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'अबकी बार ट्रंप सरकार' के नारे विदेशों में भारतीयों के सामर्थ्य के सबूत: मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि 2014 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से लोगों की मानसिकता और आत्मविश्वास में 'सकारात्मक बदलाव' आया है।

tiwarishalini
Published on: 30 Nov 2017 6:27 AM GMT
अबकी बार ट्रंप सरकार के नारे विदेशों में भारतीयों के सामर्थ्य के सबूत: मोदी
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PM मोदी बोले- भारत में अब नजर आ रहा है सकारात्मक बदलाव

नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि 2014 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से लोगों की मानसिकता और आत्मविश्वास में 'सकारात्मक बदलाव' आया है।

हिंदुस्तान टाइम्स समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "अगर हम देश को एक जीवित इकाई के रूप में देखें तो हमें पता चलेगा कि भारत में जो सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा हुआ है, वह पहले कभी नहीं था।"

पीएम मोदी ने कहा कि ये भारत की बढ़ती हुई साख और बढ़ते हुए विश्वास का परिणाम है कि आज विदेश में रह रहे करोड़ों भारतीय अपना माथा और उंचा करके बात कर रहे हैं। जब विदेश में “अबकी बार कैमरन सरकार” और “अबकी बार ट्रंप सरकार” के नारे गूंजते हैं, तो ये भारतीयों के सामर्थ्य की स्वीकृति होती है।

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पीएम मोदी ने कहा कि जिस दिन देश में ज्यादातर खरीद-फरोख्त, पैसे के लेन-देन का एक टेक्निकल और डिजिटल एड्रेस होने लग गया, उस दिन से ऑरगेनाइज्ड करप्शन काफी हद तक थम जाएगा। मुझे पता है, इसकी मुझे राजनीतिक तौर पर कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन उसके लिए भी मैं तैयार हूं।

मोदी ने कहा कि इससे पहले युवाओं, महिलाओं, किसानों और गरीबों को देश के संसाधनों पर बहुत कम विश्वास था और अब वे सरकार और उसके संसाधनों पर भरोसा करते हैं।

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मोदी ने कहा कि भारत में 2014 के चुनाव में नागरिकों ने केवल सरकार को बदलने के लिए ही मतदान नहीं किया था। बल्कि लोगतंत्र में परिवर्तन चाहते थे जो स्थाई, स्थिर और अपरिवर्तनीय हो और उन्होंने इसके लिए वोट किया।

मोदी ने कहा, "देश में हर जगह किसी न किसी को दिन-रात तंत्र से लड़ना पड़ता था। मैं ऐसा अपरिवर्तनीय बदलाव लाने की कोशिश कर रहा हूं जिससे लोगों के जीवन में सुधार आए और इसे लेकर मैं प्रतिबद्ध हूं।"

अगली स्लाइड में जानिए और क्या बोले पीएम मोदी

क्या बोले पीएम मोदी ?

पीएम मोदी ने कहा कि इस सरकार के लिए करप्शन फ्री, सिटिजन सेंट्रिक और डेवलेपमेंट फ्रेंडली इकोसिस्टम सबसे बड़ी प्राथमिकता है। नीतियों पर आधारित, तकनीक पर आधारित, पारदर्शिता पर आधारित एक ऐसा इकोसिस्टम जिसमें गड़बड़ी होने की, लीकेज की, गुंजाइश कम से कम हो।

देश के 15 करोड़ से ज्यादा गरीब सरकार की बीमा योजनाओं से जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के तहत गरीबों को लगभग 1800 करोड़ रुपए की क्लेम राशि दी जा चुकी है। इतने रुपए किसी और सरकार ने दिए होते तो उसे मसीहा बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया होता। ये भी एक सच है जिसे मैं स्वीकार करके चलता हूं।

पहले की सरकार में जो एलईडी बल्ब 300-350 का बिकता था, वो अब एक मध्यम वर्ग के परिवार को लगभग 50 रुपए में उपलब्ध है। उजाला योजना शुरू होने के बाद से देश में अब तक लगभग 28 करोड़ एलईडी बल्ब बिक चुके हैं। इन बल्बों से लोगों को 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हो चुकी है।

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पहले ही सरकारों को ऐसा करने से किसी ने रोक रखा था या नहीं, ये मैं नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि सिस्टम में स्थाई परिवर्तन लाने फैसले लेने से, देशहित में फैसला लेने से, किसी के रोके नहीं रुकेंगे। इसलिए इस सरकार की अप्रोच इससे बिल्कुल अलग है।

अब तक बांस को देश के एक कानून में पेड़ माना जाता था। इस वजह से बांस काटने को लेकर किसानों को बहुत दिक्कत आती थी। अब सरकार ने बांस को पेड़ की लिस्ट से हटा दिया है। इसका फायदा देश के दूर-दराज इलाके और खासकर उत्तर पूर्व के किसानों को होगा।

हमारी सरकार में होलिस्टिक अप्प्रोच के साथ फैसले लिए जाते हैं। इस तरह के फैसले पहले नहीं लिए जा रहे थे, इसलिए देश का हर व्यक्ति चिंता में था। वो देश को आंतरिक बुराइयों से मुक्त देखने के साथ ही, नई व्यवस्थाओं के निर्माण को भी होते हुए देखना चाहता था।

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हमारे यहां जो सिस्टम था उसने भ्रष्टाचार को ही शिष्टाचार बना दिया था। 2014 में देश के सवा सौ करोड़ों ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए वोट दिया था, वोट दिया था देश को लगी बीमारियों के परमानेंट इलाज के लिए, उन्होंने वोट दिया था न्यू इंडिया बनाने के लिए।

नोटबंदी के बाद देश में बिहेविरल चेंज आया है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भ्रष्टाचारियों को कालेधन के लेन-देन से पहले डर लग रहा है। उनमें पकड़े जाने का भय आया है। जो कालाधन पहले पैरेलल इकॉनॉमी का आधार था, वो फॉर्मल इकॉनमी में आया है।

ऐसे ही एक इर्रेवेर्सिब्ल चेंज को आधार नंबर से मदद मिल रही है। आधार एक ऐसी शक्ति है जिससे ये सरकार गरीबों के अधिकार को सुनिश्चित कराना चाहती है। सस्ता राशन, स्कॉलरशिप, दवाई का खर्च, पेंशन, सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी, गरीबों तक पहुंचाने में आधार की बड़ी भूमिका है।

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आधार के साथ मोबाइल और जनधन की ताकत जुड़ जाने से एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण हुआ है। जिसके बारे में कुछ साल पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। पिछले 3 वर्षों में आधार की मदद से करोड़ों फर्जी नाम सिस्टम से हटाए गए हैं। अब बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी ये एक बड़ा हथियार बनने जा रहा है।

जब योजनाओं में गति होती है, तभी देश में प्रगति आती है। कुछ तो परिवर्तन आया होगा जिसकी वजह से सरकार की तमाम योजनाओं की स्पीड बढ़ गई है। साधन वही हैं, संसाधन वहीं हैं, लेकिन सिस्टम में रफ्तार आ गई है। ऐसा हुआ है क्योंकि सरकार ब्यूरोक्रेसी में एक नई कार्यसंस्कृति डवलप कर रही है।

बड़े और स्थाई परिवर्तन ऐसे ही नहीं आते उसके लिए पूरे सिस्टम में बदलाव करने पड़ते हैं। जब ये बदलाव होते हैं तभी देश सिर्फ तीन साल में इज ऑफ डूइंग बिज़नस की रैकिंग में 142 से 100 पर पहुंच जाता है।

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2014 में जब हम आए तो हमें विरासत में क्या मिला था? अर्थव्यवस्था की हालत, गवर्नेंस की हालत, फिस्कल ऑर्डर और बैंकिंग सिस्टम की हालत, सब बिगड़ी हुई थी। हमारा देश फ्रेजाइल फाइव में गिना जाता था।

आज ग्लोबली भारत कहां खड़ा है, किस स्थिति में है, आप उससे भली-भांति परिचित हैं। बड़े हों या छोटे, दुनिया के ज्यादातर देश आज भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है। अब तो रुकना नहीं है, आगे ही बढ़ते जाना है।

जब योग को यूनाइटेड नेशंस में सर्वसम्मति से मान्यता मिलती है, तब उसका इर्रेवेर्सिब्ल राइज दिखता है। जब भारत की पहल पर इंटरनेशनल सोलर अलायन्स का गठन होता है, तब उसका इर्रेवेर्सिब्ल राइज दिखता है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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