताया, कि इस विवाद में भारत का पक्ष मजबूत है। साथ ही यह भी याद दिलाया कि अपनी सुरक्षा के लिए भारत ने पहली बार सीमा पार कर भूटान के साथ मिलकर चीन को सड़क बनाने से रोका है।
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अपने हितों से नहीं करेंगे समझौता
बैठक में बताया गया कि सेना अब भी डोकलाम पठार पर टिकी हुई है। भारत तब तक वहां से अपने सैनिकों को नहीं हटाएगा, जब तक चीन अपनी सेना को वापस नहीं बुलाता। सूत्रों की मानें, तो विदेश मंत्री ने इस दौरान विपक्ष से इस मुद्दे को ज्यादा तूल न देने का भी आग्रह किया। साथ ही आश्वस्त किया कि 'भारत अपने हितों से किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं करेगा।'
विपक्ष सरकार के साथ
बैठक में विपक्षी नेताओं को इस दिशा में दोनों ओर से हुई पहल की भी जानकारी दी गई। बैठक में मौजूद सभी दलों ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ा होने की बात कही। साथ ही सरकार की कूटनीतिक स्तर पर समस्या का हल निकालने के फैसले का भी साथ दिया।
कई बार विपक्ष ने असहज भी किया
कश्मीर की स्थिति पर पर अजीत डोभाल और गृह सचिव की ओर से जब दूसरा प्रजेंटेशन दिया गया तो सरकार को कई तरह के असहज सवाल झेलने पड़े। शरद यादव, सीताराम येचुरी, गुलाम नबी आजाद आदि ने कश्मीर में जारी हिंसा के लिए सरकार की संवादहीनता की नीति को जिम्मेदार ठहराया। गुलाम नबी आजाद ने पूछा, कि 'खुफिया जानकारी होने के बावजूद अमरनाथ यात्रियों को आतंकवादी निशाना बनाने में कैसे कामयाब हुए।' व
घाटी में शुरू हो संवाद प्रक्रिया
इस दौरान विपक्ष ने कहा, कि समस्या सरकार की ओर से अपनाई जा रही संवादहीनता है। सीताराम येचुरी ने कहा, कि 'सरकार की नीतियों के कारण कश्मीर की सिविल सोसायटी भी सरकार के खिलाफ हो गई है। लगभग सभी दलों ने सरकार से राज्य में संवाद प्रक्रिया शुरू करने की सलाह दी।'