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राफेल डील : केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ताओं को दस्तावेज सौंपे
नई दिल्ली : फ्रांस के साथ हुई बहुचर्चित राफेल डील पर विरोधियों के निशाने पर आई केंद्र की बीजेपी सरकार ने सोमवार को सौदे से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक कर दीं हैं। राफेल खरीद की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज याचिककर्ताओं को सौंप दिए गए हैं। इसके साथ ही विमानों की कीमतों पर अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है।
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क्या है दस्तावेजों में
राफेल की खरीद में सभी प्रकियाओं का पालन किया गया।
फ्रांस सरकार से करीब एक साल तक बात चली।
कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी (सीसीएस) से अनुमति लेने के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार का कोई रोल नहीं है।
विदेशी निर्माता किसी भी भारतीय कंपनी को बतौर ऑफसेट पार्टनर चुनने के लिए स्वतंत्र है।
यूपीए के जमाने से चली आ रही रक्षा उपकरणों की खरीद प्रकिया के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 का ही पालन किया गया है।
भारतीय वार्ताकारों ने 4 अगस्त 2016 को 36 राफेल जेट से जुड़ी रिपोर्ट पेश की, तो इसका वित्त और कानून मंत्रालय ने भी आकलन किया और सीसीएस ने 24 अगस्त 2016 को इसे मंजूरी दी।
इसके बाद भारत-फ्रांस के बीच समझौते को 23 सितंबर 2016 को अंजाम दिया गया।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 31 अक्टूबर के आदेश के अनुसार केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ताओं को यह दस्तावेज उपलब्ध कराया है। मामले की सुनवाई अब 14 नवंबर को करेगा।
कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण, अरुण शौरी व यशवंत सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही थी कि याचिकाकर्ताओं को राफेल डील से संबंधित दस्तावेज़ उपलब्ध कराएं जाए।