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राष्ट्रपति के संबोधन में न्यू इंडिया पर जोर, याद किया स्वतंत्रता सेनानियों को

aman
By aman
Published on: 14 Aug 2017 7:23 PM IST
राष्ट्रपति के संबोधन में न्यू इंडिया पर जोर, याद किया स्वतंत्रता सेनानियों को
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राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद बोले- देश स्वतंत्रता सेनानियों का ऋणी है

नई दिल्ली: देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। कोविंद बोले, 'देश स्वतंत्रता सेनानियों का ऋणी है। उनका उद्देश्य राजनीतिक लक्ष्य पाना नहीं था।' राष्ट्रपति ने अपने संदेश में महात्मा गांधी, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल जैसे सेनानियों को याद किया।

राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में कहा, 'अपने बचपन में देखी गई परंपरा याद है, किसी भी परिवार में किसी बेटी का विवाह होता था तो वह सबकी जिम्मेदारी होती थी। गांव हो या शहर एक यह भावना जगाने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ सभी तक पहुंचे, इसमें सभी को योगदान देना चाहिए।'

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, कि 'देश के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने और देश के लिए कुछ कर गुजरने की उसी भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में सतत जुटे रहने का समय है।' स्वतंत्रता दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर देश के नाम अपने संबोधन में कोविंद ने कहा, 'स्वतंत्र नैतिकता पर आधारित नीतियों और योजनाओं को लागू करने पर उनका जोर, एकता और अनुशासन में उनका दृढ़ विश्वास, विरासत और विज्ञान के समन्वय में उनकी आस्था, विधि के अनुसार शासन और शिक्षा को प्रोत्साहन, इन सभी के मूल में नागरिकों और सरकार के बीच साझेदारी की अवधारणा थी।'

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राष्ट्रपति कोविंद बोले, 'यही साझेदारी हमारे राष्ट्र-निर्माण का आधार रही है- नागरिक और सरकार के बीच साझेदारी, व्यक्ति और समाज के बीच साझेदारी, परिवार और एक बड़े समुदाय के बीच साझेदारी।' उन्होंने कहा, कि राष्ट्र निर्माण के लिए ऐसे कर्मठ लोगों के साथ सभी को जुड़ना चाहिए, साथ ही सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ हर तबके तक पहुंचे इसके लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। इसके लिए नागरिकों और सरकार के बीच साझेदारी महत्वपूर्ण है।

कोविंद ने सरकार के 'स्वच्छ भारत' अभियान, 'खुले में शौच से मुक्त' कराना, इंटरनेट का सही उद्देश्य के लिए उपयोग करना, 'बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ' अभियान का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, 'सरकार कानून बना सकती है और कानून लागू करने की प्रक्रिया को मजबूत कर सकती है, लेकिन कानून का पालन करने वाला नागरिक बनना, कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है। सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है, सरकारी नियुक्तियों और सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार समाप्त कर रही है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में अपने अंत:करण को साफ रखते हुए कार्य करना, कार्य संस्कृति को पवित्र बनाए रखना- हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।'

कोविंद ने कहा, 'सरकार ने कर प्रणाली को आसान करने के लिए जीएसटी लागू किया है, प्रक्रियाओं को आसान बनाया है, लेकिन इसे अपने हर काम-काज और लेन-देन में शामिल करना तथा कर देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।'

उन्होंने आगे कहा, कि आजादी केवल सत्ता हस्तांतरण नहीं था, बल्कि वह एक बहुत बड़े और व्यापक बदलाव की घड़ी थी। वह हमारे समूचे देश के सपनों के साकार होने का पल था, ऐसे सपने जो हमारे पूर्वजों और स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे। स्वतंत्र भारत का उनका सपना, हमारे गांव, गरीब और देश के समग्र विकास का सपना था।

राष्ट्रपति बोले, 'महात्मा गांधी ने समाज और राष्ट्र के चरित्र निर्माण पर बल दिया था। गांधीजी ने जिन सिद्धांतों को अपनाने की बात कही थी, वे हमारे लिए आज भी प्रासंगिक हैं।'

कोविंद ने कहा, 'राष्ट्रव्यापी सुधार और संघर्ष के इस अभियान में गांधीजी अकेले नहीं थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जब 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का आह्वान किया तो हजारों-लाखों भारतवासियों ने उनके नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ते हुए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।'

उन्होंने कहा, 'नेहरूजी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है, उनका प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल संभव है, और वे परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं। सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया, साथ ही उन्होंने यह भी समझाया कि अनुशासन-युक्त राष्ट्रीय चरित्र क्या होता है। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान के दायरे मे रहकर काम करने तथा 'कानून के शासन' की अनिवार्यता के विषय में समझाया। साथ ही, उन्होंने शिक्षा के बुनियादी महत्व पर भी जोर दिया।'

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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