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निर्मला के सामने नई चुनौती, 100 से ज्यादा सेना के अफसर पहुंचे SC
रक्षा मंत्री बने ही निर्मला सीतारमण के सामने नई चुनौतियां हैं। सेना के 100 से ज्यादा अफसरों ने पदोन्नति में अन्याय और भेदभाव का आरोप लगते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री बनते ही निर्मला सीतारमण के सामने नई चुनौतियां हैं। सेना के 100 से ज्यादा अफसरों ने पदोन्नति में अन्याय और भेदभाव का आरोप लगते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अधिकारियों के इस कदम से सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है।
दरअसल सेना के 100 से ज्यादा लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर अफसरों के प्रमोशन में कथित भेदभाव और नाइंसाफी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
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इनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि अगर उनके साथ पदोन्नति में ऐसा ही भेदभाव हुआ और उन्हें उनका हक नहीं मिला, तो उन्हें ऑपरेशनल एरिया और युद्ध क्षेत्र में तैनात न किया जाए। इससे अफसरों के मनोबल पर असर पड़ता है जिससे देश की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है। याचिका में कहा गया है सेना और सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है।
लेफ्टिनेंट कर्नल पी. के. चौधरी की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट में डाली गई संयुक्त याचिका में अफसरों ने कहा है कि सर्विसेज कोर के अफसरों को ऑपरेशनल एरिया में तैनात किया गया है। कॉम्बैट ऑर्म्स कोर के अफसरों को भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अपनी वकील नीला गोखले के जरिए पूछा है कि तब कॉम्बैट ऑर्म्स के अफसरों को जिस तरह का प्रमोशन दिया जा रहा है, उससे उन्हें क्यों वंचित किया जा रहा है।
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क्यों है दिक्कत ?
याचिका में कहा गया है कि ऑपरेशन एरिया में तैनाती के वक्त तो सर्विसेज कोर के अफसरों को 'ऑपरेशनल' के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन जब बात पदोन्नति की आती है तो उन्हें 'नॉन-ऑपरेशनल' मान लिया जाता है। यह याचियों और दूसरे मिड-लेवल आर्मी अफसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।