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जहां कहीं भी बीजेपी सरकार में है, वहां दलितों को पीटा गया : राहुल
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस न्यायाधीश को दोबारा नौकरी देकर सरकार की दलित विरोधी मानसिकता पर मुहर लगा दी जिन्होंने दलितों के खिलाफ अत्याचार को रोकने के प्रावधान वाले अधिनियम को कमजोर करने के आदेश पारित किए थे। राहुल ने कहा कि केंद्र और राज्यों में बीजेपी की सरकारों के दिल में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है। राहुल जंतर मंतर पर दलितों और जनजातीय समुदाय द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन रैली को संबोधित कर रहे थे।
राहुल ने कहा, "अगर मोदीजी के दिल में दलितों के लिए जगह होती, तब दलितों के लिए बनाई गई नीतियां अलग होतीं।"
राहुल ने कहा कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने एक किताब में लिखा था कि दलितों को सफाई करने में आनंद मिलता है। यह उनकी विचारधारा है।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम को कांग्रेस सरकार लाई थी, जब उनके पिता राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।
उन्होंने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के चेयरमैन के रूप में न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की नियुक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा, लेकिन, मोदीजी ने इसे कमजोर करने की इजाजत दी और जिस न्यायाधीश ने इस अधिनियम को कमजोर करने के आदेश दिए, उसे पदोन्नति दी गई।
उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी बीजेपी सरकार में है, वहां दलितों को 'पीटा गया है और दबाया गया है।'
हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी के एक छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि दलितों को कुचला जाता है, अगर वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं।
उन्होंने कहा, "हम ऐसा भारत नहीं बनाना चाहते हैं जहां दलितों को कुचला जाए। हम ऐसा भारत चाहते हैं जहां सभी आगे बढ़ें।"
राहुल ने कहा, "उनकी (मोदी की) सोच दलित-विरोधी है..पूरा देश उनके, भाजपा और आरएसएस के खिलाफ उठ खड़ा होगा।"
आपको बता दें, न्यायमूर्ति गोयल और न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने 20 मार्च को अपने आदेश में इस अधिनियम के राजनीतिक या निजी कारणों के लिए दुरुपयोग करने का हवाला दिया था। दोनों न्यायाधीश ने अधिनियम के प्रावधान को हल्का करने का आदेश दिया था और कहा था कि आगे से इस अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज होने पर गिरफ्तारी से पहले से प्रारंभिक जांच करनी होगी और अग्रिम जमानत भी दी जा सकेगी।
न्यायमूर्ति गोयल 6 जुलाई को सर्वोच्च न्यायलय से सेवानिवृत्त हुए और उसी दिन उन्हें एनजीटी का चेयरमैन बनाया गया।
सरकार ने हालांकि 1989 के अधिनियम में संशोधन किया, जिसके अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया गया और आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधानों को बहाल कर दिया गया। यह संशोधन लोकसभा में मंगलवार को पास हुआ।