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पैराडाइज पेपर्स : अमिताभ, जयंत समेत 714 इंडियंस के नाम का खुलासा
पनामा पेपर' के बाद अब 'पैराडाइज पेपर्स' में टैक्स चोरी कर विदेश में कालाधन छुपाने के मामलों से जुड़ी फाइलें सामने आई हैं, इसमें विश्व के कई देशों के प्रभावशाली हस्तियों के नाम शामिल हैं।
नई दिल्ली/वॉशिंगटन: 'पनामा पेपर' के बाद अब 'पैराडाइज पेपर्स' में टैक्स चोरी कर विदेश में कालाधन छुपाने के मामलों से जुड़ी फाइलें सामने आई हैं, इसमें विश्व के कई देशों के प्रभावशाली हस्तियों के नाम शामिल हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, अमिताभ बच्चन समेत 714 भारतीयों ने 'टैक्स हैवेन' देशों में इन्वेस्टमेंट किया है। अमिताभ बच्चन का नाम पनामा पेपर्स में भी आया था। रिपोर्ट में 180 देशों को शामिल किया गया है, इसमें शामिल नामों के लिहाज से भारत 19वें पायदान पर है। इस खुलासे में वर्तमान में केंद्र सरकार में विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का नाम भी है। जयंत सिन्हा ने मामले पर सफाई दी है। रिपोर्ट में जिस ओमिडयार नेटवर्क का जिक्र है, उससे कभी जयंत भी जुड़े थे।
ये खुलासा अमेरिका के इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) पैराडाइज पेपर्स में किया गया है। बता दें आईसीआईजे ने ही पिछले साल पनामा पेपर्स के जरिए कई अहम खुलासे किए थे। इन निवेशकों में ब्रिटेन की महारानी की निजी जागीर भी शामिल है। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप के वाणिज्य मंत्री की भी एक ऐसा कंपनी का पता चला है जो रूस के साथ व्यापार करती है और जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं।
इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के लिए पैसा जुटाने वाले और सीनियर एडवाइजर स्टीफन ब्रोनफमैन ने पूर्व सीनेटर लियो कोल्बर के साथ भी करीब 60 मिलियन डॉलर की राशि टैक्स हेवन देशों में जमा की है।
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हालांकि रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया कि रॉस, ब्रोनफमैन या एलिजाबेथ की प्राइवेट प्रॉपर्टी अवैध तरीके से जुटाई गई। ब्रोनफमैन के नाम सामने आने से ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दो साल पहले ट्रूडो आर्थिक असमानता और टैक्स खत्म करने के वादे के साथ ही सत्ता में आए थे। वहीं एलिजाबेथ के टैक्स हेवंस देशों में निवेश से ये सवाल उठ सकता है कि क्या ब्रिटेन की प्रमुख होने के नाते उन्हें ऐसा करना चाहिए?
लिस्ट में कुल 180 देशों के नाम हैं। कंज़र्वेटिव पार्टी के पूर्व डिप्टी चेयरमैन और बड़े दानदाता, लॉर्ड एश्क्रॉफ्ट ने अपने विदेशी निवेश के प्रबंधन में नियमों की अनदेखी की हो सकती है।
ट्रंप के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने एक जहाजरानी कंपनी में निवेश बरक़रार रखा जो रूस की एक ऊर्जा कंपनी के लिए गैस और तेल का परिवहन करके सालाना करोड़ों डॉलर कमाती है।
रूस की ऊर्जा फर्म में व्लादिमीर पुतिन के दामाद और अमेरिका के प्रतिबंधों का सामना कर रहे दो लोगों का भी निवेश है। दुनिया भर के 90 मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम (आईसीआईजे) ने इनकी जांच की। ज़्यादातर दस्तावेज़ बरमुडा स्थित ऐपलबी कंपनी के हैं जो कानूनी सेवाए मुहैया कराती है। कंपनी के दस्तावेज़ और कैरिबियाई क्षेत्र के कार्पोरेट रजिस्टर के दस्तावेज़ जर्मन अख़बार ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग ने हासिल किए थे। अखबार ने अपने सूत्र सार्वजनिक नहीं किए हैं। लीक के जवाब में ऐपलबी ने कहा है, "हम इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि हमारी ओर से या हमारे क्लाइंट्स की ओर से कुछ भी ग़लत नहीं किया गया है।''
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पिछले वर्ष दुनिया में सबसे अधिक गोपनीयता से काम करने वाली पनामा की कंपनी मोसाक फोंसेका के लाखों कागजात लीक हो गए थे। इसमें लोग ऐसी जगह पर अपना पैसा लगाते हैं जहां टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं हो। यानी ‘टैक्स चोरी का स्वर्ग’।
खोज करने वाले पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने 1 करोड़ 15 लाख गुप्त दस्तावेजों का निर्माण किया था। इसी में इसका भी खुलासा हुआ था कि आठ कंपनियों का नवाज शरीफ के परिवार के साथ रिश्ता है, जिसके चलते उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अपदस्थ कर दिया था। रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खास दोस्त सर्जेई रोल्दुगिन का भी नाम भी इसमें आया था। पैराडाइज की तरह भी पनामा में भी शेल कंपनियों के जरिए लोगों और कंपनियों ने पैसे, संपत्तियां या लाभ कहीं और भेजकर कम टैक्स अदा कर ज़्यादा फ़ायदा उठाया।
इस खुलासे के जरिये उन फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है जो दुनिया भर में अमीर और ताकतवर लोगों का पैसा विदेशों में भेजने में उनकी मदद करते हैं। पैराडाइज पेपर्स लीक में पनामा की तरह ही कई भारतीय राजनेताओं, अभिनेताओं और कारोबारियों के नाम सामने आए हैं।
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जिन दस्तावेजों की छानबीन की गई है, उनमें से ज्यादातर बरमूडा की लॉ फर्म ऐपलबाय के हैं। 100 साल से भी ज्यादा पुरानी यह कंपनी वकीलों, अकाउंटेंट्स, बैंकर्स और अन्य लोगों के नेटवर्क की एक मेंबर है। इस नेटवर्क में वे लोग भी शामिल हैं जो अपने क्लाइंट्स के लिए विदेशों में कंपनियां सेट अप करते हैं और उनके बैंक अकाउंट्स को मैनेज करते हैं।
खास बात यह है कि ऐपलबाय की दूसरी सबसे बड़ी क्लाइंट एक भारतीय कंपनी है, जिसकी दुनियाभर में करीब 118 सहयोगी कंपनियां हैं। ऐपलबाय के भारतीय क्लाइंट्स में कुछ बड़े कॉर्पोरेट्स और कंपनियां हैं, जो अक्सर सीबीआई और ईडी की जांच के दायरे में आती रही हैं।
इनका भी नाम शामिल
इस लिस्ट में कुल 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं। इनमें अमिताभ बच्चन, केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा और संजय दत्त की पत्नी मान्यता दिलनशीं नाम से लिस्ट में हैं। वहीं सन टीवी (एयरसेल-मैक्सिस केस), एस्सार-लूप (2जी केस), SNC लावलिन (इसमें केरल के सीएम पी.विजयन का नाम आया था, हालांकि बाद में हट गया) का भी नाम है।
जयंत सिन्हा ने क्या कहा ?
जयंत सिन्हा ने कहा कि मैं पूरी डिटेल इंडियन एक्सप्रेस को मुहैया करा चुका हूं। मैं ओमिडयार नेटवर्क और उससे जुड़े डी.लाइट बोर्ड से जुड़ा था। सारे ट्रांजैक्शन लीगल तरीके से किए गए। ट्रांजैक्शंस की सारी जानकारी अथॉरिटीज को बताई गई थीं। ओमिडयार छोड़ने के बाद मुझसे डी.लाइट बोर्ड का इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में कंटीन्यू करने को कहा गया। लेकिन केंद्रीय मंत्री बनने के बाद बनने के बाद मैंने तुरंत डी.लाइट बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।
क्या है पैराडाइस पेपर्स लीक मामला?
पैराडाइस पेपर्स 1.34 करोड़ ऐसे दस्तावेज़ों का संग्रह है जिनमें नाइकी और फेसबुक जैसी दुनिया भर की नामी-गिरामी कंपनियों और यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिज़ाबेथ-2 जैसी हस्तियों द्वारा विदेशों में किए गए लेनदेन की जानकारी का खुलासा किया गया है। इन दस्तावेज़ों को एक जर्मन अखबार ने हासिल किया और 67 देशों के 381 पत्रकारों ने इनका विश्लेषण किया है।