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अर्थव्यवस्था पर PM मोदी की विपक्ष को खरी-खरी, कहा- पुरानी बातें मत भूलें
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार (04 अक्टूबर) को भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के स्वर्ण जयंती वर्ष का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कंपनी सचिवों (सीएस) को संबोधित भी किया।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, कि 'आज आईसीएसआई अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर मैं इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत बधाई देता हूं। मुझे खुशी है कि मैं ऐसे विद्वानों के बीच आया हूं, जो इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि देश में मौजूद प्रत्येक कंपनी कानून का पालन करे, अपने बही-खातों में गड़बड़ी ना करे और पूरी पारदर्शिता रखे।'
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जीडीपी के मुद्दे पर विपक्ष को खरी-खरी
इस के बाद, हाल के दिनों में आर्थिक मोर्चे पर उठाए जा रहे सवालों का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने जीडीपी के मुद्दे पर विपक्ष को खरी-खरी सुनाई। पीएम बोले, 'पिछली सरकार के कार्यकाल में 8 बार जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी से नीचे रही थी। पिछली बार 0.2 फीसदी तक विकास दर गिरी थी। विपक्ष को पुरानी बातें नहीं भूलनी चाहिए।'
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क्या पहली बार जीडीपी गिरी है"
पीएम मोदी ने सवालिया लहजे में पूछा, कि 'क्या पहली बार जीडीपी वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत हुई है। देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसे क्वार्टर्स भी देखे हैं, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत और 1.5 फीसदी तक गिरी। क्या लोग अपनी भावनाओं से विकास को देख रहे हैं।'
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कभी अर्थशास्त्री होने का दावा नहीं किया
पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने कभी भी अर्थशास्त्री होने का दावा नहीं किया। मेरे जैसे अर्थशास्त्र के कम जानकार को अब भी ये समझ नहीं आता, कि उस समय बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों के रहते ऐसा कैसे हो गया था।'
जीएसटी और नोटबंदी साहसिक कदम
पीएम नरेंद्र मोदी ने जीएसटी और नोटबंदी के फैसले को सही और साहसिक बताया। उन्होंने 8 नवंबर (नोटबंदी की घोषणा वाले दिन) को 'भ्रष्टाचार मुक्ति का पर्व' बताया। कहा, कि 'हमने कई वर्षों से लटके जीएसटी लागू किया। साथ ही नोटबंदी लागू करने की हिम्मत भी दिखाई। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार द्वारा लिए गए कदम देश को आने वाले वर्षों में विकास की नई इबारत लिखेगी। अब ईमानदारों के हितों की सुरक्षा की जाएगी।'
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आपके एक-एक पैसे की कीमत समझते हैं
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा, कि 'देश के आर्थिक क्षेत्र को खोलने के बाद से लेकर अब तक जितना विदेशी निवेश भारत में हुआ है, उसकी तुलना अगर पिछले तीन वर्षों में हुए निवेश से करें, तो आपको पता चलेगा कि हमारी सरकार जो भी रिफॉर्म कर रही है, उसका नतीजा क्या मिल रहा है। मेहनत से कमाए गए आपके एक-एक पैसे की कीमत ये सरकार समझती है। इसलिए सरकार की नीतियों और योजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है, कि वो गरीबों और मध्यम वर्ग की जिंदगी तो आसान बनाएं हीं, उनके पैसों की भी बचत कराएं।'
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