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पांचवीं पीढ़ी के हाथ जा रही कांग्रेस की कमान, जानें इस पद का पूरा इतिहास
विनोद कपूर
लखनऊ: नेहरू-गांधी परिवार के छठे शख्स के रूप में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी तय है। नेहरू-गांधी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के राहुल गांधी जल्द ही कांग्रेस की कमान संभाल लेंगे। सोमवार (4 दिसंबर) को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के साथ ही उनकी ताजपोशी की मात्र औपचारिकता ही बाकी है।
राहुल से पहले मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के हाथों में पार्टी की कमान रही है। सोनिया अभी भी पार्टी अध्यक्ष हैं जो संभवत: स्वास्थ्य कारणों से पहले जैसी जिम्मेवारी निभा पाने में सक्षम नहीं हैं।
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मोतीलाल ने दो बार संभाली थी कमान
आजादी के आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाली कांग्रेस की कमान पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू को मिली। मोतीलाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान दो बार मिली। पहली बार 1919 में कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में मोतीलाल को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 1928 में दूसरी बार कोलकता अधिवेशन मोतीलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
जवाहरलाल आठ बार रहे अध्यक्ष
मोतीलाल नेहरू के बाद जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बने। जवाहरलाल दूसरी पीढ़ी के नेता थे, जिनकी कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी हुई थी। जवाहरलाल विभिन्न अधिवेशनों में 8 बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वो पहली बार 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद 1930, 1936, 1937, 1951,1952, 1953 और 1954 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
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इंदिरा को चार बार मिली कमान
जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी बेटी और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ली। इस तरह वो नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के तौर पर कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। इंदिरा गांधी को चार बार कांग्रेस की कमान सौंपी गई। इंदिरा पहली बार 1959 में कांग्रेस के दिल्ली के विशेष सत्र में अध्यक्ष बनीं। इसके बाद दोबारा पांच साल के लिए 1978 से 1983 तक दिल्ली के अधिवेशन में अध्यक्ष चुनी गईं। इसके बाद 1983 और 1984 में कोलकता अधिवेशन में अध्यक्ष की कमान अपने हाथों में ली।
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राजीव कांग्रेस के युवा अध्यक्ष
नेहरू-गांधी परिवार के राजीव गांधी को चौथी पीढ़ी के तौर पर कांग्रेस की कमान मिली। राजीव सबसे युवा कांग्रेस अध्यक्ष थे। इंदिरा गांधी की आकस्मिक मौत के बाद राजीव कांग्रेस के अध्यक्ष बने। वह 1985 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे, लेकिन दुर्भाग्य से राजीव गांधी की भी हत्या कर दी गई, जिससे कांग्रेस की कमान गांधी परिवार से निकलकर दूसरे हाथों में चली गई। राजीव गांधी के निधन के बाद कुछ महीने के लिए सीताराम केसरी पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए लेकिन उन्हें किस तरह बेइज्जत कर निकाला गया ये किसी से छुपा नहीं है।
सोनिया का पहले इनकार, फिर....
राजीव गांधी की हत्या होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी। परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कभी भी राजनीति में नहीं आने की कसम खाई थी, लेकिन कांग्रेस की हालत दिन-ब-दिन बुरी होती देख सोनिया गांधी ने कांग्रेस ने नेताओं के दबाव में 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। इस तरह राजनीति में कदम रखा और 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। इस तरह नेहरू-गांधी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के रूप में सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। सोनिया 1998 से अब तक कांग्रेस की अध्यक्ष हैं।
राहुल में भविष्य देख रही कांग्रेस
देश की राजनीति में नरेंद्र मोदी के उदय के बाद कांग्रेस सबसे बुरे दौर में पहुंच गई। लोकसभा के बाद लगातार विधानसभा चुनावों में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। अगर पंजाब के चुनाव को दरकिनार कर दें, तो देश की सत्ता से लेकर कई राज्यों की सत्ता से कांग्रेस बाहर है। ऐसे समय में कांग्रेस की कमान नेहरू-गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के युवा नेता राहुल गांधी अपने हाथों में लेने जा रहे हैं। अब कांग्रेस का भविष्य राहुल के हाथों में होगा। राहुल के सामने पार्टी को खड़ा करना और सत्ता में वापसी की चुनौती है। इसके साथ ही राहुल को कांग्रेस की वापसी के लिए मोदी जैसे कद्दावर नेता को मात देनी होगी।