खुलासा: जिनपिंग से मिल मोदी ने चला था ये दांव, तब सुलझा डोकलाम विवाद

हेमबर्ग (जर्मनी) में जी-20 सम्मेलन से इतर पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात में डोकलाम विवाद का हल निकालने की आधारशिला रखी गई थी।

tiwarishalini
Published on: 1 Oct 2017 12:23 AM GMT
खुलासा: जिनपिंग से मिल मोदी ने चला था ये दांव, तब सुलझा डोकलाम विवाद
X
खुलासा: जिनपिंग से मिल मोदी ने चला था ये दांव, तब सुलझा डोकलाम विवाद

नई दिल्ली: हेमबर्ग (जर्मनी) में जी-20 सम्मेलन से इतर पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात में डोकलाम विवाद का हल निकालने की आधारशिला रखी गई थी। एक नई किताब में यह खुलासा हुआ है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ नितिन ए. गोखले ने 'सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वे' नाम की किताब में खुलासा किया है कि यह बैठक जी-20 सम्मेलन में मोदी के शी के पास चले जाने के बाद हुई थी। बता दें कि उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को इस किताब का विमोचन किया था। बता दें कि सिक्किम के डोकलाम में 16 जून को शुरू हुआ गतिरोध 72 दिनों के बाद तब थम गया था, जब दोनों देश अपनी सैनिकों को वहां से हटाने पर रजामंद हुए थे।

किताब के मुताबिक, "तात्कालिक बैठक के गवाह रहे भारतीय राजनयिकों के अनुसार, पीएम मोदी के शी जिनपिंग से अघोषित मुलाकात के बाद चीनी दल चकित रह गया था।"

यह भी पढ़ें .... डोकलाम विवाद पर मोदी सरकार के कदम से खुश है RSS, जल्द ला रहा कुछ नया

किताब के अनुसार, संक्षिप्त मुलाकात के दौरान, मोदी ने शी को सलाह दी कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और स्टेट काउंसलर यांग जीची को डोकलाम विवाद सुलझाने की अगुवाई करनी चाहिए।

मोदी ने कथित रूप से शी से कहा, "हमारे रणनीतिक संबंध डोकलाम जैसे इन छोटे सामरिक मुद्दों से बड़े हैं।" एक पखवाड़े बाद, डोभाल प्रस्तावित ब्रिक्स एनएसए बैठक के लिए बीजिंग गए।

इस बीच डोकलाम विवाद के दौरान भारतीय दल ने राजदूत विजय गोखले की अगुवाई में चीन में 38 बैठकें की। भारतीय दल को पीएम नरेंद्र मोदी, एनएसए डोभाल और विदेश सचिव एस. जयशंकर से स्पष्ट निर्देश मिल रहे थे। किताब के अनुसार, "दल को ये निर्देश दिए गए थे कि भारत जमीन पर पर दृढ़ और कूटनीति में तर्कसंगत रहेगा।"

किताब के अनुसार, ब्रिक्स स्तर पर जोरदार तैयारी करने के बाद चीन शिखर सम्मेलन में भारत की अनुपस्थिति का खतरा मोल नहीं ले सकता था। अंत में, समझ यहां तक पहुंची कि चीन इस क्षेत्र में सड़क निर्माण के कार्य को रोकेगा, जिस वजह से यह विवाद पैदा हुआ था। भारत और चीन दोनों ने विवाद सुलझाने के बाद अपने बयानों में इन मुद्दों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी।

किताब में यह भी खुलासा किया गया है कि यह विवाद मई के अंतिम दिनों में शुरू हुआ और इसे तीन चरणों में बांटा जा सकता है -मई के अंत से 25 जून तक गतिरोध, 26 जून से 14 अगस्त के बीच दोनों तरफ की सेनाएं आमने-सामने और 15 अगस्त से 28 अगस्त के बीच विवाद अपने चरम पर।

यह भी पढ़ें .... BRICS: घंटेभर चली मोदी-जिनपिंग वार्ता, सीमा पर शांति लिए दोनों सहमत

किताब के अनुसार, 16 जून को एक हल्का वाहन और उपकरण सहित नौ भारी वाहन क्षेत्र में पहुंचे और उस दिन सुबह भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कुछ नोकझोक हुई। इसके कुछ ही देर बाद रॉयल भूटान आर्मी का एक गश्ती दल वहां पहुंचा और चीनी सेना के साथ विवाद हुआ।

वहीं 17 जून को चीनी बुल्डोजर ने अस्थायी सड़क पर निर्माण कार्य शुरू किया और भारतीय सेना ने दो बार चीनी अधिकारियों के समक्ष इस निर्माण कार्य को रोकने के लिए कहा। सड़क निर्माण कार्य 18 जून को भी नहीं रुका और भारतीय सेना को निर्माण कार्य रोकने के आदेश मिले, जिसके बाद भारतीय सेना ने इसे रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनाई।

किताब में बताया गया है कि 20 जून को नाथू ला में मेजर जनरल अधिकारी स्तर की वार्ता हुई, लेकिन इसके बाद भी तनाव समाप्त नहीं हुआ और 14 अगस्त को तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। दोनों देशों की पहल पर 28 अगस्त को यह विवाद समाप्त हुआ।

यह भी पढ़ें .... ‘डोकलाम’ जैसी हरकतें करता रहेगा चीन, तैयार रहे सेना- आर्मी चीफ

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story