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भारतीय रेल : रोज 12600 घंटे बर्बाद कर देती हैं INDIAN ट्रेनें
नील मणि लाल
लखनऊ: अगर भारतीय रेल की यात्रा करके आप किसी भी जगह समय पर पहुंचने की उम्मीद करते हैं तो आपको यह उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। भारतीय रेल की लेट लतीफी ने देश को कितनी शताब्दी पीछे ला खड़ा किया है। यह अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है लेकिन देश में चलने वाली हर ट्रेन औसतन 54 मिनट विलम्ब से चलती है। हर दिन रेल में यात्रा करने वाले सभी लोगों के यात्रा विलम्ब को ट्रेनों के औसत विलम्ब से जोड़ा घटाया जाये तो हर दिन सात लाख छप्पन हजार मिनट रेल यात्री बेकार में बैठे ठाले गुजारने को मजबूर हैं। अगर इसे दिन के लिहाज से निकाला जाये तो भारतीय रेल अपने यात्रियों का रोज 525 दिन भर का समय अपने विलंब के चलते गंवा देती है। हद तो यह है कि ट्रेनों को समय पर चलाने की जगह रेलवे मंत्रालय ने लेट होने के औसत टाइम का गुणा-भाग करके ट्रेनों की समय तालिका में ही परिवर्तन कर दिया है। इसके चलते यात्रा में लगने वाले समय में इजाफा हो गया है पर रेलवे मंत्रालय ट्रेनों के विलंब के चलने के आरोप से बच बचा के निकलने में कामयाब होता दिख रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2016-17 में भारतीय रेल ने रोजाना 2 करोड़ 22 लाख यात्री ढोये।
भारतीय रेलवे का ट्रैक रिकार्ड बताता है कि पिछले दो साल में ट्रेनों की औसत लेटलतीफी २० फीसदी बढ़ी है। २०१७ में भारतीय ट्रेनों का औसत लेट होने का समय ५३ मिनट रहा जबकि २०१५ में ये ४४ मिनट और २०१६ में ४५ मिनट था। ट्रेनों का सबसे बुरा हाल बिहार और यूपी का है। यहां ट्रेनों का लेट होना आम बात है। बिहार में तो २०१५ से १७ तक औसत लेट ८० मिनट से बढक़र १०४ मिनट तक पहुंच गया जबकि यूपी में ७२ मिनट से बढक़र ९५ मिनट पहुंच गया है। तेलंगाना ऐसा राज्य है जहां औसत लेट समय इन वर्षों में ४६ मिनट से घटकर ४३ मिनट रह गया। बिहार में तो अगर स्थितियां नहीं सुधरीं तो औसत लेट समय कुछ साल में २ घंटे तक पहुंच जाएगा।
देश में भारी संख्या में लोग कहीं आने-जाने के लिए ट्रेनों का सहारा लेते हैं और पूरी यात्रा के दौरान लोग ध्वस्त हो चुकी रेल व्यवस्था पर अपनी भड़ास भी निकालते रहते हैं। देश में ट्रेनों की व्यवस्था इस हद तक चौपट हो चुकी है कि न जाने कितने छात्र-छात्राओं की परीक्षा तक छूट जाती है। आउटर पर ट्रेनों को काफी समय तक खड़ा रखने से लोग बेहाल हो जाते हैं। ट्रेनों का हाल यह हो गया है कि लोगों का रेलवे के प्रति भरोसा तक खत्म होता जा रहा है। कई बार ट्रेनों को ऐन मौके पर कैंसिल करने का ऐलान कर दिया जाता है और कहा जाता है कि संबंधित यात्री अपना पैसा ले लें। लगता है मानो रेलवे को लोगों की दिक्कतों से कोई लेना-देना ही न हो। हालत यहां तक पहुंच गयी है कि लोग बाई रोड कहीं आने-जाने को ज्यादा प्राथमिकता देने लगे हैं।
प्रमुख स्टेशनों की बात करें तो यूपी के कानपुर में औसत लेट समय २०१५ के ९५ मिनट से बढ़ कर २०१७ में ११३ मिनट हो गया। इलाहाबाद में यह ११० मिनट से बढ़ कर ११७ मिनट हो गया। वहीं हावड़ा स्टेशन पर ट्रेनों का औसत लेट समय २८ मिनट से बढक़र ४३ मिनट हो गया। गोरखपुर में औसत डिले टाइम २०१५ में ५० मिनट था जो २०१७ में १०५ मिनट हो गया। खलीलाबाद में ६१ मिनट से बढ़ कर १२६ मिनट तथा बस्ती में ७२ मिनट से बढ़ कर १४८ मिनट हो गया।
लखनऊ स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेनों का हाल
- वाराणसी-नयी दिल्ली महामना एक्सप्रेस : औसत ३३ मिनट लेट छूटती है और गंतव्य पर औसत १०८ मिनट लेट पहुंचती है।
- गाजीपुर सिटी-आनंद विहार सुहेलदेव एक्सप्रेस : ८६ मिनट लेट छूटना और १८७ मिनट लेट पहुंचना।
- जयनगर (बिहार) से आनंदविहार सरयू यमुना एक्सप्रेस : ५ घंटे २२ मिनट लेट छूटना और ४ घंटे १३ मिनट लेट पहुंचना।
- गोरखपुर-आनंदविहार साप्ताहिक एक्सप्रेस : ५ घंटे ४० मिनट लेट छूटना और ६ घंटे १९ मिनट लेट पहुंचना।
- लखनऊ-आनंदविहार डबलडेकर एक्सप्रेस : ५ मिनट लेट छूटना और १ घंटा १३ मिनट लेट पहुंचना।
- मालदा टाउन-नयी दिल्ली एक्सप्रेस : २ घंटे ४३ मिनट लेट छूटना और ५ घंटे १२ मिनट लेट पहुंचना।
- अवध असम एक्सप्रेस : ३ घंटे ४३ मिनट लेट छूटना और ५ घंटे ३५ मिनट लेट पहुंचना।
- मऊ - आनंदविहार एक्सप्रेस : ५ घंटे १० मिनट लेट छूटना और ५ घंटे ६ मिनट लेट पहुंचना।
- फरक्का एक्सप्रेस वाया सुलतानपुर : २ घंटे ३८ मिनट लेट छूटना और ४ घंटे ३६ मिनट लेट पहुंचना।
- फैजाबाद - दिल्ली एक्सप्रेस : १ घंटे ४८ मिनट लेट छूटना और ३ घंटे ५ मिनट लेट पहुंचना।
- गोरखपुर - नयी दिल्ली गोरखधाम एक्सप्रेस : ४१ मिनट लेट छूटना और १ घंटा ५६ मिनट लेट पहुंचना।
- लखनऊ - नयी दिल्ली मेल : छूटती तो समय पर है लेकिन औसतन २२ मिनट लेट पहुंचती है।
- लखनऊ - नयी दिल्ली एसी सुपरफास्ट : औसत ३७ मिनट लेट पहुंचती है।
- आजमगढ़ - दिल्ली कैफियात एक्सप्रेस : १ घंटा ५५ मिनट लेट छूटना और ३ घंटे ५९ मिनट लेट पहुनचना।
भारतीय रेल : रोज 12600 घंटे बर्बाद कर देती हैं INDISN ट्रेनें
अब रेलवे कर रहा ये भी कवायद
ट्रेनों की लेटलतीफी से निपटने के लिये रेलवे ने कई नई योजनाएं तैयार की हैं। देखिए क्या-क्या करने का इरादा है :
रविवार को मेगा ट्रैफिक ब्लॉक कर छुट्टी वाले दिन ही सिग्नल व्यवस्था, ट्रैक सुधार, विद्युतीकरण समेत अन्य काम किये जाएंगे। यानी संडे को सबसे लेट चलेंगी। पूरे रेलवे जोन में रोजाना 2-3 घंटे का ट्रैफिक ब्लॉक और संडे को 5-6 घंटे का मेगा ब्लॉक लिया जाएगा। इस दिन किसी स्टेशन पर घंटों ट्रेन खड़ी रहेगी तो यात्रियों को मुफ्त में खाना-पानी दिया जायेगा।
जहां ट्रैक पर बहुत दबाव है वहां एलिवेटेड ट्रैक, बाइपास रेल ट्रैक व तीसरी-चौथी लाइन बनायी जाएगी, लेकिन ये कब होगा इसका कोई खाका नहीं है।
ट्रैफिक ब्लॉक को समय-सारणी में ही शुमार कर दिया जाए ताकि यात्रियों को पता चल सके कि उनकी ट्रेन की स्थिति क्या है। उन्हें मोबाइल पर मैसेज भेजकर भी बताया जाएगा कि आपकी ट्रेन कितनी देरी से चल रही है।
इलाहाबाद-मुगलसराय रूट पर तीसरी लाइन बनाने का निर्णय तो ले लिया है, लेकिन इसे तैयार होने में तीन साल लगेंगे।
ट्रेनों की रवानगी के लिए अब आने वाली ट्रेन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। दरअसल ज्यादातर जो ट्रेन आती है उसे ही वापसी दिशा में भेजा जाता है। ट्रेन की साफ-सफाई में भी छह घंटे का वक्त लग जाता है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा कोच निर्माण कर इस समस्या से समाधान ढूंढा जाएगा।
पंद्रह अगस्त को रेलवे का नया टाइम टेबल आने वाला है। ट्रैफिक ब्लॉक इसमें शुमार होने से कई ट्रेनों का समय बदल जाएगा। संडे को चलने वाली ट्रेनों में करीब 6 घंटे तक बदलाव नजर आएगा।
रेल मंत्री ने रेल अफसरों से कहा है कि ट्रेनों की लेटलतीफी हुई तो उनका प्रमोशन रोक लिया जाएगा।
आउटर पर ट्रेनों के खड़ा होने से यात्री परेशान
ट्रेनों में प्राय: सफर करने वाले लोगों का कहना है कि ट्रेनों का आउटर पर देर तक खड़े रहना बड़ी समस्या है। यह इतनी बड़ी समस्या है कि समय से चलने वाली ट्रेनें भी काफी लेट हो जाती हैं। यदि आप कानपुर की तरफ से लखनऊ आ रहे हों और ट्रेन को बड़ी लाइन वाले स्टेशन पर आना हो तो मानकनगर से लखनऊ जंक्शन तक पहुंचने में यात्रियों के सारे कर्म हो जाते हैं। पहले ट्रेन मानकनगर पर खड़ी होगी, वहां से खुलेगी तो आरडीएसओ पर खड़ी होगी और फिर वहां से खुलेगी तो वाशिंग लाइन पर खड़ी हो जाएगी। हालत यहां तक भी हो सकती है कि जितना समय कानपुर से मानकनगर तक लगा होगा लगभग उतना ही समय मानकनगर से लखनऊ तक लग जाएगा। यदि आप वाराणसी या इलाहाबाद की ओर से लखनऊ आ रहे हों तो दिलकुशा से लखनऊ जंक्शन तक पहुंचने में आपको एक से डेढ़ घंटे का समय लग सकता है।
पहले ट्रेन को दिलकुशा में खड़ा किया जाता है। काफी देर वहां खड़ी होने के बाद जब ट्रेन चलेगी तो थोड़ी दूर आते ही फिर उसे सदर में खड़ा कर दिया जाता है। रेलवे की इस अझेल व्यवस्था से यात्री इतना परेशान हो जाते हैं कि तमाम यात्री वहीं उतरने में ही अपनी भलाई समझते हैं। यही हाल बाराबंकी की ओर से आने वाली ट्रेनों का भी होता है। बाराबंकी से समय से छूटने वाली ट्रेनों की मल्हौर से लखनऊ तक पहुंचने में सारी गति हो जाती है। रेलवे के सारे बड़े अफसर लाखों यात्रियों को रोज होने वाली इस दिक्कत को पूरी तरह जानते हैं मगर आज तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गयी।
भारतीय रेल : रोज 12600 घंटे बर्बाद कर देती हैं INDISN ट्रेनें
रेलवे का नया जुगाड़
ट्रेनों के लेट होने की समस्या को हल करने के लिए भारतीय रेलवे ने एक चालाकी भरा तरीका निकाला है। ट्रेनों को समय से पहुंचाने के लिये कोई ठोस उपाय करने की बजाय भारतीय रेल ने ट्रेनों के पहुंचने का समय ही बदल डाला है। यह तरीका अपना कर रेलवे विभाग लोगों की शिकवा-शिकायत दूर करना चाहता है। यानी अगर किसी ट्रेन के पहुंचने का समय 6 बजे का है और वो ट्रेन सात बजे पहुंचती है तो भारतीय रेल ने उस ट्रेन के पहुंचने के समय में ही बदलाव करते हुए 6 बजे के बजाय 7 बजे कर दिया है।
दक्षिण रेलवे ने लगभग 90 ट्रेनों का अराइवल टाइम 30 मिनट से एक घंटा तक बढ़ा दिया है जबकि उत्तर रेलवे ने 95 ट्रेनों का अराइवल टाइम आधा घंटा से लेकर एक घंटा तक बढ़ा दिया है। इस फैसले को रेल मंत्रालय से मंजूरी भी मिल गई है।
वैसे, रेलवे का कहना है कि रेलवे में चल रहे संरक्षा तथा ढांचागत मरम्मत के कामों के कारण ट्रेनें समय से नहीं चल पाती हैं और इस कारण ऐसे रेल यात्री जिन्होंने आगे की यात्रा की योजना बना रखी हो उन्हें सबसे अधिक मुश्किल होती है। दावा किया गया है कि ट्रेनों के गंतव्य तक पहुंचने के समय को अस्थायी तौर पर बढ़ाया गया है। बेहद जरूरी संरक्षा कार्यों के पूरा होने के बाद गाडिय़ों को पूर्व निर्धारित समय पर चलाया जाएगा। रेलवे की नयी व्यवस्था के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार व देश के कुछ अन्य हिस्सों से दिल्ली की ओर जाने वाली लगभग 18 ट्रेनों के दिल्ली पहुंचने के समय में बदलाव किया गया है। मतलब ये कि यदि इलाहाबाद से दिल्ली पहुंचने वाली ट्रेन 12 घंटे के बजाय 15 घंटे में सफर पूरा करती है, तो ट्रेन तीन नहीं बल्कि दो घंटे ही लेट मानी जाएगी क्योंकि रेलवे ने ट्रेन पहुंचने का समय 60 मिनट पहले ही बढ़ा दिया है।