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संसद में गतिरोध जारी, लोकसभा में बिना बहस के 2 विधेयक पारित
संसद में लगातार नौवें दिन गुरुवार को भी विपक्षी पार्टियों का हंगामा जारी रहा। सरकार हालांकि गतिरोध व हंगामे के बीच लोकसभा में बिना बहस के दो विधेयक पारित कराने में सफल रही। इस बीच विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने पंजाब नेशनल बैंक घोटाले, आं
नई दिल्ली: संसद में लगातार नौवें दिन गुरुवार को भी विपक्षी पार्टियों का हंगामा जारी रहा। सरकार हालांकि गतिरोध व हंगामे के बीच लोकसभा में बिना बहस के दो विधेयक पारित कराने में सफल रही। इस बीच विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने पंजाब नेशनल बैंक घोटाले, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर आसन के समीप इकट्ठे होकर तख्तियां दिखाईं और नारे लगाए।
श्रम राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लोकसभा में कर्मचारियों की ग्रेच्युटी के संबंध में ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन), विधेयक 2017 रखा, जिसे हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। सरकार ने इसके बाद विशिष्ट राहत (संशोधन) विधेयक, 2017 सदन के समक्ष रखा और इसे भी हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले बुधवार को भी हंगामे के बीच वित्त विधेयक, 2018 व विनियोग विधेयक और अनुदान मांग को पारित किया गया था।
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के मुताबिक, कर्मचारियों को 10 लाख रुपये से ज्यादा की ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती। अब संशोधन विधेयक में इस तय सीमा को बढ़ाकर 20 लाख करने का प्रावधान किया गया है।
वहीं विशिष्ट राहत (संशोधन) विधेयक, 2017 के अंतर्गत कुछ सिविल अदालतों को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर राज्य सरकार विशेष अदालत का दर्जा दे सकती है।
पहली बार सदन स्थगित होने के बाद कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर सरकार ने ग्रेच्युटी भुगतान विधेयक को पारित कराने के लिए इसे आगे बढ़ाया। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वह सहमत हैं कि इस पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन इसे पारित किया जाना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा, "मैं सहमत हूं कि चर्चा होनी चाहिए। लेकिन यह संभव नहीं है और विधेयक को पास करना जरूरी है। जिसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने जोर से 'ना' कहकर विरोध जताया।"
इस बीच रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य एन.के. प्रेमचंद्रन और कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी द्वारा पेश संशोधन को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया गया जबकि सरकार के संशोधन को स्वीकार कर लिया गया।
विधेयक पारित होने के समय कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के समक्ष इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया जिसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
राज्यसभा में भी कमोबेश लोकसभा जैसी ही स्थिति दिखी। यहां कांग्रेस, तेदेपा, एआईएडीएमके के सदस्यों ने सभापति के आसन के समक्ष इकट्ठा होकर नारे लगाए और प्रदर्शन किया। आंध्रप्रदेश के बटवारे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और तेदेपा नेता वाई.एस. चौधरी के बयान के विरोध में कांग्रेस ने सदन में हंगामा किया। कांग्रेस के सदस्यों ने आंध्र प्रदेश का बटवारा जल्दबाजी और अवैज्ञानिक तरीके से करने के चौधरी के आरोप पर कड़ा विरोध जताया जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
राज्यसभा में लोकसभा द्वारा बुधवार को पास किए गए विधेयक पर चर्चा होनी थी लेकिन तेदेपा और एआईएडीएमके सदस्यों के हंगामे के बीच चर्चा नहीं हो सकी। एआईएडीएमके सदस्य कावेरी जल बोर्ड गठित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिह ने गुरुवार को संसद में गतिरोध पर चिंता जताई और राजनीतिक पार्टियों से बहस में भाग लेकर दोनों सदनों की कार्यवाही सामान्य रूप से चलने देने का आग्रह किया।
उन्होंने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा, "सदन की कार्यवाही में किसी भी परिस्थिति में व्यवधान उत्पन्न नहीं होना चाहिए। लोग यह उम्मीद करते हैं कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि संसद में उनके मुद्दे को उठाएंगे और संसदीय बहस में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।"
राजनाथ ने कहा, "मैं सभी राजनीतिक पार्टियों से संसद चलने देने का आग्रह करता हूं। यहां तक की मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की है और उनका भी यह मानना है कि विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। हम सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं।"