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ये दोस्ती... : पार्टी विधायकों के विरोध के बावजूद लालू का साथ नहीं छोड़ेंगे राहुल
नई दिल्ली: बिहार कांग्रेस में टूट की आश्ांका के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी दो दिनों से लगातार विधायकों से मिल रहे हैं। इस दौरान राहुल गांधी ने 21 विधायकों और दो विधान पार्षदों से मुलाकात की। हालांकि, इससे पार्टी पर टूट का संकट तो फिलहाल टल गया, लेकिन राहुल गांधी ने नाराज विधायकों की राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद का साथ छोड़ने की सलाह नहीं मानी।
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उल्लेखनीय है कि ये वही लालू यादव हैं जिनके मुद्दे पर राहुल गांधी ने कभी अपनी ही सरकार का अध्यादेश फाड़ दिया था। अब बीजेपी विरोधी मुहिम में वो लालू यादव का साथ नहीं छोड़ना चाहते हैं। पार्टी विधायकों के साथ बैठक में राहुल ने साफ़ संकेत दिए कि चाहे जो हो पार्टी लालू के साथ रहेगी।
जल्द होगी अध्यक्ष के नाम की घोषणा
पार्टी विधायकों से बैठक के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष ने बिहार कांग्रेस में फेरबदल के संकेत दिए। राहुल ने कहा, कि 'प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम की जल्द ही घोषणा की जाएगी।'
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राहुल पर अब राजनीतिक हमले तय
राहुल गांधी बिहार कांग्रेस में टूट की आशंका को टालने में फिलहाल कामयाब दिख रहे हैं। बैठक में पहुंचे विधायकों की संख्या से साफ हो गया है कि कांग्रेस विधायक दल को तोडऩे की मशक्कत करने वालों के पास अब पर्याप्त संख्या नहीं है। लेकिन, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर स्टैंड लेकर जिस राहुल गांधी ने अपनी अलग छवि बनाई थी, उन पर अब राजनीतिक हमले तय लग रहे हैं। लालू के मुद्दे पर राहुल ने अपनी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगाई है।
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लालू के नाम पर ही हो रही थी तोड़ने की कोशिश
राहुल से विधायकों की गुरुवार को हुई मुलाकात के बाद पार्टी सूत्रों ने बताया कि अशोक चौधरी और सदानंद सिंह ही विधायकों को लालू प्रसाद के विरोध के नाम पर तोडऩे की कोशिश कर रहे थे। लालू के साथ रहने में राजनीतिक नुकसान की बात के बहाने ही चौधरी ने करीब 13 विधायकों से हस्ताक्षर कराए थे। मगर कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ विधायक बने जदयू से आए चार-पांच लोगों के अलावा पार्टी के अधिकांश विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व में भरोसा जताया है।